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'विधायकों के दबाव के कारण पुलिस कभी-कभी कानून लागू नहीं करती' - विधायकों के दबाव

आपराधिक छवि के नेताओं के खिलाफ लंबित मामलों में एक निवेदन पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया था कि पुलिस विधायकों के दबाव के कारण कभी-कभी कानूनों को लागू नहीं करती है.

SUPREME COURT
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 6, 2020, 8:38 PM IST

नई दिल्ली : सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक निवेदन पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया था कि पुलिस विधायकों के दबाव के कारण कभी-कभी कानूनों को लागू नहीं करती है.

सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. उन्होंने मांग की है कि दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और किसी पार्टी में पद पर रहने या अपनी पार्टी बनाने पर रोक लगाई जाए.

याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों को लंबित आपराधिक मामलों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

मंगलवार को अदालत को सूचित किया गया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ कुल मामलों की संख्या 4,859 है. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1374 मामले हैं. इसके बाद बिहार में 557 और ओडिशा में 445 मामले हैं. नगालैंड, सिक्किम, दादरा-नागर हवेली और दमन-दीव में नेताओं के खिलाफ कोई मामले लंबित नहीं हैं.

एमिकस क्यूरी ने मंगलवार को विभिन्न सिफारिशों और विशेष अदालतों की स्थिति के बारे में सुप्रीम कोर्ट का जानकारी दी.

यह भी पढ़ें- यूपी में राष्ट्रपति शासन की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले को 10 दिनों के लिए स्थगित किया जाता है, ताकि उच्च न्यायालय भी सिफारिशें और कार्य योजना दे और इसे संबंधित मंत्रालयों को भेजा जा सके.

नई दिल्ली : सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक निवेदन पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया था कि पुलिस विधायकों के दबाव के कारण कभी-कभी कानूनों को लागू नहीं करती है.

सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. उन्होंने मांग की है कि दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और किसी पार्टी में पद पर रहने या अपनी पार्टी बनाने पर रोक लगाई जाए.

याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों को लंबित आपराधिक मामलों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

मंगलवार को अदालत को सूचित किया गया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ कुल मामलों की संख्या 4,859 है. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1374 मामले हैं. इसके बाद बिहार में 557 और ओडिशा में 445 मामले हैं. नगालैंड, सिक्किम, दादरा-नागर हवेली और दमन-दीव में नेताओं के खिलाफ कोई मामले लंबित नहीं हैं.

एमिकस क्यूरी ने मंगलवार को विभिन्न सिफारिशों और विशेष अदालतों की स्थिति के बारे में सुप्रीम कोर्ट का जानकारी दी.

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शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले को 10 दिनों के लिए स्थगित किया जाता है, ताकि उच्च न्यायालय भी सिफारिशें और कार्य योजना दे और इसे संबंधित मंत्रालयों को भेजा जा सके.

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