नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) कोझीकोड (केरल) के एमडीसी परिसर के सामने, स्वामी विवेकानंद की एक पूर्ण आकार की प्रतिमा का अनावरण किया. पीएम मोदी ने इस प्रतीमा को स्वामी विवेकांद को समर्पित किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया जब विवेकहीन घृणा, हिंसा से मुक्ति पाने की कोशिश कर रही है, ऐसे में भारतीय जीवनशैली आशा की किरण दिखाती है. उन्होंने कहा कि संघर्ष टालने का भारत का तरीका नृशंस बल प्रयोग नहीं, बल्कि वार्ता की शक्ति है.
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि दोनों विश्व युद्धों में कई भारतीय सैनिकों ने अपनी जान गंवाई. वह बहादुरी से लड़े, भले ही भारत की उन युद्धों में कोई हिस्सेदारी नहीं थी. हम कभी किसी की जमीन या संसाधन नहीं चाहते थे, लेकिन हमारे सैनिकों ने शांति के लिए लड़ाई लड़ी.
दशकों तक, भारत विश्व स्तर पर संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सबसे बड़ा योगदानकर्ताओं में से एक बना हुआ है.
सदियों से, हम शांति से रहे हैं. सदियों से, हमने अपनी धरती पर दुनिया का स्वागत किया है. यह सब इसलिए क्योंकि यहां एक शांति और सद्भाव है.हमारी भूमि वह है जिसने दुनिया को हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म जैसे जीवंत चरण दिए हैं. इस भूमि में, सूफी परंपरा पनपी है.
इस सब के मूल में अहिंसा है 20 वीं शताब्दी में, महात्मा गांधी ने इन आदर्शों का पालन किया और इसने भारत की स्वतंत्रता में योगदान दिया.
डॉ मार्टिन लूथर किंग जूनियर हों या नेल्सन मंडेला या कई अफ्रीकी देशों में स्वतंत्रता संग्राम, उन्होंने गांधी से प्रेरणा ली.
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि मोटे तौर पर, कुछ निश्चित विचार हैं जो भारतीय मूल्यों के केंद्र में बने हुए हैं. वह करुणा, सद्भाव, न्याय, सेवा और खुलापन, शांति, एकता और भाईचारा है और यह ही दुनिया को भारत की ओर खींचते है.
पीएम ने कहा कि वर्षों पहले, 11 सितंबर, 1893 को, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपने प्रतिष्ठित भाषण के दौरान भारत के लोकाचार की झलक दी थी. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जिस क्षण उन्होंने 'सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ अमेरिका' के साथ अपना भाषण शुरू किया, उस समय जोरदार झड़पें हुईं थी.
पढ़ें- निहित स्वार्थ वाले लोग देश को गुमराहकर अशांति फैलाना चाहते हैं : प्रधानमंत्री
उन्होंने कहा कि उनके शब्दों मे जादू नहीं था. बल्कि भारत की प्रतिबद्धता और भाईचारे के प्रति प्रतिबद्धता थी. यह कोई संयोग नहीं है कि हम उनकी प्रतीमा के अनावरण के मौके पर हम हम भारतीय विचारों का वैश्वीकरण करने की बात कर रहे हैं.