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अभिजीत बनर्जी के पूर्व सहपाठी ने की नोबेल विजेता की सराहना

अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ कभी जवाहर लाल नेहरू विश्विवद्यालय में पढ़े छात्रों ने उन्हें मिले सम्मान पर खुशी जाहिर की है. उन्हीं में एक प्रो. प्रवीण झा ने, जो सम्प्रति जेएनयू में पढ़ाते हैं, कहा कि उन्हें अभिजीत की इस उपलब्धि पर गर्व है। गौरतलब है कि भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत, उनकी फ्रांसीसी पत्नी एस्तेर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र में 2019 के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है. पढ़ें पूरी खबर...

प्रवीण झा
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Published : Oct 15, 2019, 5:35 PM IST

नई दिल्ली : नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी परा स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी. सोमवार को उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलने की खबर के बाद जेएनयू के उनके पूर्व सहपाठियों ने इस सम्मान पर खुशी जाहिर की.

दरअसल अभिजीत के कुछ सहपाठी अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं. उन्हीं में एक प्रोफेसर प्रवीण झा ने इस खबर पर खुशी जताई कि एक भारतीय को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

जेएनयू में विकासात्मक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर प्रोफेसर प्रवीण झा ने कहा कि उन्हें गर्व है कि जेएनयू ने दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के बनर्जी के प्रयासों में योगदान दिया है.

नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी की उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते जेएनयू के उनके पूर्व सहपाठी प्रो. प्रवीण झा.

प्रो. झा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'मुझे पूरा भरोसा है कि जेएनयू में उनकी परा स्नातक की पढ़ाई का उनके बौद्धिक विकास में अहम योगदान है. लिहाजा उन्होंने दुनिया से गरीबी मिटाने की दिशा में काम किया.'

आपको बता दें, अभिजीत बनर्जी, उनकी फ्रांसीसी पत्नी एस्तेर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को वैश्विक गरीबी कम करने की दिशा में उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया है.

पढ़ें - नोबेल पुरस्कार से नवाजे जाने पर अभिजीत बनर्जी ने पत्नी संग कुछ यूं जाहिर की अपनी खुशी

अभिजीत ने भारत और केन्या में अपने शोध में पाया कि स्कूल के बच्चों को अधिक पाठन सामग्री, भोजान और शिक्षक उपलब्ध कराने से उनको सीखने में कुछ खास मदद नहीं मिलती है.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने शोध में बनर्जी और बाकियों ने पाया कि मुफ्त में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करने से काफी फर्क पड़ता है.

उन्होंने यह भी पाया कि, भारत में मोबाइल टीकाकरण क्लीनिकों की मदद से पारम्परिक स्वास्थ्य केंद्रों की तुलना में नाटकीय रूप से टीकाकरण दरों में वृद्धि हुई है.

नोबेल प्रशस्ति पत्र में कहा गया, पुरस्कार विजेताओं के शोध निष्कर्ष और उनके नक्शेकदम पर चलने वाले शोधकर्ताओं के निष्कर्ष ने गरीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में नाटकीय रूप से सुधार किया है. उनके अध्ययन के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में, 50 लाख से अधिक भारतीय बच्चों को लाभ हुआ है. इसी के साथ निवारक स्वास्थ्य देखभाल के लिए पर्याप्त सब्सिडी की व्यवस्था को कई देशों में लागू किया गया है.

नई दिल्ली : नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी परा स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी. सोमवार को उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलने की खबर के बाद जेएनयू के उनके पूर्व सहपाठियों ने इस सम्मान पर खुशी जाहिर की.

दरअसल अभिजीत के कुछ सहपाठी अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं. उन्हीं में एक प्रोफेसर प्रवीण झा ने इस खबर पर खुशी जताई कि एक भारतीय को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

जेएनयू में विकासात्मक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर प्रोफेसर प्रवीण झा ने कहा कि उन्हें गर्व है कि जेएनयू ने दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के बनर्जी के प्रयासों में योगदान दिया है.

नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी की उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते जेएनयू के उनके पूर्व सहपाठी प्रो. प्रवीण झा.

प्रो. झा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'मुझे पूरा भरोसा है कि जेएनयू में उनकी परा स्नातक की पढ़ाई का उनके बौद्धिक विकास में अहम योगदान है. लिहाजा उन्होंने दुनिया से गरीबी मिटाने की दिशा में काम किया.'

आपको बता दें, अभिजीत बनर्जी, उनकी फ्रांसीसी पत्नी एस्तेर डुफ्लो और माइकल क्रेमर को वैश्विक गरीबी कम करने की दिशा में उनके प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया है.

पढ़ें - नोबेल पुरस्कार से नवाजे जाने पर अभिजीत बनर्जी ने पत्नी संग कुछ यूं जाहिर की अपनी खुशी

अभिजीत ने भारत और केन्या में अपने शोध में पाया कि स्कूल के बच्चों को अधिक पाठन सामग्री, भोजान और शिक्षक उपलब्ध कराने से उनको सीखने में कुछ खास मदद नहीं मिलती है.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने शोध में बनर्जी और बाकियों ने पाया कि मुफ्त में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करने से काफी फर्क पड़ता है.

उन्होंने यह भी पाया कि, भारत में मोबाइल टीकाकरण क्लीनिकों की मदद से पारम्परिक स्वास्थ्य केंद्रों की तुलना में नाटकीय रूप से टीकाकरण दरों में वृद्धि हुई है.

नोबेल प्रशस्ति पत्र में कहा गया, पुरस्कार विजेताओं के शोध निष्कर्ष और उनके नक्शेकदम पर चलने वाले शोधकर्ताओं के निष्कर्ष ने गरीबी से लड़ने की हमारी क्षमता में नाटकीय रूप से सुधार किया है. उनके अध्ययन के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में, 50 लाख से अधिक भारतीय बच्चों को लाभ हुआ है. इसी के साथ निवारक स्वास्थ्य देखभाल के लिए पर्याप्त सब्सिडी की व्यवस्था को कई देशों में लागू किया गया है.

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