नई दिल्ली : राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच तकरार देखी जा रही है. प्रदेश में कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त की जा रही है. उन्होंने कहा, 'मैं प्रदेश का सीएम हूं मेरे पास विधायकों की खरीद फरोख्त की जानकारी है, इसकी रिपोर्ट स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) को दे दी गई है. यह रिपोर्ट महेश जोशी द्वारा एसओजी में दर्ज कराई गई है.'
वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने ईटीवी भारत से बातचीत में सीएम अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को विधायकों की खरोद-फरोख्त करने में महारत हासिल है. वह पहले भी बीएसपी के छह विधायकों को खरीद कर अपने पाले में कर चुके हैं. बेनीवाल ने आरोप लगाया कि वह राजस्थान में छोटे राजनीतिक दलों को पनपने देना नहीं चाहते.
बेनीवाल ने कहा कि आरएलपी केंद्र में एनडीए सरकार की घटक है और उनकी पार्टी राज्यसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार को वोट करेगी.
इस बीच विधायकों के दल-बदलने की आशंका के बीच राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि राज्यसभा चुनाव दो माह पहले हो सकते थे, लेकिन बीजेपी के तरफ से नहीं कराए गए. पायलट ने कहा, 'हम दावा करते हैं कि एक भी वोट राज्यसभा चुनाव में इधर से उधर नहीं जाएंगे. कांग्रेस के उम्मीदवार वेणुगोपाल और नीरज डांगी दोनों ही जीतेंगे, किसी को इसका भ्रम नहीं होना चाहिए.'
दूसरी तरफ भाजपा ने विधायकों को प्रलोभन देने या डराने-धमकाने में संलिप्त होने से इनकार किया है. राजस्थान से निर्वाचित लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा है कि सचिन पायलट को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नजरों में गिराने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत ने मायाजाल रचा है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री यह नहीं बता पा रहे हैं कि उनके किस विधायक को किसने पैसों का ऑफर दिया है.
पढ़ें : पायलट को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की नजरों में गिराने के लिए मुख्यमंत्री ने रचा मायाजाल : शेखावत
उधर भाजपा शासित गुजरात में भी कांग्रेस की एकजुटता सवालों के घेरे में है. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक कुल नौ विधायक पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. पिछले 15 दिनों के भीतर ही चार विधायकों ने पार्टी से अलग होने का एलान कर कांग्रेस के खेमे में हड़कंप मचा दी. कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व बीजेपी पर विधायकों को डराने-धमकाने और खरीद-फरोख्त में लिप्त होने के आरोप लगा रहा है.
वडोदरा के करजन के विधायक अक्षय पटेल और कपराडा के जीतू चौधरी के बाद मोरबी के विधायक ब्रिजेश मेरजा ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि, कांग्रेस विधायकों का टूटना कोई नई बात नहीं है. मार्च 2020में कांग्रेस के पांच विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, जिसमें जे.वी. काकडिया, सोमा गांडा पटेल, प्रवीण मारू, प्रद्युम्न सिंह जडेजा और मंगल गावित शामिल हैं.
पढ़ें : कांग्रेस ने गुजरात में विधायकों को डराने-धमकाने का आरोप लगाया, निर्वाचन आयोग से शिकायत की
गौरतलब है कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने गत एक जून को सात अलग-अलग राज्यों की राज्यसभा सीटों के लिए मतदान और मतगणना की तारीखों का एलान किया था. इसके तहत निम्न राज्यों में चुनाव कराए जाने हैं-
आंध्र प्रदेश (4 सीट)
गुजरात (4 सीट)
झारखंड ( 2 सीट)
मध्य प्रदेश (3 सीट)
मणिपुर ( 1 सीट)
मेघालय (1 सीट)
राजस्थान (3 सीट)
कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के मकसद से निर्वाचन आयोग ने विगत अप्रैल माह में 17 राज्यों की 55 राज्यसभा सीटों पर चुनाव स्थगित कर दिए थे. हालांकि, विगत 18 मार्च को संबंधित निर्वाचन अधिकारियों ने 10 राज्यों की 37 सीटों पर उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया.
बाकी बची 18 सीटों पर 19 जून को द्विवार्षिक चुनाव कराए जाने का फैसला लिया गया है. चुनाव कराने से संबंधित एक बयान में आयोग ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण विगत 30 मई को केंद्र से जारी दिशानिर्देशों के आलोक में 18 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव कराए जा रहे हैं.
बता दें कि कर्नाटक की चार सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है. विगत 12 जून को पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल-सेक्युलर (JD-S) प्रमुख एचडी देवगौड़ा, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और भाजपा नेता अशोक गस्ती व ईराना कड्डी कर्नाटक से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए.
तमाम राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों के बीच मध्य प्रदेश में भी दिलचस्प राजनीति देखने को मिली है. दिग्गज कांग्रेसी ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने और प्रदेश की कमलनाथ सरकार के अल्पमत में आने के बाद भी भाजपा पर कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने और प्रलोभन देने के आरोप लगे थे.
पढ़ें : भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी मां कोरोना पॉजिटिव
संसद में पारित होने वाले कानूनों को लेकर केंद्र सरकार पिछले कुछ समय से आलोचनाओं के घेरे में रही है. ऐसे में संख्याबल दृष्टिकोण से भी राज्यसभा के चुनावों को अहम माना जा रहा है. ऐसे में अब 19 जून को होने वाले मतदान और नतीजों के एलान पर सभी की नजरें रहेंगी.