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पंजाब, हरियाणा में पराली जलाने पर रोक के लिए अदालत में अर्जी

पंजाब और हरियाणा राज्यों को पराली जलाने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर की गई है. इस याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

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Published : Sep 28, 2020, 5:53 PM IST

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पंजाब, हरियाणा में पराली जलाने पर रोक के लिए अदालत में अर्जी दायर

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस अर्जी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें इस आधार पर पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर रोक के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया गया है कि इससे कोविड-19 संबंधी समस्याएं और बढ़ सकती हैं.

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने उस अर्जी पर केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसमें दलील दी गई थी कि पराली जलाए जाने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण काफी बढ़ जाएगा, जिससे शहर में कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ सकती हैं.

अर्जी अधिवक्ता सुधीर मिश्रा की ओर से दायर की गई थी, जिन्होंने अदालत से आग्रह किया कि केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह मुद्दे के समाधान के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के बीच एक बैठक का समन्वय करे.

सुनवाई के दौरान मिश्रा ने अदालत को बताया कि पराली जलाया जाना पंजाब और हरियाणा में पहले ही शुरू हो चुका है.

पढ़ें : पराली जलाने से बचने के लिए तुरंत उचित कदम उठाए पंजाब और हरियाणा: EPCA

केंद्र ने पीठ को बताया कि संबंधित राज्य सरकारों ने पराली नहीं जलाने या ऐसा करने पर जुर्माने का सामना करने को लेकर निर्देश जारी किए हैं, लेकिन किसान ऐसा कर रहे हैं.

अदालत ने मामले को 22 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और केंद्र सरकार से यह पता लगाने के लिए कहा कि क्या इसी तरह का कोई मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है.

मिश्रा ने यह अर्जी 2015 में दायर अपनी मुख्य जनहित याचिका के साथ संलग्न की, जिसमें उन्होंने केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया था.

उन्होंने दावा किया है कि वायु प्रदूषण बढ़ने और दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बीच सीधा संबंध है.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस अर्जी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें इस आधार पर पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर रोक के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया गया है कि इससे कोविड-19 संबंधी समस्याएं और बढ़ सकती हैं.

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने उस अर्जी पर केंद्र को नोटिस जारी किया, जिसमें दलील दी गई थी कि पराली जलाए जाने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण काफी बढ़ जाएगा, जिससे शहर में कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ सकती हैं.

अर्जी अधिवक्ता सुधीर मिश्रा की ओर से दायर की गई थी, जिन्होंने अदालत से आग्रह किया कि केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह मुद्दे के समाधान के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के बीच एक बैठक का समन्वय करे.

सुनवाई के दौरान मिश्रा ने अदालत को बताया कि पराली जलाया जाना पंजाब और हरियाणा में पहले ही शुरू हो चुका है.

पढ़ें : पराली जलाने से बचने के लिए तुरंत उचित कदम उठाए पंजाब और हरियाणा: EPCA

केंद्र ने पीठ को बताया कि संबंधित राज्य सरकारों ने पराली नहीं जलाने या ऐसा करने पर जुर्माने का सामना करने को लेकर निर्देश जारी किए हैं, लेकिन किसान ऐसा कर रहे हैं.

अदालत ने मामले को 22 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और केंद्र सरकार से यह पता लगाने के लिए कहा कि क्या इसी तरह का कोई मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है.

मिश्रा ने यह अर्जी 2015 में दायर अपनी मुख्य जनहित याचिका के साथ संलग्न की, जिसमें उन्होंने केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया था.

उन्होंने दावा किया है कि वायु प्रदूषण बढ़ने और दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बीच सीधा संबंध है.

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