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फॉरेस्ट एक्ट में नहीं होंगे बदलाव, मोदी सरकार ने वापस लिया प्रस्ताव - आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा

पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि फॉरेस्ट एक्ट में किसी भी तरह के बदलाव करने सरकार को कोई इरादा नहीं है. सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने प्रतिक्रिया दी है.

प्रकाश जावड़ेकर, अर्जुन मुंडा
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Published : Nov 15, 2019, 6:42 PM IST

नई दिल्ली : मोदी सरकार ने फॉरेस्ट एक्ट में किसी भी तरह के बदलाव करने से इनकार करते हुए उस ड्राफ्ट को वापस ले लिया है. पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात की जानकारी दी.

प्रकाश जावड़ेकर ने आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते कहा कि फॉरेस्ट एक्ट ड्राफ्ट में किसी तरह के बदलाव करने की सरकार की कोई योजना नहीं है.

प्रकाश जावड़ेकर ने साफ किया कि इससे संबधित जो ड्राफ्ट थे, उसे सरकार ने नहीं, बल्कि कुछ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने बनाये थे, जिसे वापस लिया जा रहा है. इससे ये संकेत गया कि सरकार फारेस्ट एक्ट में बदलाव करना चाहती है. इसलिए कथित ड्राफ्ट को वापस लिया जा रहा है. आदिवासी के अधिकार में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा.

मीडिया को जानकारी देते प्रकाश जावड़ेकर

उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों ने इस बात को इंगित किया था कि 11 ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने 1927 के केंद्रीय कानून में अपने राज्य के हिसाब से बदलाव किये हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे में इन सबके बीच एक समन्वय स्थापित करने के इरादे से ये ड्राफ्ट तैयार किया गया था, जिसकी प्रति कुछ राज्यों को वितरित की गई थी.

केंद्रीय मंत्री ने ये भी स्पष्ट किया कि इस ड्राफ्ट की वजह से कुछ भ्रांतियां फैलाने की भी कोशिश की गई हैं, लेकिन सरकार पूरी तरह से आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिये तत्पर है .

ड्राफ्ट को वापस लेने के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में देश मे 13000 स्क्वायर किलोमीटर जंगल बढ़े हैं और मोदी सरकार ने आदिवासियों को उनके फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का भी काम किया. उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं, जमीनों का मालिकाना हक देने का भी काम केंद्र सरकार ने किया है .

ये भी पढ़ें : प्रकाश जावड़ेकर ने भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्रालय का कार्यभार संभाला

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इकाई, वनवासी कल्याण आश्रम के प्रतिनिधि और आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ हुई बैठक के बाद ये निर्णय लिया गया है.

वनवासी कल्याण आश्रम ने फॉरेस्ट एक्ट में बदलाव के प्रस्ताव के साथ तैयार किये गए ड्राफ्ट पर अपनी असहमति जताई थी. इसके साथ ही इस पूरे मामले पर वामपंथी पार्टियों ने भी अपना विरोध जताया था और देश भर में कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए थे.

मीडिया को जानकारी देते अर्जुन मुंडा

इस मौके पर मौजूद केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बिरसा मुंडा के जन्मदिवस पर ड्राफ्ट को वापस लेने की घोषणा सराहनीय है, जो अफवाह फैला रहे थे, उनको अब आगे मौका नहीं मिलेगा. साथ ही उन्होंन कहा कि मोदी सकार ने जो यह फैसला किया है. इससे आने वाले दिनों में जनजातीय क्षेत्रों और वन क्षेत्रों को लाभ होगा, क्योंकि आदिवासी जीवन और वन दोनों का संबंध है. साथ ही उन्होंने कहा कि उस जीवन पद्धति को जहां सशक्त होने का मौका मिलेगा, तो जंगल बढ़ेंगे.

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन का जो एक महत्वपूर्ण दायित्व है और जिसे भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोहराया है. इससे वह कार्य भी पूरा होगा. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने फॉरेस्ट की दिशा में एक कानून बनाया है. उन्होंने सरकार द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत किया.

नई दिल्ली : मोदी सरकार ने फॉरेस्ट एक्ट में किसी भी तरह के बदलाव करने से इनकार करते हुए उस ड्राफ्ट को वापस ले लिया है. पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात की जानकारी दी.

प्रकाश जावड़ेकर ने आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते कहा कि फॉरेस्ट एक्ट ड्राफ्ट में किसी तरह के बदलाव करने की सरकार की कोई योजना नहीं है.

प्रकाश जावड़ेकर ने साफ किया कि इससे संबधित जो ड्राफ्ट थे, उसे सरकार ने नहीं, बल्कि कुछ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने बनाये थे, जिसे वापस लिया जा रहा है. इससे ये संकेत गया कि सरकार फारेस्ट एक्ट में बदलाव करना चाहती है. इसलिए कथित ड्राफ्ट को वापस लिया जा रहा है. आदिवासी के अधिकार में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा.

