नई दिल्ली : इस बार दीपावली को पूरी तरह से स्वदेशी बनाने की तैयारी की जा रही है. दिये से लेकर पटाखों तक, सब कुछ स्वदेशी रहने वाला है. जी हां! देश में त्योहारों के सामान से जुड़े कारोबारियों ने ठान ली है कि वे इस बार चीनी सामान नहीं बेचेंगे. भारत-चीन सीमा विवाद के चलते लोग भी चीनी वस्तुओं को खरीदने से बच रहे हैं. ऐसे में चीनी झालर की मांग कम हो रही है, वहीं लोग मिट्टी के बने दीयों को तरजीह दे रहे हैं. इससे न केवल आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रधानमंत्री के लोकल 4 वोकल अभियान को जमीनी स्तर पर बढ़ावा मिलेगा, बल्कि देश में रोजगार भी बढ़ सकेगा.
पूरी दुनिया को अपनी जद में लेने वाले कोरोना वायरस की बात करें, तो लोग इस वायरस से खौफजदा है. ऐसे में त्योहारों के सीजन में चीन से आयातित सामान अब अहम मुद्दा बना हुआ है.
इस कड़ी में मिट्टी के कारीगरों से लेकर पटाखा व्यापारियों तक, दोनों ही चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की पुरजोर तैयारी में हैं.
मिट्टी के कारीगरों का कहना है कि इस बार दीयों की मांग दोगुनी हो गई है. वहीं सरकार द्वारा दी गई इलेक्ट्रिक चाक ने कुम्हारों की रफ्तार को बढ़ाने का काम किया है. इससे कुम्हार कम मेहनत और समय में ज्यादा काम कर पा रहे हैं.
वहीं बात अगर राजधानी के पटाखा व्यापारियों की करें, तो वे भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी तैयारी में हैं. पटाखा कारोबारियों ने इस बार भारत में बने पटाखे ही बेचने का निर्णय लिया है. पटाखा कारोबारियों का कहना है कि चाइना को सबक सिखाना है. आपको बता दें कि हर दीपावली में चाइना के पटाखे और लाइट का एनसीआर में काफी बड़ा कारोबार होता था, लेकिन इस बार पटाखा कारोबारियों ने साफ कर दिया है कि चाइना के पटाखे और लड़ियां नहीं बेचेंगे.
अन्य व्यापारियों को भी बहिष्कार की सलाह
साथ ही उन्होंने कहा है कि अन्य व्यापारियों को भी समझाया जा रहा है कि वे चाइना का कोई भी माल न बेचें. एक व्यापारी ने कहा कि खून का अंतिम कतरा तक बहा देंगे, लेकिन चाइना का कोई माल गाजियाबाद शहर में नहीं बिकने देंगे. अन्य पटाखा व्यापारी ने कहा कि चीन गद्दार है और गद्दार देश का माल नहीं बेचेंगे. एक व्यापारी ने यह भी कहा कि जो पुराना चाइना का माल पड़ा हुआ है, उसे पानी में डाल देंगे, लेकिन बेचेंगे नहीं. फिलहाल पटाखा व्यापारी, प्रशासन से पटाखे बेचने का लाइसेंस मिलने का इंतजार कर रहे हैं.
दीयों की दोगुनी हुई मांग
कुम्हार मोहन ने बताया कि इस बार कोरोना काल के बाद शुरुआत में तो काम में कमी आई थी, लेकिन जब सरकार ने चीनी ऐप्स को बैन किया है. उसके बाद से लोग चीनी वस्तुओं की खरीदारी से बचते नजर आ रहे हैं. इससे मिट्टी के दीयों की मांग दोगुनी हो गई है. पिछले साल काफी दीये बच जाते थे, लेकिन इस बार लोग मिट्टी के दीयों के लिए पहले से ही ऑर्डर दे रहे हैं.
पिछली बार सोचा था बंद कर देंगे काम
काकादेव स्थित बस्ती के कुम्हार पप्पू का कहना है कि पिछली बार बहुत दीये बच गए थे, इससे काफी नुकसान हुआ था. मैंने सोचा था कि यह काम बंद कर दूंगा, लेकिन इस साल काम में पहले से अधिका मुनाफा मिलने की उम्मीद है. उनका कहना है कि इस बार उनकी दीपावली भी खुशियों वाली होगी. इसलिए अपने बच्चे को भी काम सिखा रहे हैं, ताकि उनका परिवार भी इस काम को आगे बढ़ा सके.
इलेक्ट्रिक चाक से आई काम में रफ्तार
मोहन ने बताया कि सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक चाक मिलने से काम में रफ्तार आ गई है. पहले पत्थर के चाक पर काम करने पर मेहनत अधिक लगती थी और माल कम तैयार होता था. वहीं अब इलेक्ट्रिक चाक में कम मेहनत में अधिक माल तैयार होता है और बचत भी अधिक है.
मोबाइल फोन कारोबारी भी कर चुके हैं विरोध
गाजियाबाद में मोबाइल कारोबारियों ने भी काफी हद तक साफ कर दिया है, कि वह चाइना का माल नहीं खरीद रहे हैं और न ही बेचेंगे. पूर्व में उन्होंने बस पुराना स्टॉक बेचा था. इस दीपावली को भारतीय मोबाइल कंपनियों को प्रमोट करके उसी पर ऑफर भी दे रहे हैं, जिससे चाइना को पूरी तरह से नेस्तनाबूद किया जा सके.