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अगले साल शुरू हो सकता है संसद भवन, सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास का काम : हरदीप सिंह पुरी

शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि लुटियन्स दिल्ली के पुनर्निमाण को लेकर प्री-बिड बैठक हुई. यह प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए पूरी पारदर्शिता के साथ इसकी शुरुआत की जा रही है. पढ़ें विस्तार से..

शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी
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Published : Sep 14, 2019, 10:16 AM IST

Updated : Sep 30, 2019, 1:37 PM IST

नई दिल्ली: एक शताब्दी पहले राजधानी के सबसे वीवीआईपी इलाके को एड्विन्स लैंडसीयर लूटियन्स ने ऐतिहासिक दिल्ली का हिस्सा बनाया, जिसे लुटियन दिल्ली के नाम से जाना जाता है. लेकिन भारत सरकार अब इस जगह का पुनर्निमाण करने जा रही है.

दरअसल देश की संसद से लेकर नार्थ ब्लॉक एवं साउथ ब्लॉक का नजारा बदल जाएगा. इसके नए डिज़ाइन के लिए आगामी 15 अक्टूबर तक केंद्र सरकार (निविदा) टेंडर जारी कर सकती है.

शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर प्री-बिड बैठक हुई है. यह प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए पूरी पारदर्शिता के साथ इसकी शुरुआत की जा रही है. पुरी ने कहा, 'यह इमारत विरासत है, और इसलिए इसके अग्रभाग को बदला नहीं जा सकता.'

उन्होंने आगे कहा, 'यह प्रधानमंत्री की स्वप्निल परियोजना है. इनमें से अधिकतर इमारतें 1911 से 1927 के बीच बनी हैं जो बहुत शानदार हैं, लेकिन आजादी के बाद बनी कुछ इमारतें जल्दी में बनाई गईं प्रतीत होती है और वे शायद अपना मकसद पूरा कर चुकी हैं.'

मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी

उन्होंने कहा कि इसके अलावा आजादी के बाद बनी कई इमारतें भूकंप रोधी नहीं हैं और इनकी मरम्मत में बहुत लागत लगती है.

पढ़ें-पाक को PoK को भारत को सौप देना चाहिएः केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले

हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि देश की संसद ऐतिहासिक है. इसलिए अभी यह तय नहीं हुआ है कि इसी जगह पर नई संसद बनेगी या इसके पास की खाली जमीन में नई संसद खड़ी की जाएगी. इसे लेकर फिलहाल विचार विमर्श चल रहा है.

पुरी ने आगे कहा कि अभी संसद में सांसदों के पास बैठने के लिए कमरे नहीं हैं. कोई उनसे मिलने आए तो उनके पास वह जगह नहीं है, जहां बैठकर बातचीत कर सकें. नए संसद में यह सभी सुविधाएं होंगी. इसके अलावा नए संसद में तय सांसदों की संख्या से ज्यादा सीट होंगी ताकि भविष्य में अगर उनकी संख्या बढ़े तो किसी प्रकार की दिक्कत न आए.

पढ़ें-आधुनिक भारत में बंटवारा सबसे बड़ी भूल: जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री के अनुसार इस पुनर्निमाण के दौरान आसपास मौजूद दफ्तरों का भी काम किया जाएगा. नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उद्योग भवन, शास्त्री भवन आदि को भी नए सिरे से बनाया जाएगा. अभी यह तय नहीं हुआ है कि इन्हें एक जगह बनाया जाएगा या अलग-अलग जगहों पर बनाकर आपस में जोड़ा जाएगा. फिलहाल अभी इसके लिए बैठकों का दौर चल रहा है.

नई दिल्ली: एक शताब्दी पहले राजधानी के सबसे वीवीआईपी इलाके को एड्विन्स लैंडसीयर लूटियन्स ने ऐतिहासिक दिल्ली का हिस्सा बनाया, जिसे लुटियन दिल्ली के नाम से जाना जाता है. लेकिन भारत सरकार अब इस जगह का पुनर्निमाण करने जा रही है.

दरअसल देश की संसद से लेकर नार्थ ब्लॉक एवं साउथ ब्लॉक का नजारा बदल जाएगा. इसके नए डिज़ाइन के लिए आगामी 15 अक्टूबर तक केंद्र सरकार (निविदा) टेंडर जारी कर सकती है.

शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर प्री-बिड बैठक हुई है. यह प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए पूरी पारदर्शिता के साथ इसकी शुरुआत की जा रही है. पुरी ने कहा, 'यह इमारत विरासत है, और इसलिए इसके अग्रभाग को बदला नहीं जा सकता.'

उन्होंने आगे कहा, 'यह प्रधानमंत्री की स्वप्निल परियोजना है. इनमें से अधिकतर इमारतें 1911 से 1927 के बीच बनी हैं जो बहुत शानदार हैं, लेकिन आजादी के बाद बनी कुछ इमारतें जल्दी में बनाई गईं प्रतीत होती है और वे शायद अपना मकसद पूरा कर चुकी हैं.'

