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एसटीआईपी 2020 टाउन हॉल मीट लॉन्च - टाउन हॉल मीट लॉन्च

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन और डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने 12 जून, 2020 को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी) 2020 के निर्माण के लिए आम लोगों और विशेषज्ञों से परामर्श प्राप्त करने हेतु एसटीआईपी 2020 टाउन हॉल मीट, ट्रैक-I लॉन्च किया.

एसटीआईपी 2020 टाउन हॉल मीट लॉन्च
एसटीआईपी 2020 टाउन हॉल मीट लॉन्च
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Published : Jun 14, 2020, 3:27 AM IST

नई दिल्ली : भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन और डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने 12 जून, 2020 को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी) 2020 के निर्माण के लिए आम लोगों और विशेषज्ञों से परामर्श प्राप्त करने हेतु एसटीआईपी 2020 टाउन हॉल मीट, ट्रैक-I लॉन्च किया.

एसटीआईपी 2020 टाउन हॉल मीट का उद्घाटन करते हुए प्रोफेसर के. विजय राघवन ने कहा कि कोरोना ने हमें दिखाया है कि विज्ञान में निवेश करना महत्वपूर्ण है. परिवर्तन और सतत निरंतरता, पर्यावरण और जैव विविधता एवं सूचना जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भारत, साम्राज्यवाद से मुक्त कुछ गिने चुने देशों में एक है, जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में निवेश किया है.

उन्होंने विज्ञान और ज्ञान को सभी लोगों के लिए सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया. इसके लिए भाषा और अन्य बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए. नीति-निर्माण के द्वारा जितना संभव हो, अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाना चाहिए. इसके लिए विज्ञान का अनुवाद बहुत आवश्यक है, ताकि लोग अपनी भाषा में स्वतंत्र रूप से सोच सकें तथा ज्ञान और संसाधनों का लाभ उठा सकें.

ट्रैक I परामर्श प्रक्रिया में, साइंस पालिसी फोरम के माध्यम से आम लोगों और विशेषज्ञों से व्यापक स्तर पर परामर्श प्राप्त करना शामिल है. इसका लक्ष्य एसटीआईपी 2020 को विकेंद्रीकृत और समावेशी बनाना है. साइंस पालिसी फोरम एक समर्पित मंच है जिसके माध्यम से विज्ञान नीति के बारे में आम लोगों और विशेषज्ञों के विचारों/परामर्शों को आमंत्रित किया गया है.

ट्रैक I के तहत विशेषज्ञों और नीति विद्वानों के साथ संवाद श्रृंखला, आम लोगों के संवाद के साथ एक विषय आधारित पैनल परिचर्चा, लक्षित सर्वेक्षण, लिखित सामग्री के लिए प्रिंट मीडिया व चैनल के लेख, व्यापक कनेक्टिविटी के लिए सामुदायिक पॉडकास्ट शामिल होंगे.

वहीं प्रो आशुतोष शर्मा ने कहा कि नई नीति में सभी हितधारकों के बीच बाधारहित आपसी समन्वय होना चाहिए, इसके लिए श्रृंखला की कमजोर कड़ियों, पृथक रूप से काम करने आदि की पहचान करके इन्हें दूर किया जाना चाहिए. भविष्य, सभी प्रौद्योगिकियों के आपसी तालमेल और एकीकरण पर आधारित होगा.

नई दिल्ली : भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन और डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने 12 जून, 2020 को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी) 2020 के निर्माण के लिए आम लोगों और विशेषज्ञों से परामर्श प्राप्त करने हेतु एसटीआईपी 2020 टाउन हॉल मीट, ट्रैक-I लॉन्च किया.

एसटीआईपी 2020 टाउन हॉल मीट का उद्घाटन करते हुए प्रोफेसर के. विजय राघवन ने कहा कि कोरोना ने हमें दिखाया है कि विज्ञान में निवेश करना महत्वपूर्ण है. परिवर्तन और सतत निरंतरता, पर्यावरण और जैव विविधता एवं सूचना जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भारत, साम्राज्यवाद से मुक्त कुछ गिने चुने देशों में एक है, जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में निवेश किया है.

उन्होंने विज्ञान और ज्ञान को सभी लोगों के लिए सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया. इसके लिए भाषा और अन्य बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए. नीति-निर्माण के द्वारा जितना संभव हो, अधिक से अधिक लोगों को जोड़ा जाना चाहिए. इसके लिए विज्ञान का अनुवाद बहुत आवश्यक है, ताकि लोग अपनी भाषा में स्वतंत्र रूप से सोच सकें तथा ज्ञान और संसाधनों का लाभ उठा सकें.

ट्रैक I परामर्श प्रक्रिया में, साइंस पालिसी फोरम के माध्यम से आम लोगों और विशेषज्ञों से व्यापक स्तर पर परामर्श प्राप्त करना शामिल है. इसका लक्ष्य एसटीआईपी 2020 को विकेंद्रीकृत और समावेशी बनाना है. साइंस पालिसी फोरम एक समर्पित मंच है जिसके माध्यम से विज्ञान नीति के बारे में आम लोगों और विशेषज्ञों के विचारों/परामर्शों को आमंत्रित किया गया है.

ट्रैक I के तहत विशेषज्ञों और नीति विद्वानों के साथ संवाद श्रृंखला, आम लोगों के संवाद के साथ एक विषय आधारित पैनल परिचर्चा, लक्षित सर्वेक्षण, लिखित सामग्री के लिए प्रिंट मीडिया व चैनल के लेख, व्यापक कनेक्टिविटी के लिए सामुदायिक पॉडकास्ट शामिल होंगे.

वहीं प्रो आशुतोष शर्मा ने कहा कि नई नीति में सभी हितधारकों के बीच बाधारहित आपसी समन्वय होना चाहिए, इसके लिए श्रृंखला की कमजोर कड़ियों, पृथक रूप से काम करने आदि की पहचान करके इन्हें दूर किया जाना चाहिए. भविष्य, सभी प्रौद्योगिकियों के आपसी तालमेल और एकीकरण पर आधारित होगा.

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