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भारत बायोटेक कोवैक्सीन के चरण-3 के अध्ययन के लिए चयन संपन्न - भारत बायोटेक कोवैक्सीन

भारत बायोटेक कोवैक्सीन के तीसरे चरण के अध्ययन के लिए शुरू में देशभर में 25 क्लिनिकल साइटों का चयन किया गया था, लेकिन स्वयंसेवकों की संख्या की कमी की वजह से दिसंबर के आखिरी महीने में इसकी संख्या को बढ़ाया गया.

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भारत बायोटेक कोवैक्सीन के तीसरे चरण का अध्ययन
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Published : Jan 7, 2021, 3:40 PM IST

Updated : Jan 7, 2021, 9:12 PM IST

नई दिल्ली : हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने अपने कोविड वैक्सीन, कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षणों के लिए स्वयंसेवकों का चयन गुरुवार को संपन्न हुआ. कंपनी ने कुल स्वयंसेवकों की लक्षित संख्या हासिल कर ली है, जो कुल 25,800 प्रतिभागियों की हैं. बता दें, इस चयन का समापन 31 दिसंबर तक होना था, लेकिन उस समय 4,000 स्वयंसेवकों की कमी के कारण इसे एक सप्ताह बढ़ा दिया गया था.

सामुदायिक चिकित्सा के प्रमुख और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ट्रायल के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर संजय कुमार राय ने बताया कि तीसरे चरण के अध्ययन के लिए चयन अभी बंद है. निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हैदराबाद में कोवैक्सिन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के मुख्य इंवेस्टिगेटर डॉ. सी. प्रभाकर रेड्डी ने कहा कि कुछ केंद्र संख्याओं की वजह से अपने अपने व्यक्तिगत लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए.

जिन केंद्रों ने हासिल किया लक्ष्य उनको दिया गया मुआवजा

उन्होंने कहा कि हालांकि, जिन केंद्रों ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है, उसके लिए मुआवजा दे दिया गया है. जबकि कई केंद्रों ने चरण 3 के अध्ययन के लिए स्वयंसेवकों को खोजने के लिए संघर्ष किया, कुछ केंद्रों ने उन्हें बहुतायत में पंजीकृत किया. एम्स पटना ने कौवैक्सीन के लिए क्लिनिकल केंद्रों के लिए तय 1000 व्यक्तिगत लक्ष्य के बावजूद लगभग 1,400 विषयों को लिया. आईएएनएस ने पहले बताया था कि एम्स दिल्ली और कई अन्य क्लिनिकल केंद्र स्वयंसेवकों की कमी का सामना कर रहे हैं क्योंकि लोग इस अभ्यास में भाग लेने के लिए तैयार नहीं थे.

25 क्लिनिकल केंद्रों का किया गया था चयन

कोवैक्सीन के तीसरे चरण के अध्ययन के लिए शुरू में देशभर में 25 क्लिनिकल केंद्रों का चयन किया गया था, लेकिन स्वयंसेवकों की संख्या की कमी की वजह से दिसंबर के आखिरी महीने में इसकी संख्या को बढ़ाया गया. गोवा के रेडकर अस्पताल में परीक्षण के को-इंवेस्टिगेटर डॉ. धनंजय लाड ने आईएएनएस को बताया कि परीक्षण लगभग 30 क्लिनिकल केंद्रों तक बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा कि कई कारणों की वजह से कुछ साइटों को भी हटा दिया गया था. इसका एक कारण यह था कि यहां प्रतिभागियों की न्यूनतम संख्या भी पूरी नहीं हो पा रही थी.

पढ़ें: वैक्सीन के ड्राई रन पर आई प्रतिक्रिया की समीक्षा की गई : डॉ. हर्षवर्धन

कोवैक्सीन को भारत के ड्रग रेगुलेटर द्वारा प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गई है. हालांकि वैक्सीन की प्रभावकारिता का निर्धारण किया जाना बाकी है, लेकिन इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा सार्वजनिक हित का हवाला देते हुए आगे बढ़ाया गया है. वहीं, इस मामले पर भारत बायोटेक जेएमडी सुचित्रा एला ने ट्विटर पर आभार भी व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि 25,800 स्वयंसेवकों ने कोवाक्सिन के तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों के लिए पंजीकरण किया, जिसे भारत बायोटेक द्वारा तैयार किया जा रहा है. वह स्वयंसेवकों की शुक्रगुजार हैं. उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों और कर्मचारियों को बधाई दी जो कोवाक्सिन नैदानिक परीक्षणों के लिए ईमानदारी से और निरंतर रूप से काम कर रहे हैं.

