भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 20 मार्च को बुलाए जाने संबंधी उच्चतम न्यायालय के आदेश पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सत्य की जीत होती है. इस मामले पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का व इसके हर पहलू का हम अध्ययन करेंगे, हमारे विधि विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे, सलाह लेंगे फिर उसके आधार पर निर्णय लेंगे.
वहीं मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के आवास पर कहा, 'हम फ्लोर टेस्ट के लिए पहले भी तैयार थे, आज भी तैयार हैं और हम कल फ्लोर टेस्ट में पास होंगे.'
मुख्यमंत्री कमलनाथ ट्वीट कर कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश का व इसके हर पहलू का हम अध्ययन करेंगे, हम विधि विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे, सलाह लेंगे, तब उसके आधार पर निर्णय लेंगे.'
बीजेपी के प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला सच्चाई की जीत है क्योंकि जिस दिन राज्यपाल जी का अभिभाषण हुआ था. उसी दिन पूरे देश ने देखा था कि विधानसभा के अंदर कांग्रेस का बहुमत नहीं है. वो अल्पमत हैं.
उन्होंने कहा कि कल पांच बजे के बाद कमलनाथ का सरकार नहीं रहेगी क्योंकि उनके पास बहुमत नहीं है.
दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के नेता राशिद अल्वी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इतने कम समय में सभी विधायकों को फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाना कैसे संभव है? मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट को कुछ समय और देना चाहिए था. इसी के साथ बेंगलुरु में जिन विधायकों को भाजपा ने जबरदस्ती कैद कर रखा है उनके मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर फैसला नहीं दिया है. अगर उनके उपस्थित होने से भाजपा को फायदा होने वाला है अभी वे लोग भोपाल आएंगे अन्यथा नहीं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बहुत सारे सवाल खड़े होते हैं.
राशिद अल्वी ने कहा, 'भारतीय जनता पार्टी का यही चरित्र है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त से राज्यों में सत्ता हासिल की जाए. बेंगलुरु में कैद कांग्रेस के विधायकों से किसी को बात नहीं करने दिया जा रहा. दिग्विजय सिंह पूर्व मुख्यमंत्री के साथ-साथ राज्यसभा के उम्मीदवार भी हैं. उनका पूरा अधिकार है कि वह अपने विधायकों से मिले ताकि उनसे लेकिन कर्नाटक सरकार ने उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया.
इस बीच मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने ट्वीट करके कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य तो है ही, राजनीति में शुचिता की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. सत्य की जीत हुई है.
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा, 'जो लोग समय खींचकर खरीद-फरोख्त करना चाहते थे, उनकी हार हुई है और देश मे एक बार फिर न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा है, न्याय की जीत हुई है.'
उधर शिवराज चौहान ने शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए संवाददाताओं से कहा, 'सत्यमेव जयते. न्याय की जीत हुई है. शक्ति परीक्षण में यह सरकार (कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार) पराजित होगी और नई सरकार (भाजपा नीत) बनने का रास्ता साफ होगा. यह सरकार अल्पमत में है और कल यह सिद्ध हो जाएगा.'
वहीं, गोपाल भार्गव ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर कहा, 'हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. यह लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखेगा और खरीद-फरोख्त को रोकेगा. राज्यपाल लालजी टंडन ने भी मुख्यमंत्री को शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दिया था.'
यह पूछे जाने पर कि क्या वर्तमान में बेंगलुरु में ठहरे कांग्रेस के बागी विधायक विधानसभा की बैठक में भाग लेने आएंगे, भार्गव ने कहा, 'यह उन पर निर्भर करेगा कि वे कितना सुरक्षित महसूस करते हैं. जब भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया (पूर्व केंद्रीय मंत्री) जैसे नेता पर हमला हो सकता है तो वे कैसे सुरक्षित महसूस कर सकते हैं. कल सदन की कार्यवाही में शामिल होना उनकी इच्छा पर निर्भर करता है.'
भार्गव ने कहा कि कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देने के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में है.
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गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को शाम पांच बजे तक मध्य प्रदेश विधानसभा में हाथ उठाकर शक्ति परीक्षण कराने का गुरुवार को आदेश दिया. शीर्ष अदालत ने विधानसभा की कार्यवाही की वीडियोग्राफी करने का भी निर्देश दिया है.