नई दिल्ली : नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी परा स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी. सोमवार को उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलने की खबर के बाद जेएनयू के उनके पूर्व सहपाठियों ने इस सम्मान पर खुशी जाहिर की.
दरअसल अभिजीत के कुछ सहपाठी अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं. उन्हीं में एक प्रोफेसर प्रवीण झा ने इस खबर पर खुशी जताई कि एक भारतीय को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
जेएनयू में विकासात्मक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर प्रोफेसर प्रवीण झा ने कहा कि उन्हें गर्व है कि जेएनयू ने दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के बनर्जी के प्रयासों में योगदान दिया है.
प्रो. झा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'मुझे पूरा भरोसा है कि जेएनयू में उनकी परा स्नातक की पढ़ाई का उनके बौद्धिक विकास में अहम योगदान है. लिहाजा उन्होंने दुनिया से गरीबी मिटाने की दिशा में काम किया.'
आपको बता दें, अभिजीत बनर्जी, उनकी फ्रांसीसी पत्नी एस्तेर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को वैश्विक गरीबी कम करने की दिशा में उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया है.
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अभिजीत ने भारत और केन्या में अपने शोध में पाया कि स्कूल के बच्चों को अधिक पाठन सामग्री, भोजान और शिक्षक उपलब्ध कराने से उनको सीखने में कुछ खास मदद नहीं मिलती है.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने शोध में बनर्जी और बाकियों ने पाया कि मुफ्त में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करने से काफी फर्क पड़ता है.
उन्होंने यह भी पाया कि, भारत में मोबाइल टीकाकरण क्लीनिकों की मदद से पारम्परिक स्वास्थ्य केंद्रों की तुलना में नाटकीय रूप से टीकाकरण दरों में वृद्धि हुई है.
नोबेल प्रशस्ति पत्र में कहा गया, पुरस्कार विजेताओं के शोध निष्कर्ष और उनके नक्शेकदम पर चलने वाले शोधकर्ताओं के निष्कर्ष ने गरीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में नाटकीय रूप से सुधार किया है. उनके अध्ययन के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में, 50 लाख से अधिक भारतीय बच्चों को लाभ हुआ है. इसी के साथ निवारक स्वास्थ्य देखभाल के लिए पर्याप्त सब्सिडी की व्यवस्था को कई देशों में लागू किया गया है.