नई दिल्ली : भारत-चीन सीमा विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अचानक लेह पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी पूर्वी लद्दाख का दौरा करेंगे जहां सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच चीन के सामने भारतीय सेना तैनात है.
प्रधानमंत्री ने निमू में स्थित इंफेंट्री (पैदल सेना) मुख्यालय पर थल सेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवानों से मुलाकात की और तैयारियों का जायजा भी लिया. लेह से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित निमू पोस्ट को सबसे ऊंची और खतरनाक पोस्ट में से एक माना जाता है. इस दौरान उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने भी थे.
प्रधानमंत्री ने 15 जून को गलवान घाटी में भारत चीन के बीच हुई हिंसक झड़प में घायल हुए जवानों से भी मुलाकात की.
प्रधानमंत्री मोदी का लेह दौरा ऐसे समय में काफी अहम माना जा रहा है, जब भारत और चीन के बीच कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है. कहा जा रहा है पीएम मोदी के लेह पहुंचने का असर उन चीनी सैनिकों के मनोबल पर पड़ सकता है, जिनके साथ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग खड़े होते नहीं दिख रहे हैं.
गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से अब तक चीन ने अपने जवानों की शहादत को नहीं माना है. वहीं, भारत के प्रधानमंत्री ने न सिर्फ अपने जवानों की शहादत को याद किया, बल्कि उनका मनोबल बढ़ाने लेह भी पहुंच गए.
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पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लेह का दौरा करना था, लेकिन उनका लेह जाना रद्द हो गया. इसके बाद अचानक खबर आई कि पीएम मोदी खुद लेह पहुंच गए.
प्रधानमंत्री का यह दौरा 29 जून को 59 लोकप्रिय चीनी एप पर प्रतिबंध लगाने के बाद हुआ है. सरकार ने सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं का हवाला देते हुए 59 चीनी एप पर प्रतिबंध लगा दिया है.
इसी बीच गुरुवार को रक्षा मंत्रालय ने 33 नए लड़ाकू विमान खरीदने सहित 38,900 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है.
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच प्रधानमंत्री का यह दौरा कई मायनों में अहम है. यह दौरा चीन की प्रतिक्रिया को समझने और अगले कदम के लिए नर्णय लेने में मदद कर सकता है.