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कुशल श्रमिकों के दम पर ही प्रगति कर सकेगा भारत

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Published : Dec 19, 2020, 9:26 AM IST

Updated : Dec 19, 2020, 1:00 PM IST

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की वर्ष 2020 की रिपोर्ट भारत के लिए चिंता का कारण है. वजह 189 देशों में मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) की सूची में भारत को 131वां स्थान प्राप्त हुआ है.

कुशल श्रमिकों के दम पर
कुशल श्रमिकों के दम पर

हैदराबाद: मानव विकास के यूएनडीपी सूचकांक में भारत 131 वें स्थान पर फिसल गया है. यहां तक कि भूटान जैसा देश कुल 189 देशों के सूचकांक में 129 वीं रैंक के साथ हमसे आगे है.

यूनेस्को के अनुसार 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को मध्यवर्ती या उससे अधिक की शैक्षिक योग्यता के साथ कुशल श्रमिक माना जाता है. उस परिभाषा के आधार पर, जापान, बेलारूस, यूएसए, लिथुआनिया और रूस बहुत ही बेहतर स्थिति में हैं, क्योंकि उनके यहां की 95 प्रतिशत आबादी कुशल श्रमिक है. 27 लाख की आबादी वाले लिथुआनिया से लेकर 33 करोड़ वाले अमेरिका जैसे उन्नत देश कौशल विकास कर रहे हैं.

चिंता ये : पांच में से केवल एक ही कुशल श्रमिक
भारत का दुर्भाग्य यह है कि प्रत्येक पांच व्यक्तियों में यहां केवल 1 ही एक ही कुशल श्रमिक है. कई अध्ययनों ने संकेत दिया है कि हमारे युवा रोजगार के मोर्चे पर पिछड़ रहे हैं. अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि आबादी में कुशल श्रमिकों का प्रतिशत नाममात्र है.

कई देश जो जनसंख्या और भौगोलिक क्षेत्र के आकार के मामले में भारत के साथ तुलना में किसी भी तरह से नहीं हैं, रोजगार देने वाले उम्मीदवारों की संख्या के मामले में हमारे देश से बहुत आगे हैं. इससे पता चलता है कि हमारी नीतियों और योजना में तुरंत सुधार की जरूरत है.

26 प्रतिशत युवा ही उच्च शिक्षित

शिक्षा के क्षेत्र में भी बात करें तो हमारे 97 प्रतिशत बच्चे प्राथमिक विद्यालयों में प्रवेश ले रहे हैं, लेकिन 70 प्रतिशत ही मध्यमिक स्कूल तक पहुंच रहे हैं. जबकि उच्च शिक्षा में ये प्रतिशत और भी कम हो जाता है, यह केवल 26 प्रतिशत युवा ही हासिल कर पाते हैं. जो दर्शाता है कि हमारी युवा पीढ़ी कौशल विकास, उचित शिक्षा और आजीविका से वंचित हो रही है.

युवाओं की ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं

हालांकि यूएनडीपी का कहना है कि उसके पास चीन से संबंधित आंकड़े नहीं हैं, लेकिन कुछ समय पहले खबर थी कि उसके लगभग आधे युवा, जिन्होंने सीनियर सेकेंडरी स्कूल पूरा कर लिया है, पेशेवरों के रूप में काम कर रहे हैं. जनसंख्या के मोर्चे पर बात की जाए तो भारत केवल चीन के बाद है. 138 करोड़ की आबादी है. हमारे देश की लगभग 62 प्रतिशत जनसंख्या 15 से 59 वर्ष के बीच है. वर्तमान में देश के 50 प्रतिशत से अधिक नागरिक 25 वर्ष से कम आयु के हैं. लेकिन हम अपने युवाओं की ऊर्जा का अच्छा इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं, यही भारत की प्रगति में बाधक है. कई संगठनों के प्रबंधन ये कहते रहे हैं कि उन्हें रोजगार योग्य कुशल लोग नहीं मिल रहे हैं. दूसरी ओर हम देखते हैं जहां पोस्ट-ग्रेजुएट भी सामान्य नौकरियों के लिए कतार में खड़े होते हैं.

'स्किल इंडिया’ के लक्ष्य में पीछे

एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक 40 करोड़ कुशल श्रमिक बनाने के उद्देश्य के साथ 'स्किल इंडिया’ परियोजना शुरू की थी, लेकिन लक्ष्य अभी भी बहुत दूर है. जब राज्यों की बात की जाती है और तुलना आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और तमिलनाडु के साथ तुलना की जाती है, तो कौशल भारत परियोजना के तहत लाभार्थियों की संख्या हिमाचल प्रदेश, यूपी और सिक्किम जैसे राज्यों की बहुत कम है.

पढ़ें: संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक में भारत का 131वां स्थान

कोरोना महामारी से उपजे संकट के कारण करोड़ों लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने कहा है कि बेरोजगारी की दर ग्रामीण इलाकों में 9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 11 प्रतिशत तक पहुंच गई है. विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि करोड़ों नौकरियों के लिए नए कौशल की आवश्यकता होगी और वर्ष 2025 तक नौकरी की प्रकृति को मान्यता से परे बदल दिया जाएगा.

यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर उभरने वाले 80 करोड़ बेरोजगारों में से अधिकतर भारतीय होंगे. कौशल विकास पर विशेष जोर देकर और रोजगार के अवसरों में सुधार करने पर ही भारत को इस दुष्चक्र से बाहर निकलने में मदद मिलेगी.

हैदराबाद: मानव विकास के यूएनडीपी सूचकांक में भारत 131 वें स्थान पर फिसल गया है. यहां तक कि भूटान जैसा देश कुल 189 देशों के सूचकांक में 129 वीं रैंक के साथ हमसे आगे है.

यूनेस्को के अनुसार 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को मध्यवर्ती या उससे अधिक की शैक्षिक योग्यता के साथ कुशल श्रमिक माना जाता है. उस परिभाषा के आधार पर, जापान, बेलारूस, यूएसए, लिथुआनिया और रूस बहुत ही बेहतर स्थिति में हैं, क्योंकि उनके यहां की 95 प्रतिशत आबादी कुशल श्रमिक है. 27 लाख की आबादी वाले लिथुआनिया से लेकर 33 करोड़ वाले अमेरिका जैसे उन्नत देश कौशल विकास कर रहे हैं.

चिंता ये : पांच में से केवल एक ही कुशल श्रमिक
भारत का दुर्भाग्य यह है कि प्रत्येक पांच व्यक्तियों में यहां केवल 1 ही एक ही कुशल श्रमिक है. कई अध्ययनों ने संकेत दिया है कि हमारे युवा रोजगार के मोर्चे पर पिछड़ रहे हैं. अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि आबादी में कुशल श्रमिकों का प्रतिशत नाममात्र है.

कई देश जो जनसंख्या और भौगोलिक क्षेत्र के आकार के मामले में भारत के साथ तुलना में किसी भी तरह से नहीं हैं, रोजगार देने वाले उम्मीदवारों की संख्या के मामले में हमारे देश से बहुत आगे हैं. इससे पता चलता है कि हमारी नीतियों और योजना में तुरंत सुधार की जरूरत है.

26 प्रतिशत युवा ही उच्च शिक्षित

शिक्षा के क्षेत्र में भी बात करें तो हमारे 97 प्रतिशत बच्चे प्राथमिक विद्यालयों में प्रवेश ले रहे हैं, लेकिन 70 प्रतिशत ही मध्यमिक स्कूल तक पहुंच रहे हैं. जबकि उच्च शिक्षा में ये प्रतिशत और भी कम हो जाता है, यह केवल 26 प्रतिशत युवा ही हासिल कर पाते हैं. जो दर्शाता है कि हमारी युवा पीढ़ी कौशल विकास, उचित शिक्षा और आजीविका से वंचित हो रही है.

युवाओं की ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं

हालांकि यूएनडीपी का कहना है कि उसके पास चीन से संबंधित आंकड़े नहीं हैं, लेकिन कुछ समय पहले खबर थी कि उसके लगभग आधे युवा, जिन्होंने सीनियर सेकेंडरी स्कूल पूरा कर लिया है, पेशेवरों के रूप में काम कर रहे हैं. जनसंख्या के मोर्चे पर बात की जाए तो भारत केवल चीन के बाद है. 138 करोड़ की आबादी है. हमारे देश की लगभग 62 प्रतिशत जनसंख्या 15 से 59 वर्ष के बीच है. वर्तमान में देश के 50 प्रतिशत से अधिक नागरिक 25 वर्ष से कम आयु के हैं. लेकिन हम अपने युवाओं की ऊर्जा का अच्छा इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं, यही भारत की प्रगति में बाधक है. कई संगठनों के प्रबंधन ये कहते रहे हैं कि उन्हें रोजगार योग्य कुशल लोग नहीं मिल रहे हैं. दूसरी ओर हम देखते हैं जहां पोस्ट-ग्रेजुएट भी सामान्य नौकरियों के लिए कतार में खड़े होते हैं.

'स्किल इंडिया’ के लक्ष्य में पीछे

एनडीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक 40 करोड़ कुशल श्रमिक बनाने के उद्देश्य के साथ 'स्किल इंडिया’ परियोजना शुरू की थी, लेकिन लक्ष्य अभी भी बहुत दूर है. जब राज्यों की बात की जाती है और तुलना आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और तमिलनाडु के साथ तुलना की जाती है, तो कौशल भारत परियोजना के तहत लाभार्थियों की संख्या हिमाचल प्रदेश, यूपी और सिक्किम जैसे राज्यों की बहुत कम है.

पढ़ें: संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक में भारत का 131वां स्थान

कोरोना महामारी से उपजे संकट के कारण करोड़ों लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने कहा है कि बेरोजगारी की दर ग्रामीण इलाकों में 9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 11 प्रतिशत तक पहुंच गई है. विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि करोड़ों नौकरियों के लिए नए कौशल की आवश्यकता होगी और वर्ष 2025 तक नौकरी की प्रकृति को मान्यता से परे बदल दिया जाएगा.

यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर उभरने वाले 80 करोड़ बेरोजगारों में से अधिकतर भारतीय होंगे. कौशल विकास पर विशेष जोर देकर और रोजगार के अवसरों में सुधार करने पर ही भारत को इस दुष्चक्र से बाहर निकलने में मदद मिलेगी.

Last Updated : Dec 19, 2020, 1:00 PM IST
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