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निर्भया मामला : सुप्रीम कोर्ट में दोषी मुकेश की याचिका खारिज

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Published : Mar 16, 2020, 8:48 AM IST

Updated : Mar 16, 2020, 3:52 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषी मुकेश की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मुकेश ने अपनी पुरानी वकील पर धोखा देने का आरोप लगाया था. बता दें, निर्भया के दोषियों को 20 मार्च को फांसी होने वाली है. पढ़ें पूरी खबर...

vinay sharma moves hc claiming procedural lapse in mercy plea rejection
दोषी मुकेश

नई दिल्ली : निर्भया सामूहिक दुष्कर्म-हत्या मामले में चारों दोषियों में से एक मुकेश सिंह की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी है. बता दें, निर्भया के दोषियों को 20 मार्च को फांसी होने वाली है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषी मुकेश की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मुकेश ने अपनी पुरानी वकील व्रिंदा ग्रोवर पर धोखा देने का आरोप लगाया था.

बता दें, मुकेश ने कोर्ट से दोबारा क्यूरेटिव और दया याचिका दाखिल करने की इजाजत मांगी थी. लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया.

वहीं निर्भया मामले में फांसी की सजा पाए चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने भी दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर दावा किया था कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने में प्रक्रियागत खामियां और 'संवैधानिक अनियमितताएं' थीं.

बता दें, इस संबंध में दोषी विनय शर्मा ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी.

शर्मा की तरफ से याचिका उसके वकील ए पी सिंह ने दायर की जिन्होंने कहा कि मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में दायर किया गया है.

याचिका में दावा किया गया है कि दया याचिका खारिज करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजी गई अनुशंसा में दिल्ली के गृहमंत्री सत्येन्द्र जैन के हस्ताक्षर नहीं हैं.

गौरतलब है, विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने एक फरवरी को खारिज कर दी थी. याचिका के मुताबिक, मामले को जब उच्चतम न्यायालय के समक्ष उठाया गया तो केंद्र ने कहा था कि जैन का हस्ताक्षर व्हाट्सएप पर ले लिया गया था.

ये भी पढ़ें : निर्भया केस : दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी, 22 जनवरी को होगी फांसी

इसने दावा किया कि जब दया याचिका दायर की गई थी, उस समय चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू थी और जैन उस वक्त केवल विधायक उम्मीदवार थे क्योंकि चुनावों की घोषणा हो चुकी थी और इसलिए वह गृह मंत्री की शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सके.

याचिका में आरोप लगाया गया है, 'दया याचिका खारिज करने के लिए इस्तेमाल की गई शक्तियां अवैध, असंवैधानिक, न्यायिक विफलता और भारत के निर्वाचन आयोग के संवैधानिक मूल्यों की विफलता है.'

आपको बता दें, दिल्ली की एक अदालत ने पांच मार्च को चार दोषियों विनय (26), अक्षय कुमार सिंह (31), मुकेश कुमार सिंह (32) और पवन कुमार गुप्ता (26) को 20 मार्च को फांसी पर लटकाने के लिए मौत का वारंट जारी किया था.

नई दिल्ली : निर्भया सामूहिक दुष्कर्म-हत्या मामले में चारों दोषियों में से एक मुकेश सिंह की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी है. बता दें, निर्भया के दोषियों को 20 मार्च को फांसी होने वाली है.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषी मुकेश की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मुकेश ने अपनी पुरानी वकील व्रिंदा ग्रोवर पर धोखा देने का आरोप लगाया था.

बता दें, मुकेश ने कोर्ट से दोबारा क्यूरेटिव और दया याचिका दाखिल करने की इजाजत मांगी थी. लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिका को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया.

वहीं निर्भया मामले में फांसी की सजा पाए चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने भी दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर दावा किया था कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने में प्रक्रियागत खामियां और 'संवैधानिक अनियमितताएं' थीं.

बता दें, इस संबंध में दोषी विनय शर्मा ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी.

शर्मा की तरफ से याचिका उसके वकील ए पी सिंह ने दायर की जिन्होंने कहा कि मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में दायर किया गया है.

याचिका में दावा किया गया है कि दया याचिका खारिज करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजी गई अनुशंसा में दिल्ली के गृहमंत्री सत्येन्द्र जैन के हस्ताक्षर नहीं हैं.

गौरतलब है, विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने एक फरवरी को खारिज कर दी थी. याचिका के मुताबिक, मामले को जब उच्चतम न्यायालय के समक्ष उठाया गया तो केंद्र ने कहा था कि जैन का हस्ताक्षर व्हाट्सएप पर ले लिया गया था.

ये भी पढ़ें : निर्भया केस : दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी, 22 जनवरी को होगी फांसी

इसने दावा किया कि जब दया याचिका दायर की गई थी, उस समय चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू थी और जैन उस वक्त केवल विधायक उम्मीदवार थे क्योंकि चुनावों की घोषणा हो चुकी थी और इसलिए वह गृह मंत्री की शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सके.

याचिका में आरोप लगाया गया है, 'दया याचिका खारिज करने के लिए इस्तेमाल की गई शक्तियां अवैध, असंवैधानिक, न्यायिक विफलता और भारत के निर्वाचन आयोग के संवैधानिक मूल्यों की विफलता है.'

आपको बता दें, दिल्ली की एक अदालत ने पांच मार्च को चार दोषियों विनय (26), अक्षय कुमार सिंह (31), मुकेश कुमार सिंह (32) और पवन कुमार गुप्ता (26) को 20 मार्च को फांसी पर लटकाने के लिए मौत का वारंट जारी किया था.

Last Updated : Mar 16, 2020, 3:52 PM IST
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