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असम में व्याप्त मौजूदा अशांति धार्मिक संघर्ष नहीं : उपमन्यु हजारिका - present unrest is not religious conflict in assam

असम सहित पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ आंदोलन जारी है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अपमन्यु हजारिका ने ईटीवी भारत से बातचीत में अपनी राय रखी. जानें, आंदोलन के कारणों और लोगों की भावनाओं को लेकर उन्होंने क्या कुछ कहा...

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वर्तमान में असम में अशांति धार्मिक संघर्ष नहीं
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Published : Dec 16, 2019, 6:14 PM IST

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर असम में अशांति व्याप्त है. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील उपमन्यु हजारिका का कहना है कि असम में व्याप्त मौजूदा अशांति एक धार्मिक मुद्दा नहीं है.

उपमन्यु हजारिका ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा, 'नेताओं ने असम के लोगों के साथ विश्वासघात किया है. राज्य के लोगों की भावनाएं सरकार के नागरिकता कानून से आहत हुईं. इससे बवाल होना तो तय है.'

असम में उपजे हालातों पर उपमन्यु हजारिका का बयान.

हजारिका ने आगे कहा कि बहुत सारे विदेशियों के नाम NRC में शामिल किए गए हैं और इसे सुधारने की बजाय आप अब और विदेशी ला रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'असम में अशांति एक धार्मिक मुद्दा नहीं है. हमारे पास भारत में 150 जातीय समुदाय हैं. नागरिकता अधिनियम के पारित होने के बाद लोग अब पहचान के लिए लड़ रहे हैं और यह एक सहज आंदोलन है.'

हजारिका ने कहा कि सरकार को चाहिए कि नामों को फिर से व्यवस्थित कर दिया जाए ताकि वास्तविक विदेशियों की पहचान की जा सके.

पढ़ें : नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी बीजेपी की सहयोगी पार्टी AGP

गौरतलब है कि गत 31 अगस्त को अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद, असम सरकार और केंद्र सरकार दोनों ने कथित तौर पर दावा किया कि वे असम में एनआरसी को स्वीकार नहीं करेंगे और इसके बजाय एक राष्ट्रव्यापी एनआरसी प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा.

हजारिका ने असम में वर्तमान नागरिकता विरोधी आंदोलन को सही ठहराते हुए कहा, 'आप (वर्तमान सरकार) ने यह संकेत देकर असम के लोगों का अपमान किया है कि आपको कोई फर्क नहीं पड़ता ... यह सोचते हुए कि हम कई विदेशियों को प्राथमिकता देने जा रहे हैं.'

संसद ने जब से नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पारित किया और बाद में राष्ट्रपति ने इसे अधिनियम बनाने के लिए सहमति दी, इसने असम ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में अशांति पैदा कर दी.

यह 70 के दशक में था, जब असम में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी-विरोधी आंदोलन देखा गया था. वह आंदोलन प्रभावशाली ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) द्वारा चलाया गया था.

वर्ष 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद आंदोलन समाप्त हो गया, जो ऐतिहासिक अकॉर्ड में असम के अवैध विदेशियों का पता लगाने और निर्वासित करने का ही एक भाग था.

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून को लेकर असम में अशांति व्याप्त है. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील उपमन्यु हजारिका का कहना है कि असम में व्याप्त मौजूदा अशांति एक धार्मिक मुद्दा नहीं है.

उपमन्यु हजारिका ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा, 'नेताओं ने असम के लोगों के साथ विश्वासघात किया है. राज्य के लोगों की भावनाएं सरकार के नागरिकता कानून से आहत हुईं. इससे बवाल होना तो तय है.'

असम में उपजे हालातों पर उपमन्यु हजारिका का बयान.

हजारिका ने आगे कहा कि बहुत सारे विदेशियों के नाम NRC में शामिल किए गए हैं और इसे सुधारने की बजाय आप अब और विदेशी ला रहे हैं.

उन्होंने कहा, 'असम में अशांति एक धार्मिक मुद्दा नहीं है. हमारे पास भारत में 150 जातीय समुदाय हैं. नागरिकता अधिनियम के पारित होने के बाद लोग अब पहचान के लिए लड़ रहे हैं और यह एक सहज आंदोलन है.'

हजारिका ने कहा कि सरकार को चाहिए कि नामों को फिर से व्यवस्थित कर दिया जाए ताकि वास्तविक विदेशियों की पहचान की जा सके.

पढ़ें : नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी बीजेपी की सहयोगी पार्टी AGP

गौरतलब है कि गत 31 अगस्त को अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद, असम सरकार और केंद्र सरकार दोनों ने कथित तौर पर दावा किया कि वे असम में एनआरसी को स्वीकार नहीं करेंगे और इसके बजाय एक राष्ट्रव्यापी एनआरसी प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा.

हजारिका ने असम में वर्तमान नागरिकता विरोधी आंदोलन को सही ठहराते हुए कहा, 'आप (वर्तमान सरकार) ने यह संकेत देकर असम के लोगों का अपमान किया है कि आपको कोई फर्क नहीं पड़ता ... यह सोचते हुए कि हम कई विदेशियों को प्राथमिकता देने जा रहे हैं.'

संसद ने जब से नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पारित किया और बाद में राष्ट्रपति ने इसे अधिनियम बनाने के लिए सहमति दी, इसने असम ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न राज्यों में अशांति पैदा कर दी.

यह 70 के दशक में था, जब असम में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी-विरोधी आंदोलन देखा गया था. वह आंदोलन प्रभावशाली ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) द्वारा चलाया गया था.

वर्ष 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद आंदोलन समाप्त हो गया, जो ऐतिहासिक अकॉर्ड में असम के अवैध विदेशियों का पता लगाने और निर्वासित करने का ही एक भाग था.

Intro:New Delhi: As the citizenship controversy created unrest across India, senior Suprene Court lawyer Upamanyu Hazarika on Monday told ETV Bharat that the present 'unrest in Assam is not a religiou issue'.


Body:"The leaders have betrayed the people of Assam. It is the sentiments and emotions of the people of the state that was hurt by government's citizenship law," said Hazarika.

He said that this is bound to happen. "Names of lots of foreigners have been included in NRC and on the top of it instead of rectifying, you (Government) are now bringing more foreigners," added Hazarika.

He ruled out that the unrest in Assam is a religious issue. "It's not a religious issue. We have 150 ethnic community in India and their number is almost 2 crore in Assam...with the passage of Citizenship Act people are now fighting for identity and it's a spontaneous movement," Hazarika said.

He further ruled out that NRC had been rejected. "The NRC is already compiled. What government can do is to revarify the names so that the genuine foreigners could be identified," Hazarika said.

After publication of final NRC on August 31, both Assam governmnet and central government have reportedly claimed that they will not accept the NRC in Assam and instead a nationwide NRC process will be carried out.


Conclusion:Hazarika further said that it's a question of pride for the people of Assam.

"You (present Government) have insulted the people of Assam by indicating that you don't matter...we are going to give priority to a number of foreigners," said Hazarika while justifying the present anti-citizenship movement in Assam.

Ever since the Parliament passed the Citizenship Amendment Bill (CAB) and subsequent assent of the President to make it an Act, have created unrest not only in Assam but in different states across the country.

It was in late 70s, Assam had witnessed a massive anti-Bangladeshi movement, spearheaded by influential All Assam Students Union (AASU).

The movement ended in 1985 following the signing of Assam Accord. And the historic Accord had a clause to detect and deport illegal foreigners from Assam.

end.
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