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अलगाववादी समूह एसएफजे ने लॉन्च किया 'रेफरेंडम 2020' एप

अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने 'रेफरेंडम 2020' के तहत मतदाता पंजीकरण के लिए एप लॉन्च किया है. यह एप गूगल प्ले स्टोर पर 'वॉयस पंजाब 2020' नाम पर है. एसएफजे के इस कदम से खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है.

Sikhs for Justice
अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस
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Published : Sep 6, 2020, 7:25 AM IST

नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा 'रेफरेंडम 2020' के तहत मतदाता पंजीकरण वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने के बाद अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने गूगल प्ले स्टोर पर मतदाता पंजीकरण एप लॉन्च किया है.

प्रतिबंधित संगठन एसएफजे ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह की 25वीं बरसी (अलगाववादी दिलावर को शहीद मानते हैं) के उपलक्ष्य में एप वॉयस पंजाब 2020 लॉन्च किया है.

कांग्रेस नेता बेअंत सिंह 1992 से 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे. 31 अगस्त, 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को चंडीगढ़ के केंद्रीय सचिवालय के बाहर एक बम धमाके में उड़ा दिया गया था. उनके साथ इस आतंकी हमले में 16 अन्य लोगों की जान भी गई थी. इस हमले में पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम की भूमिका निभाई थी.

गूगल प्ले स्टोर पर यह एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध होने के बाद एसएफजे के इस कदम ने खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है.

भारत में लोगों के लिए 'रेफरेंडम 2020' मतदाता पंजीकरण फॉर्म के समान विवरणों को शामिल करते हुए, मोबाइल एप उपयोगकर्ता को भारत विरोधी अभियान के लिए मतदाता के रूप में पंजीकरण करने की सुविधा प्रदान करता है.

संयुक्त राष्ट्र चार्टर का हवाला देते हुए, गूगल प्ले स्टोर पर एप का वर्णन बताता है कि 'वॉयस पंजाब 2020' गैर-सरकारी पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण की सुविधा के लिए एक एप है, जो यूएन चार्टर के अनुच्छेद-1 के तहत आयोजित किया जा रहा है. यह लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार देता है, जिससे भारत के लिए एप पर प्रतिबंध लगाना और हटाना मुश्किल हो गया है.

हालांकि, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और गृह मंत्रालय की मदद से सुरक्षा एजेंसियां गूगल के संपर्क में आने की प्रक्रिया में हैं, ताकि एप पर प्रतिबंध लगाया जा सके.

बीते 27 जून को अपडेट किया गया 2.0 वर्जन एप पांच से अधिक लोगों द्वारा डाउनलोड किया गया है. आइसटेक टेक्नोलॉजी द्वारा ऑफर किया गया यह एप 13.01 एमबी का है.

खालिस्तान समर्थक समूह लंबे समय से भारत में कानून-व्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. समूह ने पिछले महीने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले में खालिस्तान का झंडा फहराने वाले के लिए 125,000 डॉलर का इनाम घोषित किया था.

'रेफरेंडम 2020' की वकालत करने के लिए जुलाई 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित एसएफजे ने चार जुलाई से पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर को अलग-अलग पोट्र्रेट के माध्यम से 'रेफरेंडम 2020' के लिए अपना ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण शुरू करने के लिए चुना था, लेकिन कथित तौर पर यह समर्थन एकत्र नहीं कर सका.

न्यूयॉर्क में रहने वाला एसएफजे का मुख्य प्रचारक और वकील गुरपतवंत पन्नू अपने अलगाववादी मंसूबों को सफल बनाने के लिए आए दिन कोई न कोई रास्ता निकालने की जुगत में रहता है.

समूह ने इससे पहले कनाडाई पोर्टल को खालिस्तान की मांग के लिए दिल्ली में लांच करने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय कानून प्रवर्तक एजेंसियों की कार्रवाई से संगठन इसमें सफल नहीं हो पाया था. संगठन पंजाब में सिखों के लिए अपनी अलग स्वतंत्र भूमि चाहता है.

यह भी पढ़ें- खालिस्तान मुद्दा : भारत ने रूस के पोर्टल 'रेफरेंडम 2020' को किया ब्लॉक

इससे पहले चार जुलाई को भी पंजाब में संगठन की इस तरह की गतिविधि को एजेंसियों ने विफल कर दिया था. लगातार विफलता मिलने के बाद, एसएफजे ने लोगों के समर्थन के लिए 26 जुलाई को खालिस्तान रेफ्रेंडम के लिए मतदान पंजीकरण कराने की घोषणा की थी.

