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कोविड-19: रथ यात्रा को टालने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर - stay on rath yatra

ओडिशा विकास परिषद ने उच्चतम न्यायालय में कोरोना महामारी के संक्रमण को देखते हुए रथयात्रा उत्सव पर रोक लगाने की अपील की है. यात्रा 10 से 12 दिन तक चलती है. इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jun 17, 2020, 4:42 AM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कर आग्रह किया गया है कि देश में कोविड-19 महामारी की वजह से ओडिशा के पुरी में निकलने वाली रथयात्रा को या तो रद्द या स्थगित किया जाना चाहिए.

यह यात्रा 10 से 12 दिन तक चलती है और इसमें विश्वभर से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं.

भुवनेश्वर के गैर सरकारी संगठन 'ओडिशा विकास परिषद' ने अपनी जनहित याचिका में यात्रा को स्थगित करने का आग्रह किया गया है.

वहीं, भारतीय विकास परिषद के सुरेंद्र पाणिग्रही ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के नौ जून के आदेश के खिलाफ अपील की है.

उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह धार्मिक कार्यक्रम होने देती है या नहीं, लेकिन यदि वह कार्यक्रम को अनुमति देती है तो उसे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने से संबंधित सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा और साथ ही रथ को व्यक्तियों की जगह मशीन या हाथी जैसे माध्यमों से खींचने पर विचार करना चाहिए.

याचिकाओं में कहा गया है कि रथयात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं और कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इसे स्थगित या रद्द किया जाना चाहिए.

रथयात्रा शुरू होने का कार्यक्रम 23 जून को है जो 10-12 दिन चलती है. इसके बाद 'बहुदा यात्रा' (वापसी) का कार्यक्रम एक जुलाई को निर्धारित है.

पढ़ें-ओडिशा : भगवान जगन्नाथ के रथ से बंधी रस्सी छूने मात्र से धुल जाते हैं पाप

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कर आग्रह किया गया है कि देश में कोविड-19 महामारी की वजह से ओडिशा के पुरी में निकलने वाली रथयात्रा को या तो रद्द या स्थगित किया जाना चाहिए.

यह यात्रा 10 से 12 दिन तक चलती है और इसमें विश्वभर से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं.

भुवनेश्वर के गैर सरकारी संगठन 'ओडिशा विकास परिषद' ने अपनी जनहित याचिका में यात्रा को स्थगित करने का आग्रह किया गया है.

वहीं, भारतीय विकास परिषद के सुरेंद्र पाणिग्रही ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के नौ जून के आदेश के खिलाफ अपील की है.

उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह धार्मिक कार्यक्रम होने देती है या नहीं, लेकिन यदि वह कार्यक्रम को अनुमति देती है तो उसे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने से संबंधित सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा और साथ ही रथ को व्यक्तियों की जगह मशीन या हाथी जैसे माध्यमों से खींचने पर विचार करना चाहिए.

याचिकाओं में कहा गया है कि रथयात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं और कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इसे स्थगित या रद्द किया जाना चाहिए.

रथयात्रा शुरू होने का कार्यक्रम 23 जून को है जो 10-12 दिन चलती है. इसके बाद 'बहुदा यात्रा' (वापसी) का कार्यक्रम एक जुलाई को निर्धारित है.

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