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सावन में बिहार के गुप्तेश्वरनाथ धाम की है खास मान्यता, CM नीतीश को दास्तां सुना रहे हैं भक्त - baba shiv

सावन के महीने में बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु शिवालयों में जाते हैं. बिहार के गुप्तेश्वर धाम में भक्तों को पहाड़ी की दुर्गम चढ़ाई और जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है. सावन के सोमवार को यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं कहते है कि बाबा हरेक मनोकामना पूरी करते हैं. जानें पूरा विवरण

गुप्तेश्वर धाम जाते हुए भक्त
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Published : Jul 24, 2019, 7:46 PM IST

कैमूर: सावन के दिनों में भगवान शिव के आराधना का खास महत्व माना जाता है. इसी कड़ी में कैमूर की पहाड़ियों पर विराजमान बाबा गुप्तेश्वरनाथ के गुप्त धाम में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. वहीं, इस भगवान गुप्तेश्वरनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को दुर्गम रास्ते और पहाड़ी चढ़नी पड़ती है. हर-हर महादेव के जयकारों से पहाड़ी गुंजायमान हो जाती है. इन सब के बीच श्रद्धालुओं ने बिहार सरकार से सड़क निर्माण की मांग रखी है.

सावन के महीने में यहां यूपी, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन बाबा का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों को पहाड़ी की दुर्गम चढ़ाई और जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है. सावन के सोमवार को यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है.

गुप्तेश्वर धाम जाते हुए भक्त

कहां पड़ता है बाबा का धाम...
बाबा का धाम रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड अंतर्गत के अंतर्गत आता है. यहां कैमूर जिले के साथ-साथ यूपी और मध्यप्रदेश के श्रद्धालु उगहनी घाट से आते हैं, जबकि रोहतास, झारखंड और छत्तीसगढ़ से आने वाले श्रद्धालु रेहल, पनारी घाट या ताराचण्डी धाम के रास्ते कैमूर पहाड़ी को पार कर दर्शन के लिए पहुंचते हैं. रोहतास जिला मुख्यालय, सासाराम से गुप्तधाम गुफा की दूरी लगभग 55 किमी है, तो दूसरी तरफ कैमूर जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 56 किमी का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता है.

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गुप्तेश्वर धाम जाते हुए भक्त

गुप्तधाम और इसकी मान्यता
भक्तों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्तनाथ धाम के बारे में मान्यता है कि जब दैत्य भष्मासुर ने घोर तपस्या के दौरान महादेव से वरदान मांगा कि वो, जिसके ऊपर हाथ रख दे, वो भष्म हो जाए. औघड़ दानी भगवान भोले नाथ ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान भी दे दिया. इसके बाद भष्मासुर ने पाए हुए वरदान का प्रयोग भोले नाथ पर ही करने की मानसिकता घर कर ली. उसी से बचने के लिए भगवान शिव कैमूर की इस पहाड़ी पर आकर छिपे.

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गुप्तेश्वर धाम जाते हुए भक्त

रहस्यमयी है बाबा का धाम
कैमूर पहाड़ पर चारो तरफ जंगलों से घिरी हुई ये गुफा रहस्यमयी है. गुप्तधाम के मुख्य द्वार से लगभग 363 फीट अंदर गुफा में जाने के बाद बाबा गुप्तेश्वर का दर्शन होता है. यहां शिवलिंग पर गुफा की छत से हर वक्त पानी टपकता रहता है. इस जल को भक्त प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. धाम से करीब डेढ किमी पूर्व सीता कुंड है. यहां स्नान करने के बाद ही भक्त जल लेकर बाबा का दर्शन और जलाभिषेक करते हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था
बाबा गुप्तेश्वर के दर्शन के लिए आए भक्तों के लिए गुप्तधाम में स्थानीय प्रशासन और कमेटी ने गुफा के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर करती हैं. लेकिन भक्तों के हुजूम के सामने इसकी संख्या कम पड़ जाती है. सावन में गुफा के अंदर भक्तों का हुजूम लगा हुआ रहता है. कितनी बार तो कई भक्त गुफा से जलाभिषेक कर बाहर निकलते ही बेहोश हो जाते हैं. हालांकि, स्थानीय प्रशासन और कमेटी की मुस्तैदी और बाबा की महिमा से आज तक कोई दुर्घटना नहीं हुई है.

