नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर अहमद फारूकी को तत्काल सुरक्षा प्रदान करे. फारूकी ने अपनी जान को खतरा बताया है.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मध्यस्थता समिति के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू द्वारा संबोधित पत्र का संज्ञान लिया. इसमें कहा गया था कि फारूकी ने अपनी जान को खतरा होने की आशंका व्यक्त की है.
संविधान पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हम उप्र सरकार को निर्देश देते हैं कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाए.' संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.
अयोध्या के राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद प्रकरण में 38वें दिन की सुनवाई के अंतिम क्षणों में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि उन्हें शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति के सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू से एक पत्र मिला है, जिसमें फारूकी की जान को खतरे का जिक्र है.
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मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि संबंधित व्यक्ति हो सकता है कि राज्य सरकार से ही खतरा महसूस कर रहा हो.
पीठ ने धवन के कथन पर ध्यान नहीं दिया और राज्य सरकार को फारूकी को तुरंत सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया. इस मामले में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी कर रही हैं.
फारूकी ने हाल में कथित तौर पर यह मांग करके हलचल पैदा कर दी थी कि अयोध्या विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिये मध्यस्थता फिर से शुरू की जाए.