कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य के सामुदायिक दुर्गा पूजा आयोजकों को निर्देश दिया कि उन्हें पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दिए गए 50,000 रुपये के अनुदान का 75 प्रतिशत कोरोना से बचाने वाले उपकरणों पर और शेष राशि कम्युनिटी पुलिसिंग में अधिक महिलाओं को शामिल करने में खर्च करना होगा.
न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि स्टेट बैंक द्वारा दुर्गा पूजा समितियों को दिए गए धन का उपयोग किसी अन्य प्रयोजन के लिए नहीं किया जा सकता है और खरीद बिल को आडिट के लिए प्रस्तुत करना होगा.
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में 36,946 दुर्गापूजा समितियों में से प्रत्येक के लिए 50,000 रुपये अनुदान की घोषणा की थी. सीटू नेता सौरव दत्ता ने 50,000 रुपये अनुदान सहित फायर ब्रिगेड और बिजली वितरण कंपनियों के लिए आवेदन शुल्क में छूट जैसे अन्य अनुदानों को चुनौती देते हुए डिवीजन बेंच के समक्ष 9 अक्टूबर को याचिका दायर की. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस तरह का अनुदान भारत में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा के खिलाफ है और यह संविधान में प्रदान किए गए अधिकारों को आहत करता है.
तर्कों के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि अनुदान कोविड उपकरण खरीदने और जनता-पुलिस संबंध के लिए है. अदालत ने निर्देश दिया कि प्रत्येक समितियों के 50,000 रुपये में से 25 प्रतिशत का उपयोग कम्युनिटी पुलिसिंग में अधिक महिलाओं को शामिल करने के लिए किया जाएगा. यह भी कहा कि शेष 75 प्रतिशत धनराशि का उपयोग सेनिटाइजर और मास्क खरीदने के लिए किया जाएगा.