गृह मंत्रालय ने जुलाई में इस संगठन को रेफ्रेंडम-2020 की अनुशंसा के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई एसएफजे द्वारा लांच किए जाने वाले अभियानों को समर्थन दे रही है.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: भारत सरकार द्वारा 'रेफरेंडम 2020' के तहत मतदाता पंजीकरण वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने के बाद अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने गूगल प्ले स्टोर पर मतदाता पंजीकरण एप लॉन्च किया है.

प्रतिबंधित संगठन एसएफजे ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह की 25वीं बरसी (अलगाववादी दिलावर को शहीद मानते हैं) के उपलक्ष्य में एप वॉयस पंजाब 2020 लॉन्च किया है.

कांग्रेस नेता बेअंत सिंह 1992 से 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे. 31 अगस्त, 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को चंडीगढ़ के केंद्रीय सचिवालय के बाहर एक बम धमाके में उड़ा दिया गया था. उनके साथ इस आतंकी हमले में 16 अन्य लोगों की जान भी गई थी. इस हमले में पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम की भूमिका निभाई थी.

गूगल प्ले स्टोर पर यह एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए उपलब्ध होने के बाद एसएफजे के इस कदम ने खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है.

भारत में लोगों के लिए 'रेफरेंडम 2020' मतदाता पंजीकरण फॉर्म के समान विवरणों को शामिल करते हुए, मोबाइल एप उपयोगकर्ता को भारत विरोधी अभियान के लिए मतदाता के रूप में पंजीकरण करने की सुविधा प्रदान करता है.

संयुक्त राष्ट्र चार्टर का हवाला देते हुए, गूगल प्ले स्टोर पर एप का वर्णन बताता है कि 'वॉयस पंजाब 2020' गैर-सरकारी पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम 2020 के लिए मतदाता पंजीकरण की सुविधा के लिए एक एप है, जो यूएन चार्टर के अनुच्छेद-1 के तहत आयोजित किया जा रहा है. यह लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार देता है, जिससे भारत के लिए एप पर प्रतिबंध लगाना और हटाना मुश्किल हो गया है.

हालांकि, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और गृह मंत्रालय की मदद से सुरक्षा एजेंसियां गूगल के संपर्क में आने की प्रक्रिया में हैं, ताकि एप पर प्रतिबंध लगाया जा सके.

बीते 27 जून को अपडेट किया गया 2.0 वर्जन एप पांच से अधिक लोगों द्वारा डाउनलोड किया गया है. आइसटेक टेक्नोलॉजी द्वारा ऑफर किया गया यह एप 13.01 एमबी का है.

खालिस्तान समर्थक समूह लंबे समय से भारत में कानून-व्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है. समूह ने पिछले महीने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले में खालिस्तान का झंडा फहराने वाले के लिए 125,000 डॉलर का इनाम घोषित किया था.

'रेफरेंडम 2020' की वकालत करने के लिए जुलाई 2019 में गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित एसएफजे ने चार जुलाई से पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर को अलग-अलग पोट्र्रेट के माध्यम से 'रेफरेंडम 2020' के लिए अपना ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण शुरू करने के लिए चुना था, लेकिन कथित तौर पर यह समर्थन एकत्र नहीं कर सका.

न्यूयॉर्क में रहने वाला एसएफजे का मुख्य प्रचारक और वकील गुरपतवंत पन्नू अपने अलगाववादी मंसूबों को सफल बनाने के लिए आए दिन कोई न कोई रास्ता निकालने की जुगत में रहता है.

समूह ने इससे पहले कनाडाई पोर्टल को खालिस्तान की मांग के लिए दिल्ली में लांच करने की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय कानून प्रवर्तक एजेंसियों की कार्रवाई से संगठन इसमें सफल नहीं हो पाया था. संगठन पंजाब में सिखों के लिए अपनी अलग स्वतंत्र भूमि चाहता है.

यह भी पढ़ें- खालिस्तान मुद्दा : भारत ने रूस के पोर्टल 'रेफरेंडम 2020' को किया ब्लॉक

इससे पहले चार जुलाई को भी पंजाब में संगठन की इस तरह की गतिविधि को एजेंसियों ने विफल कर दिया था. लगातार विफलता मिलने के बाद, एसएफजे ने लोगों के समर्थन के लिए 26 जुलाई को खालिस्तान रेफ्रेंडम के लिए मतदान पंजीकरण कराने की घोषणा की थी.

गृह मंत्रालय ने जुलाई में इस संगठन को रेफ्रेंडम-2020 की अनुशंसा के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई एसएफजे द्वारा लांच किए जाने वाले अभियानों को समर्थन दे रही है.

(आईएएनएस)

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