नई दिल्ली : हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने अपने कोविड वैक्सीन, कोवैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षणों के लिए स्वयंसेवकों का चयन गुरुवार को संपन्न हुआ. कंपनी ने कुल स्वयंसेवकों की लक्षित संख्या हासिल कर ली है, जो कुल 25,800 प्रतिभागियों की हैं. बता दें, इस चयन का समापन 31 दिसंबर तक होना था, लेकिन उस समय 4,000 स्वयंसेवकों की कमी के कारण इसे एक सप्ताह बढ़ा दिया गया था.

सामुदायिक चिकित्सा के प्रमुख और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में ट्रायल के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर संजय कुमार राय ने बताया कि तीसरे चरण के अध्ययन के लिए चयन अभी बंद है. निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हैदराबाद में कोवैक्सिन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के मुख्य इंवेस्टिगेटर डॉ. सी. प्रभाकर रेड्डी ने कहा कि कुछ केंद्र संख्याओं की वजह से अपने अपने व्यक्तिगत लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाए.

जिन केंद्रों ने हासिल किया लक्ष्य उनको दिया गया मुआवजा

उन्होंने कहा कि हालांकि, जिन केंद्रों ने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है, उसके लिए मुआवजा दे दिया गया है. जबकि कई केंद्रों ने चरण 3 के अध्ययन के लिए स्वयंसेवकों को खोजने के लिए संघर्ष किया, कुछ केंद्रों ने उन्हें बहुतायत में पंजीकृत किया. एम्स पटना ने कौवैक्सीन के लिए क्लिनिकल केंद्रों के लिए तय 1000 व्यक्तिगत लक्ष्य के बावजूद लगभग 1,400 विषयों को लिया. आईएएनएस ने पहले बताया था कि एम्स दिल्ली और कई अन्य क्लिनिकल केंद्र स्वयंसेवकों की कमी का सामना कर रहे हैं क्योंकि लोग इस अभ्यास में भाग लेने के लिए तैयार नहीं थे.

25 क्लिनिकल केंद्रों का किया गया था चयन

कोवैक्सीन के तीसरे चरण के अध्ययन के लिए शुरू में देशभर में 25 क्लिनिकल केंद्रों का चयन किया गया था, लेकिन स्वयंसेवकों की संख्या की कमी की वजह से दिसंबर के आखिरी महीने में इसकी संख्या को बढ़ाया गया. गोवा के रेडकर अस्पताल में परीक्षण के को-इंवेस्टिगेटर डॉ. धनंजय लाड ने आईएएनएस को बताया कि परीक्षण लगभग 30 क्लिनिकल केंद्रों तक बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा कि कई कारणों की वजह से कुछ साइटों को भी हटा दिया गया था. इसका एक कारण यह था कि यहां प्रतिभागियों की न्यूनतम संख्या भी पूरी नहीं हो पा रही थी.

पढ़ें: वैक्सीन के ड्राई रन पर आई प्रतिक्रिया की समीक्षा की गई : डॉ. हर्षवर्धन

कोवैक्सीन को भारत के ड्रग रेगुलेटर द्वारा प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गई है. हालांकि वैक्सीन की प्रभावकारिता का निर्धारण किया जाना बाकी है, लेकिन इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा सार्वजनिक हित का हवाला देते हुए आगे बढ़ाया गया है. वहीं, इस मामले पर भारत बायोटेक जेएमडी सुचित्रा एला ने ट्विटर पर आभार भी व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि 25,800 स्वयंसेवकों ने कोवाक्सिन के तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों के लिए पंजीकरण किया, जिसे भारत बायोटेक द्वारा तैयार किया जा रहा है. वह स्वयंसेवकों की शुक्रगुजार हैं. उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों और कर्मचारियों को बधाई दी जो कोवाक्सिन नैदानिक परीक्षणों के लिए ईमानदारी से और निरंतर रूप से काम कर रहे हैं.

Last Updated : Jan 7, 2021, 9:12 PM IST
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