भक्तों को उठानी पड़ती है समस्याएं
दर्शन करने वाले भक्तों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वो कई सालों से बाबा के दर्शन के लिए यहां आ रहे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जो स्थिति 15 साल पहले थी, वही आज भी है. बस कभी-कभी गुफा में ऑक्सीजन सिलेंडर जरूर लगवा दिया जाता है. बाकी, कोई इंतजाम नहीं हैं. पहाड़ी चढ़ाई के दौरान कहीं भी पानी तक का इंतजाम नहीं है. भक्तों को सरकार और बिहार पर्यटन विभाग से काफी उम्मीदें हैं. फिलहाल, भक्तों के अंदर बाबा की भक्ति का ऐसा नशा होता है कि वो खुद कहते है बाबा सभी की रक्षा करते हैं और उन्हें बाबा पर पूरा विश्वास है. तभी तो शांति के लिए खुशी-खुशी दुर्गम पहाड़ियों की चढ़ाई कर लेते हैं.

'कई साथी छूट जाते हैं पीछे'
शिव भक्तों ने बताया कि धाम पर मोबाइल में नेटवर्क नहीं आता है. इस वजह से काफी परेशानी होती है. यदि कोई पहाड़ चढ़ते हुए भूल गया या आगे पीछे हो गया, तो ढूंढना बहुत मुश्किल हो जाता हैं.धाम पर एक नेटवर्क की व्यवस्था सरकार या जिला प्रशासन करा दे, तो कम्युनिकेशन गैप नहीं होगा और पर्यटन के दृष्टिकोण से भी अच्छा होगा. वहीं, यूपी से आए एक युवा भक्त ने कहा कि हम तो जवान हैं, बाबा के दर्शन के लिए पहाड़ी चढ़ लेते हैं. लेकिन बुजुर्गों के लिए सरकार को सड़क निर्माण और डेवलेपमेंट कराना चाहिए.

कैमूर: सावन के दिनों में भगवान शिव के आराधना का खास महत्व माना जाता है. इसी कड़ी में कैमूर की पहाड़ियों पर विराजमान बाबा गुप्तेश्वरनाथ के गुप्त धाम में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. वहीं, इस भगवान गुप्तेश्वरनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को दुर्गम रास्ते और पहाड़ी चढ़नी पड़ती है. हर-हर महादेव के जयकारों से पहाड़ी गुंजायमान हो जाती है. इन सब के बीच श्रद्धालुओं ने बिहार सरकार से सड़क निर्माण की मांग रखी है.

सावन के महीने में यहां यूपी, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन बाबा का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों को पहाड़ी की दुर्गम चढ़ाई और जंगल का रास्ता तय करना पड़ता है. सावन के सोमवार को यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है.

गुप्तेश्वर धाम जाते हुए भक्त

कहां पड़ता है बाबा का धाम...
बाबा का धाम रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड अंतर्गत के अंतर्गत आता है. यहां कैमूर जिले के साथ-साथ यूपी और मध्यप्रदेश के श्रद्धालु उगहनी घाट से आते हैं, जबकि रोहतास, झारखंड और छत्तीसगढ़ से आने वाले श्रद्धालु रेहल, पनारी घाट या ताराचण्डी धाम के रास्ते कैमूर पहाड़ी को पार कर दर्शन के लिए पहुंचते हैं. रोहतास जिला मुख्यालय, सासाराम से गुप्तधाम गुफा की दूरी लगभग 55 किमी है, तो दूसरी तरफ कैमूर जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 56 किमी का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता है.

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गुप्तेश्वर धाम जाते हुए भक्त

गुप्तधाम और इसकी मान्यता
भक्तों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्तनाथ धाम के बारे में मान्यता है कि जब दैत्य भष्मासुर ने घोर तपस्या के दौरान महादेव से वरदान मांगा कि वो, जिसके ऊपर हाथ रख दे, वो भष्म हो जाए. औघड़ दानी भगवान भोले नाथ ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान भी दे दिया. इसके बाद भष्मासुर ने पाए हुए वरदान का प्रयोग भोले नाथ पर ही करने की मानसिकता घर कर ली. उसी से बचने के लिए भगवान शिव कैमूर की इस पहाड़ी पर आकर छिपे.

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गुप्तेश्वर धाम जाते हुए भक्त

रहस्यमयी है बाबा का धाम
कैमूर पहाड़ पर चारो तरफ जंगलों से घिरी हुई ये गुफा रहस्यमयी है. गुप्तधाम के मुख्य द्वार से लगभग 363 फीट अंदर गुफा में जाने के बाद बाबा गुप्तेश्वर का दर्शन होता है. यहां शिवलिंग पर गुफा की छत से हर वक्त पानी टपकता रहता है. इस जल को भक्त प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. धाम से करीब डेढ किमी पूर्व सीता कुंड है. यहां स्नान करने के बाद ही भक्त जल लेकर बाबा का दर्शन और जलाभिषेक करते हैं.

ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था
बाबा गुप्तेश्वर के दर्शन के लिए आए भक्तों के लिए गुप्तधाम में स्थानीय प्रशासन और कमेटी ने गुफा के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर करती हैं. लेकिन भक्तों के हुजूम के सामने इसकी संख्या कम पड़ जाती है. सावन में गुफा के अंदर भक्तों का हुजूम लगा हुआ रहता है. कितनी बार तो कई भक्त गुफा से जलाभिषेक कर बाहर निकलते ही बेहोश हो जाते हैं. हालांकि, स्थानीय प्रशासन और कमेटी की मुस्तैदी और बाबा की महिमा से आज तक कोई दुर्घटना नहीं हुई है.

भक्तों को उठानी पड़ती है समस्याएं
दर्शन करने वाले भक्तों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वो कई सालों से बाबा के दर्शन के लिए यहां आ रहे हैं. लेकिन सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जो स्थिति 15 साल पहले थी, वही आज भी है. बस कभी-कभी गुफा में ऑक्सीजन सिलेंडर जरूर लगवा दिया जाता है. बाकी, कोई इंतजाम नहीं हैं. पहाड़ी चढ़ाई के दौरान कहीं भी पानी तक का इंतजाम नहीं है. भक्तों को सरकार और बिहार पर्यटन विभाग से काफी उम्मीदें हैं. फिलहाल, भक्तों के अंदर बाबा की भक्ति का ऐसा नशा होता है कि वो खुद कहते है बाबा सभी की रक्षा करते हैं और उन्हें बाबा पर पूरा विश्वास है. तभी तो शांति के लिए खुशी-खुशी दुर्गम पहाड़ियों की चढ़ाई कर लेते हैं.

'कई साथी छूट जाते हैं पीछे'
शिव भक्तों ने बताया कि धाम पर मोबाइल में नेटवर्क नहीं आता है. इस वजह से काफी परेशानी होती है. यदि कोई पहाड़ चढ़ते हुए भूल गया या आगे पीछे हो गया, तो ढूंढना बहुत मुश्किल हो जाता हैं.धाम पर एक नेटवर्क की व्यवस्था सरकार या जिला प्रशासन करा दे, तो कम्युनिकेशन गैप नहीं होगा और पर्यटन के दृष्टिकोण से भी अच्छा होगा. वहीं, यूपी से आए एक युवा भक्त ने कहा कि हम तो जवान हैं, बाबा के दर्शन के लिए पहाड़ी चढ़ लेते हैं. लेकिन बुजुर्गों के लिए सरकार को सड़क निर्माण और डेवलेपमेंट कराना चाहिए.

Intro:कैमूर।

कैमूर पहाड़ी पर विराजमान बाबा गुप्तेश्वरनाथ का निवास गुप्ताधाम देश के विख्यात शिव केन्द्रों में एक हैं। सावन के महीने में यहाँ यूपी,बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ से आनेवाले भक्तों का ताता लगा हुआ रहता हैं। लेकिन बाबा का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों को पहाड़ी की दुर्गम चढ़ाई और जंगल की सैर करने के बाद यह अवसर प्राप्त होता है क्योंकि दुर्गम बाबा भोलेनाथ पहाड़ियों के बीच गुफा विराजमान हैं।


Body:आपकों बतादें कि बाबा का धाम रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड अंतर्गत आता हैं । यहाँ पहुँचे के लिए कैमूर जिले और यूपी, मध्यप्रदेश के तरफ से आनेवाले श्रद्धालु उगहनी घाट जबकि रोहतास जिले, झारखंड, छत्तीसगढ़ से जानेवाले अधिकांश लोग रेहल, पनारी घाट या ताराचण्डी धाम के रास्ते कैमूर पहाड़ को पार कर पहुँचते हैं। रोहतास जिले मुख्यालय सासाराम से गुप्ताधाम गुफा कि दूरी लगभग 55 किमी है तो दूसरी तरफ कैमूर जिला मुख्यालय भभुआ से लगभग 56 किमी हैं।


भक्तों व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भस्मासुर से भयभीत होकर शिवजी को भागना पड़ा था। जिसमे बाद भगवान शिव कैमूर पहाड़ी के इस गुफा में छुपे हुए थे। जिसके बाद भगवान विष्णु ने पार्वती जी का रूप धारण करके भस्मासुर को अपने सर पर हाथ रखकर नृत्य करने का प्रस्ताव रखा। जिसके बाद शादी को लोभ में भस्मासुर ने जब खुद के सर पर हाथ रख नृत्य प्रारंभ शुरू किया जिसके बाद शिवजी से प्राप्त वारदात के कारण वो जलकर भस्म हो गया। कैमूर पहाड़ पर चारो तरफ से जंगलों से घिरा हुआ यह गुफा आज भी रहस्यमय हैं।