मीडिया को जानकारी देते प्रकाश जावड़ेकर

उन्होंने कहा कि कुछ अधिकारियों ने इस बात को इंगित किया था कि 11 ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने 1927 के केंद्रीय कानून में अपने राज्य के हिसाब से बदलाव किये हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे में इन सबके बीच एक समन्वय स्थापित करने के इरादे से ये ड्राफ्ट तैयार किया गया था, जिसकी प्रति कुछ राज्यों को वितरित की गई थी.

केंद्रीय मंत्री ने ये भी स्पष्ट किया कि इस ड्राफ्ट की वजह से कुछ भ्रांतियां फैलाने की भी कोशिश की गई हैं, लेकिन सरकार पूरी तरह से आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिये तत्पर है .

ड्राफ्ट को वापस लेने के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में देश मे 13000 स्क्वायर किलोमीटर जंगल बढ़े हैं और मोदी सरकार ने आदिवासियों को उनके फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का भी काम किया. उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं, जमीनों का मालिकाना हक देने का भी काम केंद्र सरकार ने किया है .

ये भी पढ़ें : प्रकाश जावड़ेकर ने भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्रालय का कार्यभार संभाला

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इकाई, वनवासी कल्याण आश्रम के प्रतिनिधि और आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ हुई बैठक के बाद ये निर्णय लिया गया है.

वनवासी कल्याण आश्रम ने फॉरेस्ट एक्ट में बदलाव के प्रस्ताव के साथ तैयार किये गए ड्राफ्ट पर अपनी असहमति जताई थी. इसके साथ ही इस पूरे मामले पर वामपंथी पार्टियों ने भी अपना विरोध जताया था और देश भर में कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए थे.

मीडिया को जानकारी देते अर्जुन मुंडा

इस मौके पर मौजूद केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि बिरसा मुंडा के जन्मदिवस पर ड्राफ्ट को वापस लेने की घोषणा सराहनीय है, जो अफवाह फैला रहे थे, उनको अब आगे मौका नहीं मिलेगा. साथ ही उन्होंन कहा कि मोदी सकार ने जो यह फैसला किया है. इससे आने वाले दिनों में जनजातीय क्षेत्रों और वन क्षेत्रों को लाभ होगा, क्योंकि आदिवासी जीवन और वन दोनों का संबंध है. साथ ही उन्होंने कहा कि उस जीवन पद्धति को जहां सशक्त होने का मौका मिलेगा, तो जंगल बढ़ेंगे.

उन्होंने कहा कि पर्यावरण संतुलन का जो एक महत्वपूर्ण दायित्व है और जिसे भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोहराया है. इससे वह कार्य भी पूरा होगा. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने फॉरेस्ट की दिशा में एक कानून बनाया है. उन्होंने सरकार द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत किया.

Intro:मोदी सरकार ने फॉरेस्ट एक्ट में किसी भी तरह के बदलाव करने से इनकार करते हुए उस ड्राफ्ट को वापस ले लिया है जिसमें ऐसे प्रस्ताव रखे गए थे । शुक्रवार को पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए इस निर्णय की जानकारी दी ।
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं थी, कुछ अधिकारियों ने इस बात को इंगित किया था कि 11 ऐसे राज्य हैं जिन्होंने 1927 के केंद्रीय कानून में अपने राज्य के हिसाब से बदलाव किये हैं । ऐसे में इन सबके बीच एक समन्वय स्थापित करने के इरादे से ये ड्राफ्ट तैयार किया गया जिसकी प्रति कुछ राज्यों को वितरित की गई थी ।
केंद्रीय मंत्री ने ये भी स्पष्ट किया कि इस ड्राफ्ट की वजह से कुछ भ्रांतियां फैलाने की भी कोशिश की गई हैं लेकिन सरकार पूरी तरह से आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिये तत्पर है ।


Body:ड्राफ्ट को वापस लेने के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में देश मे 13000 स्क्वायर किलोमीटर जंगल बढ़े हैं और मोदी सरकार ने आदिवासियों को उनके फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का भी काम किया । इतना ही नहीं, जमीनों का मालिकाना हक देने का भी काम केंद्र सरकार ने किया है ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इकाई, वनवासी कल्याण आश्रम के प्रतिनिधि और आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा के साथ हुई बैठक के बाद ये निर्णय लिया गया है । वनवासी कल्याण आश्रम ने फॉरेस्ट एक्ट में बदलाव के प्रस्ताव के साथ तैयार किये गए ड्राफ्ट पर अपनी असहमति जताई थी । इस पूरे मामले पर वामपंथी पार्टियों ने भी अपना विरोध जताया था और देश भर में कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए थे ।


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