अमरावती: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से PSLV C-50 रॉकेट के माध्यम से सीएमएस-01 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया. यह संचार प्रणाली के संदर्भ में इसरो की 42वीं परियोजना है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि उपग्रह का जीवन काल सात साल का होगा.
इसरो के भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी50 ने श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र में प्रक्षेपण स्थल से रवाना होने के 20 मिनट बाद उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया.
सीएमएस-01 अंतरिक्ष एजेंसी का 42वां संचार उपग्रह है और उपग्रह के जरिए अंडमान निकोबार द्वीप समूह व लक्षद्वीप समेत भारत के विभिन्न हिस्सों में फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के विस्तारित सी बैंड की सेवाएं मिलेंगी.
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि उपग्रह अच्छे से काम कर रहा है. उन्होंने मिशन नियंत्रण केंद्र से वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि उपग्रह का सोलर पैनल काम करने लगा है.
उन्होंने कहा, मुझे यह घोषणा करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि पीएसएलवी-सी50 ने पूर्व निर्धारित कक्षा में बेहद सटीकता से संचार उपग्रह सीएमएस-01 को स्थापित कर दिया. अब से अगले चार दिन में उपग्रह जीटीओ (जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में निर्धारित स्थान ले लेगा.
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सिवन ने कहा कि यह उपग्रह 11 साल पहले प्रक्षेपित संचार उपग्रह जीसैट-12 का स्थान लेगा.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक, उपग्रह का जीवनकाल सात साल से ज्यादा का होगा.
इसरो के भविष्य के अभियानों-चंद्रयान-तीन, महत्वाकांक्षी मिशन आदित्य एल-एक और गगनयान का उल्लेख करते हुए के सिवन ने कहा कि वे जल्द से जल्द मिशन को अंजाम देने की योजनाएं बना रहे हैं. इसमें बहुप्रतीक्षित जीएसएलवी और एसएसएलवी अभियान भी शामिल हैं.
सिवन ने कहा कि आगे कई सारे अभियान हैं और हमेशा की तरह इसरो की टीम को सफलता मिलती रहेगी.
पीएसएलवी-सी50 एक्सएल संरचना (छह स्ट्रेप ऑन मोटर से लैस) में पीएसएलवी की 22वीं उड़ान है और श्रीहरिकोटा से 77वीं बार प्रक्षेपण यान को प्रक्षेपित किया गया है. श्रीहरिकोटा चेन्नई से करीब 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
कोविड-19 महामारी के बीच इसरो के इस साल के पहले अभियान में पीएसएलवी सी-49 (ईओएस) पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह और नौ अन्य उपग्रहों को सात नवंबर को प्रक्षेपित किया गया था. इसरो के लिए आज का प्रक्षेपण 2020 का अंतिम अभियान है.