आगरा: जम्मू-कश्मीर से एयरलिफ्ट कर कैदियों को आगरा सेंट्रल जेल लाया गया है. आगरा एयरपोर्ट से उन्हें भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आगरा सेंटर जेल लाया गया. दोपहर एक बजे तक जिला प्रशासन और जेल अधिकारी जम्मू-कश्मीर से किसी को आगरा सेंट्रल जेल में शिफ्ट करने की जानकारी न होने की बात कहते नजर आए.
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जम्मू-कश्मीर से आगरा लाए गए कैदी-
- दोपहर 2:30 बजे अधिकारियों का जेल परिसर में आना-जाना शुरू हो गया.
- इसके बाद हाई सिक्योरिटी के बीच तीन गाड़ियां सेंट्रल जेल आगरा पहुंची.
- सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी कैदी को सेंट्रल जेल के बाहर नहीं उतारा गया.
- स्वाट के जवान सभी गाड़ियों में अत्याधिक हथियारों के साथ लैस थे.
- जिन गाड़ियों में जम्मू-कश्मीर से कैदियों को आगरा सेंट्रल जेल लाया गया, उन गाड़ियों के शीशों पर खाकी रंग का कपड़ा बांधा गया था.
ये बंदी और कैदी किसी न किसी अलगाववादी संगठन से जुड़े हुए हैं, जो घाटी में सक्रिय हैं. इसमें जमात-ए-इस्लामी, हुर्रियत और अन्य अलगाववादी संगठन के सदस्य और समर्थक हैं. इनमें से कुछ को सजा हो चुकी हैं और कुछ पर मामलों में अभी सुनवाई चल रही है.
बंदी और कैदियों को पता नहीं कहां लाया गया
जिन बंदी और कैदियों को आगरा सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया है, उन्हें यह पता नहीं है कि उन्हें कहां शिफ्ट किया गया है. एयरपोर्ट पर आने के बाद उन्हें जिस वाहन से आगरा सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया, उस वाहन के शीशों पर खाकी कपड़ा लगा हुआ था. इस वजह से उन्हें एयरपोर्ट से लेकर के सेंट्रल जेल के बीच में कौन-कौन सी जगह है, कहां चले हैं, इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है.
हाई सिक्योरिटी बैरक में रखे गए बंदी
एयरलिफ्ट कर जम्मू-कश्मीर के बंदी और कैदी जब आगरा सेंट्रल जेल पहुंचे तो उनकी गाड़ी सीधे हाई सिक्योरिटी बैरक के पास जाकर रुकी. गाड़ियों से उन्हें उतारा गया और सीधे हाई सिक्योरिटी बैरक में शिफ्ट कर दिया गया. बंदी और कैदियों को हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा जा रहा है. दूसरे कैदियों से इनके मिलने-जुलने और पास जाने पर भी पाबंदी लगा रखी गई है. जेल सूत्रों के मुताबिक इन कैदियों के लिए आगरा सेंट्रल जेल में अलग से खाने की व्यवस्था की गई है.
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क्यों किया गया आगरा शिफ्ट
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने और धारा 144 लागू होने की जानकारी जब जेलों में बंद अलगाववादी संगठन के समर्थकों और सदस्यों को मिली तो वह उग्र हो गए. उन्होंने जेल में आक्रामकता दिखाना शुरू कर दिया. इसकी शिकायत जेल प्रशासन से जिला प्रशासन और फिर केंद्र सरकार को मिली. इसके बाद सभी जेलों में बंद अलगाववादी संगठन के उग्र सदस्य और समर्थकों को चिन्हित किया गया. फिर उन्हें आगरा और यूपी के अन्य जिलों में शिफ्ट किया गया है. इन लोगों की वजह से जहां जेलों का माहौल बिगड़ रहा था. वहीं घाटी के हालात भी बिगड़ने की संभावना अधिक थी. इसके चलते यह फैसला लिया गया.
कड़ी की गई सुरक्षा व्यवस्था
जम्मू-कश्मीर से आए बंदी और कैदियों के चलते आगरा जिला प्रशासन, जेल प्रशासन और पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ गई है. यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर से आए बंदी और कैदियों के सेंट्रल जेल में आने के बाद से ही जिला प्रशासन के अधिकारी, एसएसपी, एसपी सिटी, एलआईयू के साथ ही जेल के डीआईजी समेत अन्य आला अधिकारियों की लगातार बैठकें चल रही हैं. बैठक में सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखे जाने पर विचार विमर्श किया जा रहा है. इसके साथ ही आगरा सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था को भी पुख्ता कर दिया गया है. जहां पर भी तार फेंसिंग टूटी हुई थी, उन्हें सही किया गया है. आगरा सेंट्रल जेल के बाहर पीएसी की मुस्तैदी कर दी गई है. हर आने-जाने वालों पर पीएसी के जवानों की नजर है.
जम्मू-कश्मीर से एयरलिफ्ट कर 30 बंदी और कैदियों को आगरा लाया गया है. जेल सूत्रों के मुताबिक आगरा सेंट्रल जेल में शिफ्ट हुए बंदी और कैदी में कई अलगाववादी नेता और कई पत्थरबाज भी .