नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में बीते दिनों हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर की गई बर्बरता के खिलाफ बुधवार को यहां कई राजनीतिक दल एकजुट हुए और उन्होंने जबरन गिरफ्तार किए गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट की.
लोकतांत्रिक जनता दल के सुप्रीमो और पूर्व सांसद शरद यादव ने इस दौरान कहा कि देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद इतने बुरे हालात हो गए हैं, जितना आपातकाल के समय में भी नहीं थे.
वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए कहा कि वह आम नागरिक से बदला लेने की बात करते हैं, जिन्होंने प्रदर्शन के दौरान कुछ किया ही नहीं, यदि कुछ किया होता तो गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ सरकार के पास कोई न कोई सुबूत जरूर होता.
लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार एक्टिविस्ट दीपक कबीर ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि जिस दिन परिवर्तन चौक के पास आगजनी हुई, वह घटनास्थल से करीब आधा किलोमीटर दूर थे. वह इस कानून के खिलाफ देश भक्ति गाने गा रहे थे और शांतिप्रिय तरीके से आंदोलन खत्म किया जा रहा था.
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दीपक कबीर ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अपने प्रदर्शन की वजह बताते हुए कहा, 'सरकार को जिस धर्म के शरणार्थी को नागरिक बनाना हो बनाए, लेकिन किसी एक धर्म को छोड़ना बिल्कुल गलत है. हम इस भेदभाव के खिलाफ हैं.'
सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस नेता सदफ जफर ने ईटीवी भारत को बताया कि उनकी गिरफ्तारी उस समय हुई, जब वह उपद्रव का वीडियो बना रही थीं. उन्होंने गिरफ्तारी के दौरान पुलिस बर्बरता का वर्णन करते हुए कहा कि पुलिस ने उनके पैरों और पेट पर प्रहार किया. इसके साथ ही जब उनकी गिरफ्तारी हुई, तब कोई भी महिला पुलिस कर्मचारी मौजूद नहीं थी.
77 वर्षीय रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी एक मानव अधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्हें 19 दिसंबर को लखनऊ में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने के मामले में गिरफ्तार किया गया था.
दारापुरी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि वह किसी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं थे. उन्हें घर से ही पुलिस गिरफ्तार करके ले गई और जेल में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया.
दारापुरी से जब यह पूछा गया कि उनके मुताबिक शहर में दंगा फैलाने वाले लोग कौन थे तो उन्होंने इसका आरोप भाजपा और आरएसएस से जुड़े लोगों पर लगाया और कहा कि जब वह लखनऊ जेल में थे, तब उन्हें पार्टी के कार्यकर्ताओं ने छुड़ा लिया और उन्हें ठंड में एक चादर भी नहीं दी गई.