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पांच सितारा कचरा मुक्त शहरों में राजकोट भी शामिल, जानें कैसे.. - राजकोट बना पांच सितारा कचरा मुक्त शहर

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के मुख्य शहर, राजकोट को इस साल देश के पांच सितारा कचरा मुक्त शहर का तमगा मिल गया है. इस साल देश के छह बड़े कचरा मुक्त शहरों में अंबिकापुर (छत्तीसगढ़), राजकोट, सूरत, मैसुरु, इंदौर और नवी मुंबई शामिल हैं. इस दौरान ईटीवी भारत ने राजकोट के नगर आयुक्त बात की. जाने, किन उपायों से राजकोट बना पांच सितारा कचरा मुक्त शहर. पढ़ें विस्तार से...

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सांकेतिक चित्र
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Published : May 25, 2020, 3:44 PM IST

अहमदाबाद : गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के मुख्य शहर, राजकोट को इस साल देश के पांच बड़े कचरा मुक्त शहरों में जगह मिली है. प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ भारत अभियान शुरू करने के बाद से सभी राज्य कचरा मुक्त बनने की कोशिश कर रहे हैं ऐसे में राजकोट को पांच सितारा कचरा मुक्त शहरों की सूची में शामिल किया जाना गर्व की बात है.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को अंबिकापुर (छत्तीसगढ़), राजकोट, सूरत, मैसुरु, इंदौर और नवी मुंबई को कचरा मुक्त घोषित किया. गुजरात से दो शहरों को इस सूची में जगह मिली है.

ईटीवी भारत से बातचीत में राजकोट नगर आयुक्त ने कहा कि पहले के सर्वेक्षण में, राजकोट को केवल तीन सितारा दर्जा मिला था. तब से, राजकोट ने माइक्रो प्लानिंग के माध्यम से नई तकनीकों को विकसित किया और वर्तमान स्थिति को प्राप्त करने के लिए डोर-टू-डोर सर्वे करके अपनी पिछली गलतियों को ठीक किया.

राजकोट में सार्वजनिक रूप से थूकना और एकल उपयोग प्लास्टिक बैग के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. सूखे और गीले कचरे को से घर घर संग्रह करने के लिए व्यवस्था की गई है. घर से कचरा उठाने वाले वाहनों में जीपीएस लगाए गए ताकि यह निगरानी की जा सके की वकई वाहन अपने निर्धारित रूट पर हर घर से कूड़ा कचरा इकठ्ठा कर रहे हैं.

ये वाहन विभिन्न आवासीय कॉलोनियों से दिन भर कचरा इकट्ठा करते हैं और फिर आजी बांध के पास दो स्थानों पर गीले और सूखे कचरे को अलग करते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, ये वाहन हर दिन 700 टन कचरा इकट्ठा करते हैं.

इसके अलावा, शहर ने आई-वे परियोजना के तहत सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए हैं, जिनके द्वारा अपने दो या चार पहिया वाहनों को चलाते समय सार्वजनिक स्थानों पर थूकने वालों को पकड़ा जाता है और नगर निगमों द्वारा उनके पते पर सीधे नोटिस जारी किए जाते हैं. इस अभियान में सहकारी हाउसिंग सोसायटी, एनजीओ और ट्रेडर्स एसोसिएशन के संघों का सहयोग भी मांगा गया है, जिसका परिणाम है कि राजकोट ने फाइव स्टार का दर्जा हासिल किया है.

पढ़ें- महाराष्ट्र में संक्रमितों का आंकड़ा 50 हजार के पार, घरेलू यात्राओं के लिए परामर्श जारी

जब ईटीवी भारत ने राजकोट नगर निगम में विपक्ष के नेता वशराम सगठिया से इस बारे में पूछा तो उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राजकोट को यह रैंकिंग दी है क्योंकि मुख्यमंत्री विजय रूपानी इसी शहर से हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर के गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे.

उन्होंने कहा कि शहर के कई वार्ड ऐसे हैं, जहां कचरे के ढेर मिल सकते हैं.

नगर निगम ने पहले राजकोट को सात सितारा रैंकिंग के लिए नामित किया था लेकिन देश के किसी भी शहर को सात सितारा रैंक नहीं मिली थी.

अहमदाबाद : गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के मुख्य शहर, राजकोट को इस साल देश के पांच बड़े कचरा मुक्त शहरों में जगह मिली है. प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ भारत अभियान शुरू करने के बाद से सभी राज्य कचरा मुक्त बनने की कोशिश कर रहे हैं ऐसे में राजकोट को पांच सितारा कचरा मुक्त शहरों की सूची में शामिल किया जाना गर्व की बात है.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को अंबिकापुर (छत्तीसगढ़), राजकोट, सूरत, मैसुरु, इंदौर और नवी मुंबई को कचरा मुक्त घोषित किया. गुजरात से दो शहरों को इस सूची में जगह मिली है.

ईटीवी भारत से बातचीत में राजकोट नगर आयुक्त ने कहा कि पहले के सर्वेक्षण में, राजकोट को केवल तीन सितारा दर्जा मिला था. तब से, राजकोट ने माइक्रो प्लानिंग के माध्यम से नई तकनीकों को विकसित किया और वर्तमान स्थिति को प्राप्त करने के लिए डोर-टू-डोर सर्वे करके अपनी पिछली गलतियों को ठीक किया.

राजकोट में सार्वजनिक रूप से थूकना और एकल उपयोग प्लास्टिक बैग के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. सूखे और गीले कचरे को से घर घर संग्रह करने के लिए व्यवस्था की गई है. घर से कचरा उठाने वाले वाहनों में जीपीएस लगाए गए ताकि यह निगरानी की जा सके की वकई वाहन अपने निर्धारित रूट पर हर घर से कूड़ा कचरा इकठ्ठा कर रहे हैं.

ये वाहन विभिन्न आवासीय कॉलोनियों से दिन भर कचरा इकट्ठा करते हैं और फिर आजी बांध के पास दो स्थानों पर गीले और सूखे कचरे को अलग करते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, ये वाहन हर दिन 700 टन कचरा इकट्ठा करते हैं.

इसके अलावा, शहर ने आई-वे परियोजना के तहत सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए हैं, जिनके द्वारा अपने दो या चार पहिया वाहनों को चलाते समय सार्वजनिक स्थानों पर थूकने वालों को पकड़ा जाता है और नगर निगमों द्वारा उनके पते पर सीधे नोटिस जारी किए जाते हैं. इस अभियान में सहकारी हाउसिंग सोसायटी, एनजीओ और ट्रेडर्स एसोसिएशन के संघों का सहयोग भी मांगा गया है, जिसका परिणाम है कि राजकोट ने फाइव स्टार का दर्जा हासिल किया है.

पढ़ें- महाराष्ट्र में संक्रमितों का आंकड़ा 50 हजार के पार, घरेलू यात्राओं के लिए परामर्श जारी

जब ईटीवी भारत ने राजकोट नगर निगम में विपक्ष के नेता वशराम सगठिया से इस बारे में पूछा तो उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राजकोट को यह रैंकिंग दी है क्योंकि मुख्यमंत्री विजय रूपानी इसी शहर से हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर के गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे.

उन्होंने कहा कि शहर के कई वार्ड ऐसे हैं, जहां कचरे के ढेर मिल सकते हैं.

नगर निगम ने पहले राजकोट को सात सितारा रैंकिंग के लिए नामित किया था लेकिन देश के किसी भी शहर को सात सितारा रैंक नहीं मिली थी.

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