नई दिल्ली : भारतीय मानक ब्यूरो ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि दिल्ली में पीने का पानी बहुत दूषित है. इस रिपोर्ट पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सवाल खड़े किए थे और इसे राजनीति से प्रेरित बताया था.
दरअसल केंद्रीय खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) आता है.
केजरीवाल की आपत्ति के बाद केंद्रीय खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने उन्हें पत्र लिखकर जानकारी दी थी कि मंत्रालय पानी की गुणवत्ता की दोबारा जांच कराने को तैयार है. उसके लिए दिल्ली सरकार अपने अधिकारियों की एक टीम बनाए और मंत्रालय भी अपने अधिकारियों की एक टीम बनाएगा और दोनों टीमों के अधिकारी मिलकर पानी की गुणवत्ता की जांच कर रिपोर्ट जनता के सामने पेश करेंगे.
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रामविलास पासवान ने दिया जवाब
पासवान ने बुधवार को यहां एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, '16 नवंबर को बीआईएस (BIS) द्वारा देश के विभिन्न राज्यों से एकत्र किए गए पानी के निर्धारित मानकों के अनुसार शुद्धता की रैंकिंग जारी की गयी थी. 18 नवंबर को मैंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को यह अनुरोध करते हुए पत्र लिखा कि संयुक्त टीम के लिए केंद्र की ओर से बीआईएस के डीजी और डीडीजी (लैब) का नाम भेजा जा रहा है और दिल्ली के मुख्यमंत्री भी अपनी ओर से सक्षम वरिष्ठ अधिकारियों का नाम मुझे दें.'
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बैठक में दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से किसी ने भी भाग नहीं लिया
केंद्रीय मंत्री पासवान ने कहा कि इसके बाद दिनेश मोहनिया ने बीआईएस के महानिदेशक को एक पत्र लिखा, जिसमें पूर्व में मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए दो नामों के अनुसार बैठक हेतु समय निर्धारित करने की मांग की गई. 21 नवंबर को बीआईएस द्वारा दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ को पत्र लिखा गया, जिसमें 22 नवंबर को पूर्वाह्न दस बजे एक मीटिंग रखे जाने की सूचना दी गई.
रामविलास के अनुसार, '22 नवंबर को आयोजित बैठक में दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से किसी ने भी भाग नहीं लिया. इसके बाद बीआईएस के डीजी ने दिनेश मोहनिया को पत्र लिख अनुरोध किया कि माननीय मंत्री जी द्वारा 20 नवंबर को लिखे गए पत्र के आलोक में दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों/ विशेषज्ञ का नाम दिया जाए.'
बता दें कि 25 नवंबर को रामविलास ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को पुनः पत्र लिखकर अवगत कराया कि अब तक उनकी ओर से पानी की गुणवत्ता की जांच हेतु 32 अधिकारियों के नाम प्राप्त नहीं हुए हैं. यह भी अनुरोध किया गया कि पानी की जांच एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब से ही होनी चाहिए. बीआईएस द्वारा 9 दिसंबर को आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में जलापूर्ति से जुड़े अधिकारियों से भाग लेने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया है.