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शादी की न्यूनतम उम्र : सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र से जुड़ी याचिकाओं को उच्च न्यायालयों से उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को विवाह की न्यूनतम उम्र से जुड़े नियमों में बदलाव करने का निर्देश देने की मांग की है.

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Published : Oct 22, 2020, 5:55 PM IST

Updated : Oct 22, 2020, 6:08 PM IST

सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली : भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार दुबे ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिका में पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र से जुड़ी सभी याचिकाओं को उच्च न्यायालयों से उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि ऐसा करने से मतभेदों से बचा जा सकेगा. बता दें कि शादी की न्यूनतम उम्र से जुड़े मामले दिल्ली उच्च न्यायालय और राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं.

याचिकाकर्ता का कहना है कि उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित समान मामलों को वापस लिया जाना चाहिए, ताकि सभी पर एक जगह सुनवाई हो और एकरूपता बनी रहे.

पढ़ें-तेलंगाना में अपहरणकर्ताओं ने की पत्रकार के बेटे की हत्या

पुरुषों और महिलाओं के लिए शादी की अलग-अलग आयु सीमा के खिलाफ तर्क देते हुए दुबे ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है. यहां तक कि विधि आयोग ने कहा है कि सही अर्थों में समानता के लिए विभिन्न आयु सीमा को समाप्त किया जाना चाहिए.

याचिका में कहा गया है कि यह एक सामाजिक वास्तविकता है कि विवाहित रिश्ते में महिलाओं को पति के अधीनस्थ भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाती है. यह समस्या और गहरा जाती है, क्योंकि आयु पदानुक्रम निर्धारित करने में आज भी अहम मानी जाती है.

याचिकाओं को स्थानांतरित करने के अलावा दुबे ने सर्वोच्च न्यायालय से सरकार को विवाह की न्यूनतम उम्र से जुड़ी अनियमितताओं को दूर करने का निर्देश देने की अपील की है.

नई दिल्ली : भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार दुबे ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है. याचिका में पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र से जुड़ी सभी याचिकाओं को उच्च न्यायालयों से उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि ऐसा करने से मतभेदों से बचा जा सकेगा. बता दें कि शादी की न्यूनतम उम्र से जुड़े मामले दिल्ली उच्च न्यायालय और राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं.

याचिकाकर्ता का कहना है कि उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित समान मामलों को वापस लिया जाना चाहिए, ताकि सभी पर एक जगह सुनवाई हो और एकरूपता बनी रहे.

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पुरुषों और महिलाओं के लिए शादी की अलग-अलग आयु सीमा के खिलाफ तर्क देते हुए दुबे ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है. यहां तक कि विधि आयोग ने कहा है कि सही अर्थों में समानता के लिए विभिन्न आयु सीमा को समाप्त किया जाना चाहिए.

याचिका में कहा गया है कि यह एक सामाजिक वास्तविकता है कि विवाहित रिश्ते में महिलाओं को पति के अधीनस्थ भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाती है. यह समस्या और गहरा जाती है, क्योंकि आयु पदानुक्रम निर्धारित करने में आज भी अहम मानी जाती है.

याचिकाओं को स्थानांतरित करने के अलावा दुबे ने सर्वोच्च न्यायालय से सरकार को विवाह की न्यूनतम उम्र से जुड़ी अनियमितताओं को दूर करने का निर्देश देने की अपील की है.

Last Updated : Oct 22, 2020, 6:08 PM IST
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