गुफा के अंदर विराजमान शिवजी

गुप्ताधाम के मुख्य द्वार से लगभग 363 फ़ीट अंदर गुफा में जाने के बाद बाबा गुप्तेश्वर का दर्शन कर जलाभिषेक करते हैं। शिवलिंग पर गुफा की छत से हर वक़्त पानी टपकता हैं। जिसे भक्त प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं। धाम से करीब डेढ किमी पूर्व सीता कुण्ड हैं जहाँ भक्त स्नान जल लेकर बाबा का दर्शन और जलाभिषेक करते हैं।


स्थानीय प्रशासन और कमेटी के द्वारा की जाती और ऑक्सिजन सिलिंडर की व्यवस्था

बाबा गुप्तेश्वर के दर्शन के लिए आये भक्तों के लिए गुप्ताधाम में स्थानीय प्रशासन और कमेटी के द्वारा गुफा के अंदर ऑक्सिजन सिलिंडर की व्यवस्था की जाती हैं लेकिन भक्तों के हुजूम के सामने इसकी संख्या कम पड़ जाती हैं। गुफा के अंदर भक्तों का हुजूम लगा हुआ रहता है कितनी बार तो कई भक्त गुफा से जलाभिषेक कर निकलते निकलते बेहोश हो जाते हैं। हालांकि की स्थानीय प्रशासन और कमेटी की मुस्तेदी और बाबा के आशीर्वाद से कोई दुर्घटना नही हुई हैं।


शिव भक्तों को उठानी पड़ती है कष्ट

बाबा के दर्शन के लिए कई वर्षों से जा रहे भक्तों ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि कई सालों से बाबा के दर्शन के लिए यहां आ रहे है लेकिन सरकार के तरफ से कोई व्यवस्था नही की गई हैं। जो स्तिथि 15 वर्ष पूर्व थी आज भी वही हैं। बस कभी कभार गुफा में ऑक्सिजन सिलिंडर लगा दिया जाता हैं। बाकी कोई इंतजाम नही है। पहाड़ चढ़ाई के दौरान कही पानी तक का इंतज़ाम नही हैं। हालांकि भक्तों से सरकार और पर्यटन विभाग से काफी उम्मीदें है। लेकिन फिलहाल भक्तों के अंदर बाबा की भक्ति का ऐसा नशा होता है कि वो खुद कहते है बाबा सब की रक्षा करते हैं और उन्हें बाबा पर पूरा विश्वास है तभी तो शांति के लिए खुशी खुशी दुर्गम पहाड़ियों की चढ़ाई कर लेते है।


धाम पर मोबाइल नेटवर्क की है समस्या

शिव भक्तों ने बताया कि धाम पर मोबाइल नेटवर्क नही आता हैं। जिस वजह से काफी परेशानी होती है । यदि कोई पहाड़ चढ़ते हुए भूल गया या आगे पीछे हो गया तो ढूंढना बहुत मुश्किल हो जाता हैं। अगर धाम पर एक नेटवर्क की व्यवस्था सरकार या जिला प्रशासन के द्वारा करा दी जाएगी तो कम्युनिकेशन गैप नही होगा और पर्यटक के दृष्टिकोण से भी अच्छा होगा।


पंगु भी चढ़ जाते है पर्वत

बाबा ऐसे अनेकों भक्तों है जो आम लोगों की तरह पहाड़ की चढ़ाई नही कर सकते हैं लेकिन बाबा के प्रति उनका विश्वासऔर भक्ति इतना अधिक होता है कि वो भी पर्वत चाड जाता है और बाबा का जलाभिषेक करते हैं। एक भक्त ने बताया कि बाबा मि महिमा अपरंपार हैं छोटे बड़े बूढ़े लंगड़े लूले गूंगे सभी तरह के बाबा के भक्त आते है और बाबा का आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन की हर कठिनाई को पार कर लेते हैं।


सावन में बाबा के दरबार मे हजारों श्रद्धालु करते है जलाभिषेक

सावन में बाबा गुप्तेश्वर का महत्व और अधिक हो जाता हैं।सावन के महीने में यहाँ हजारों के संख्या में भक्त रोजना दर्शन करने आते हैं। सावन के सोमवारी को लगता है सबसे अधिक भीड़।


Conclusion:
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