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मिसाइलों से अधिक हो गई है मोबाइल फोन की मारक क्षमता: राजनाथ सिंह - Military Literature Festival

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मोबाइलों की मारक क्षमता मिसाइलों से ज्यादा है. उन्होंने अपने संबोधन में लोगों को आगाह किया कि भविष्य में तकनीक से तमाम तरह के सुरक्षा खतरे सामने आ सकते हैं.

security threat from smart technology
प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Dec 18, 2020, 9:47 PM IST

चंडीगढ़ : विभिन्न देशों के बीच संघर्ष में जाहिर तौर पर सोशल मीडिया के प्रभाव का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि अब मोबाइल फोन की मारक क्षमता मिसाइलों से भी कहीं ज्यादा हो गई है.

रक्षा मंत्री ने यहां वार्षिक सैन्य साहित्य महोत्सव (एमएलएफ) को संबोधित करते हुए आगाह किया कि भविष्य में विभिन्न प्रकार के सुरक्षा खतरे सामने आ सकते हैं.

उन्होंने आनलाइन संबोधन में कहा, 'यह कार्यक्रम दूसरे दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है... समय बदलने के साथ ही खतरों और युद्धों की प्रकृति भी बदल रही है. भविष्य में, सुरक्षा से जुड़े अन्य विषय हमारे सामने आ सकते हैं.'

सिंह ने उन्होंने कहा कि संघर्ष धीरे-धीरे इस तरह से 'व्यापक' होते जा रहे हैं जिनके बारे में पहले कभी कल्पना नहीं की गई थी.

संभवत: सोशल मीडिया और मोबाइल ऐप के प्रभाव के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'आज, एक मोबाइल की मारक क्षमता एक मिसाइल की पहुंच से भी अधिक हो गई है.'

उन्होंने कहा कि दुश्मन अब कोई सीमा पार किए बिना भी लोगों तक पहुंच सकता है. उन्होंने हर सभी से एक सैनिक की भूमिका निभाने का आग्रह किया.

सिंह ने कहा, 'हमें इन खतरों से सतर्क रहना चाहिए और गलत एवं भ्रामक जानकारी से खुद को और दूसरों को भी बचाना चाहिए. यह तरह के महोत्सव इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.' उन्होंने साहित्यकारों से अपनी प्रतिभा का पूरा उपयोग इसके लिए करने का आग्रह किया.

रक्षा मंत्री ने विशिष्ट रूप से चीन का जिक्र नहीं किया. लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच गतिरोध शुरू होने के बाद से भारत ने हाल के महीनों में राष्ट्रीय सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित चिंताओं का जिक्र करते हुए कई चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाए हैं.

इनमें लोकप्रिय टिकटॉक और वीचैट जैसे ऐप शामिल हैं.

सिंह ने कहा कि महोत्सव का इस वर्ष का संस्करण विशेष है क्योंकि देश 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का 50वां वर्ष मना रहा है.

उन्होंने कहा कि कई पूर्व सैनिक मौजूद हैं जिन्होंने उस युद्ध को लड़ा. उन्होंने युवाओं से उन पूर्व सैनिकों से सीख लेने का आग्रह किया.

सिंह ने कहा कि उनका पिछले साल के महोत्सव में भाग लेने का कार्यकम था. लेकिन संसद सत्र के कारण वह चंडीगढ़ नहीं आ सके. लेकिन वह महोत्सव के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी लेते रहे.

उन्होंने कहा कि महोत्सव से सशस्त्र बलों के कामकाज के बारे में आम लोगों की समझ बेहतर हुई और युवाओं में देशभक्ति की भावना पैदा हुई.

सिंह ने कहा, 'पंजाब दशकों से बहादुरों की भूमि रही है और ऐसे में यह स्वाभाविक है कि इस तरह के महोत्सव यहां शुरू हुए. यह कार्यक्रम उन योद्धाओं का भी सम्मान है जिन्होंने देश की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.'

रक्षा मंत्री ने एमएलएफ 2020 के लिए चुने गए विषयों की सराहना की जिनमें जय जवान-जय किसान, रक्षा और बॉलीवुड में आत्मनिर्भरता शामिल हैं.

इससे पहले पंजाब के राज्यपाल वी पी सिंह बदनोर ने कहा कि एमएलएफ जैसे आयोजनों से सैन्य इतिहास, मूल्य और परंपराएं सामने आती हैं, अन्यथा आम लोगों को कभी इस बारे में पता नहीं चलता.

उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों को लेकर लोगों में खासा उत्साह रहता है और वास्तव में यह लोगों का त्योहार है जिसकी क्षेत्र के लोगों द्वारा हर साल बेसब्री से प्रतीक्षा की जाती है.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एन एन वोहरा ने कहा कि पहले युद्ध से जुड़े अनुभव और सैन्य मामलों पर प्रकाश डालने वाले दस्तावेजों के साथ गोपनीयता का भाव होता था और उन्हें आम लोगों से दूर रखा जाता था. लेकिन अब परिदृश्य बदल रहा है और अगर यह जारी रहता है, तो युवा पीढ़ी, खासकर सैन्य अकादमियों के कैडेट, वास्तव में इससे प्रेरित हो सकते हैं.

