नई दिल्ली: चुनाव आयोग के सदस्य अशोक लवासा की चिट्ठी पर राजनीति शुरू हो गई है. चुनाव आयोग में मतभेद की खबरें आने के बाद कांग्रेस ने इसे अब तक का सबसे लाचार चुनाव आयोग करार दिया है. वहीं, बीजेपी ने चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की चिट्ठी को सिरे से नकारते हुए उसकी प्रमाणिकता पर सवाल उठाए हैं. बता दें, लवासा आचार संहिता के मामले में पीएम को क्लीन चिट देने पर सहमत नहीं थे. वह चाहते थे कि उन्हें अपना मत दर्ज करने दिया जाए.
ईटीवी से खास बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मीम अफजल ने कहा कि चुनाव आयोग इतना लाचार कभी नहीं रहा.
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अखबार के मुताबिक आयुक्त अशोक लवासा की दलील है कि उनके फैसले को आयोग के फैसले में संलग्न नहीं किया गया .इस मुद्दे को कांग्रेस ने आयोग के संवैधानिक जिम्मेदारी पर सवाल उठाते हुए कहा इस कदर लाचार चुनाव आयोग कभी सामने नहीं आया. ऐसा लगता है जैसे यह भाजपा का आयोग हो.
भाजपा का दावा है कि प्रधानमंत्री ने ऐसे कोई बयान नही दिए हैं जिन पर चुनाव आयुक्तों पर कोई मतभेद हो. बीजेपी का कहना है कि पीएम मोदी ने जो भी कहा है वो अचार संहिता का उल्लंघन नहीं है.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि ये रिपोर्ट आधिकारिक नहीं है. विपक्ष हर मुद्दे पर आरोप लगाता है और अब संवैधानिक संस्था पर दोबारा आरोप लगाया जा रहा है.
उन्होंने दावा किया कि सभी चुनाव आयुक्त मिलकर ही काम करते हैं और चुनाव आयुक्तों के बीच अगर ऐसा मतभेद होता तो वो खुलकर बोलते. पीएम ने अभी तक कोई ऐसा बयान नही दिया है जिस पर कोई भी आपत्ति दर्ज कर सके.
आरएलएसपी के राष्ट्रीय महासचिव माधव आनंद ने कहा कि पीएम ने आचार संहित का उल्लंघन किया है. मोदी और अमित शाह ने पिछले पांच साल में जितनी संवैधानिक संस्थाएं उन्हें खत्म करने का काम किया है. इस सरकार ने संस्थाओं की स्वायत्ता खत्म कर दी है. मोदी शाह ने इस संस्थाओं से अपने मन का काम करवाया है.