हैदराबाद: ब्रिटेन की अदालत ने हैदराबाद के सातवें निजाम के धन पर भारत के पक्ष में फैसला दिया है. इस फैसले पर उनके प्रपौत्र नवाब नजफ अली ने खुशी जाहिर की है. बुधवार को नवाब नजफ अली ने कहा कि उन्होंने 2008 में पाकिस्तान के साथ अदालत के बाहर समझौते का प्रयास किया था लेकिन पड़ोसी देश ने कोई जवाब नहीं दिया.
ब्रिटेन की हाई कोर्ट ने हैदराबाद के निजाम के धन को लेकर इस्लामाबाद के साथ दशकों पुराने कानूनी विवाद में बुधवार को भारत के पक्ष में फैसला दिया. यह विवाद 1947 में विभाजन के समय का है और धन लंदन में एक बैंक खाते में जमा है.
निजाम के वंशज और हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फकम जाह ने नेटवेस्ट बैंक पीएलसी में पड़े साढ़े तीन करोड़ पाउंड को लेकर कानूनी लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ भारत सरकार से हाथ मिला लिया.
यहां रहने वाले नजफ अली ने कहा, 'हमें खुशी है कि सात वर्षों बाद फैसला आया है. यह 2008 से ही मेरा प्रयास था.'
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उन्होंने कहा, 'मैंने तत्कालीन पाकिस्तान के उच्चायुक्त (भारत में) से बात शुरू की थी. मैंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी. उस वक्त प्रणब मुखर्जी विदेश मंत्री थे. हमने इन सब लोगों से मुलाकात की और उस वक्त हम पाकिस्तान के साथ अदालत के बाहर समझौता करना चाहते थे. 2013 में पाकिस्तान की सरकार ने अदालत में
याचिका दायर कर दावा किया कि यह धन उनका है.'
नजफ अली ने कहा कि प्रिंस मुकर्रम जाह वर्तमान में इंस्तांबुल में रहते हैं जबकि उनके भाई मुफ्फकम जाह लंदन में हैं.
(पीटीआई भाषा इनपुट)