पढ़ें-कोई वायरस हमारे सशस्त्र बलों को नहीं रोक सकता: राजनाथ सिंह

यह सालाना कार्यक्रम पंजाब सरकार और सशस्त्र बलों की संयुक्त पहल है. इसका समापन रविवार को होगा.

चंडीगढ़ : विभिन्न देशों के बीच संघर्ष में जाहिर तौर पर सोशल मीडिया के प्रभाव का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि अब मोबाइल फोन की मारक क्षमता मिसाइलों से भी कहीं ज्यादा हो गई है.

रक्षा मंत्री ने यहां वार्षिक सैन्य साहित्य महोत्सव (एमएलएफ) को संबोधित करते हुए आगाह किया कि भविष्य में विभिन्न प्रकार के सुरक्षा खतरे सामने आ सकते हैं.

उन्होंने आनलाइन संबोधन में कहा, 'यह कार्यक्रम दूसरे दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है... समय बदलने के साथ ही खतरों और युद्धों की प्रकृति भी बदल रही है. भविष्य में, सुरक्षा से जुड़े अन्य विषय हमारे सामने आ सकते हैं.'

सिंह ने उन्होंने कहा कि संघर्ष धीरे-धीरे इस तरह से 'व्यापक' होते जा रहे हैं जिनके बारे में पहले कभी कल्पना नहीं की गई थी.

संभवत: सोशल मीडिया और मोबाइल ऐप के प्रभाव के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'आज, एक मोबाइल की मारक क्षमता एक मिसाइल की पहुंच से भी अधिक हो गई है.'

उन्होंने कहा कि दुश्मन अब कोई सीमा पार किए बिना भी लोगों तक पहुंच सकता है. उन्होंने हर सभी से एक सैनिक की भूमिका निभाने का आग्रह किया.

सिंह ने कहा, 'हमें इन खतरों से सतर्क रहना चाहिए और गलत एवं भ्रामक जानकारी से खुद को और दूसरों को भी बचाना चाहिए. यह तरह के महोत्सव इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.' उन्होंने साहित्यकारों से अपनी प्रतिभा का पूरा उपयोग इसके लिए करने का आग्रह किया.

रक्षा मंत्री ने विशिष्ट रूप से चीन का जिक्र नहीं किया. लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच गतिरोध शुरू होने के बाद से भारत ने हाल के महीनों में राष्ट्रीय सुरक्षा और गोपनीयता से संबंधित चिंताओं का जिक्र करते हुए कई चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाए हैं.

इनमें लोकप्रिय टिकटॉक और वीचैट जैसे ऐप शामिल हैं.

सिंह ने कहा कि महोत्सव का इस वर्ष का संस्करण विशेष है क्योंकि देश 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का 50वां वर्ष मना रहा है.

उन्होंने कहा कि कई पूर्व सैनिक मौजूद हैं जिन्होंने उस युद्ध को लड़ा. उन्होंने युवाओं से उन पूर्व सैनिकों से सीख लेने का आग्रह किया.

सिंह ने कहा कि उनका पिछले साल के महोत्सव में भाग लेने का कार्यकम था. लेकिन संसद सत्र के कारण वह चंडीगढ़ नहीं आ सके. लेकिन वह महोत्सव के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी लेते रहे.

उन्होंने कहा कि महोत्सव से सशस्त्र बलों के कामकाज के बारे में आम लोगों की समझ बेहतर हुई और युवाओं में देशभक्ति की भावना पैदा हुई.

सिंह ने कहा, 'पंजाब दशकों से बहादुरों की भूमि रही है और ऐसे में यह स्वाभाविक है कि इस तरह के महोत्सव यहां शुरू हुए. यह कार्यक्रम उन योद्धाओं का भी सम्मान है जिन्होंने देश की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.'

रक्षा मंत्री ने एमएलएफ 2020 के लिए चुने गए विषयों की सराहना की जिनमें जय जवान-जय किसान, रक्षा और बॉलीवुड में आत्मनिर्भरता शामिल हैं.

इससे पहले पंजाब के राज्यपाल वी पी सिंह बदनोर ने कहा कि एमएलएफ जैसे आयोजनों से सैन्य इतिहास, मूल्य और परंपराएं सामने आती हैं, अन्यथा आम लोगों को कभी इस बारे में पता नहीं चलता.

उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों को लेकर लोगों में खासा उत्साह रहता है और वास्तव में यह लोगों का त्योहार है जिसकी क्षेत्र के लोगों द्वारा हर साल बेसब्री से प्रतीक्षा की जाती है.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल एन एन वोहरा ने कहा कि पहले युद्ध से जुड़े अनुभव और सैन्य मामलों पर प्रकाश डालने वाले दस्तावेजों के साथ गोपनीयता का भाव होता था और उन्हें आम लोगों से दूर रखा जाता था. लेकिन अब परिदृश्य बदल रहा है और अगर यह जारी रहता है, तो युवा पीढ़ी, खासकर सैन्य अकादमियों के कैडेट, वास्तव में इससे प्रेरित हो सकते हैं.

पढ़ें-कोई वायरस हमारे सशस्त्र बलों को नहीं रोक सकता: राजनाथ सिंह

यह सालाना कार्यक्रम पंजाब सरकार और सशस्त्र बलों की संयुक्त पहल है. इसका समापन रविवार को होगा.

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