मीडिया से बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी

उन्होंने कहा कि इसके अलावा आजादी के बाद बनी कई इमारतें भूकंप रोधी नहीं हैं और इनकी मरम्मत में बहुत लागत लगती है.

पढ़ें-पाक को PoK को भारत को सौप देना चाहिएः केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले

हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि देश की संसद ऐतिहासिक है. इसलिए अभी यह तय नहीं हुआ है कि इसी जगह पर नई संसद बनेगी या इसके पास की खाली जमीन में नई संसद खड़ी की जाएगी. इसे लेकर फिलहाल विचार विमर्श चल रहा है.

पुरी ने आगे कहा कि अभी संसद में सांसदों के पास बैठने के लिए कमरे नहीं हैं. कोई उनसे मिलने आए तो उनके पास वह जगह नहीं है, जहां बैठकर बातचीत कर सकें. नए संसद में यह सभी सुविधाएं होंगी. इसके अलावा नए संसद में तय सांसदों की संख्या से ज्यादा सीट होंगी ताकि भविष्य में अगर उनकी संख्या बढ़े तो किसी प्रकार की दिक्कत न आए.

पढ़ें-आधुनिक भारत में बंटवारा सबसे बड़ी भूल: जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री के अनुसार इस पुनर्निमाण के दौरान आसपास मौजूद दफ्तरों का भी काम किया जाएगा. नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उद्योग भवन, शास्त्री भवन आदि को भी नए सिरे से बनाया जाएगा. अभी यह तय नहीं हुआ है कि इन्हें एक जगह बनाया जाएगा या अलग-अलग जगहों पर बनाकर आपस में जोड़ा जाएगा. फिलहाल अभी इसके लिए बैठकों का दौर चल रहा है.

Intro:नई दिल्ली
एक शताब्दी पहले राजधानी के सबसे वीवीआइपी इलाके में लुटियन ने ऐतिहासिक दिल्ली का हिस्सा बनाया जिसे लुटियन दिल्ली के नाम से जाना जाता है. भारत सरकार अब इस जगह का पुनर्निमाण करने जा रही है. देश की संसद से लेकर नार्थ ब्लॉक एवं साउथ ब्लॉक का नजारा बदल जायेगा. इसके नए डिज़ाइन के लिए आगामी 15 अक्टूबर तक केंद्र सरकार टेंडर जारी कर सकती है.


Body:शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर गुरुवार शाम को प्री-बिड बैठक हुई है. यह प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है, इसलिए पूरी पारदर्शिता के साथ इसकी शुरुआत की जा रही है. अंग्रेजी हुकूमत ने वर्ष 1911 में संसद एवं राष्ट्रपति भवन को बनाने की शुरुआत की. यहां पर 1927 तक किया गया निर्माण कार्य बहुत अच्छा है, लेकिन इसके बाद किये गए निर्माण में दिक्कतें आ रही हैं. इन्हें बनाने में पुरानी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसलिए इनके पुनर्निमाण को लेकर विचार किया जा रहा है. उन्हें उम्मीद है कि सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल यह निर्माण कार्य शुरु हो जाएंगे.


देश को मिलेगी नई संसद, सांसदों को केबिन
हरदीप सिंह पूरी ने बताया कि देश की संसद ऐतिहासिक है. इसलिए अभी यह तय नहीं हुआ है कि इसी जगह पर नई से संसद बनेगी या इसके पास पड़ी खाली जमीन में नई संसद खड़ी की जाएगी. इसे लेकर फिलहाल विचार विमर्श चल रहा है. अभी संसद में सांसदों के पास बैठने के लिए कमरे नहीं हैं. कोई उनसे मिलने आये तो उनके पास वह जगह नहीं है जहां बैठकर बातचीत कर सकें. नए संसद में यह सभी सुविधाएं होंगीं. इसके अलावा नए संसद में तय सांसदों की संख्या से ज्यादा सीट होंगी ताकि भविष्य में अगर उनकी संख्या बढ़े तो किसी प्रकार की दिक्कत न आये.


Conclusion:सभी दफ्तर भी नए बनाये जाएंगे
हरदीप सिंह पूरी ने बताया कि इस पुनर्निमाण के दौरान आसपास मौजूद दफ्तरों का भी काम किया जाएगा. नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, उद्योग भवन, शास्त्री भवन आदि को भी नए सिरे से बनाया जाएगा. अभी यह तय नहीं हुआ है कि इन्हें एक जगह बनाया जाएगा या अलग-अलग जगहों पर बनाकर आपस में जोड़ा जाएगा. फिलहाल अभी इसके लिए बैठक का दौर चल रहा है.
Last Updated : Sep 30, 2019, 1:37 PM IST
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