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ट्रैक्टर परेड हिंसा : जांच के लिए आयोग गठित करने को लेकर SC में याचिका

उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड़ में हुई हिंसा की जांच के लिए एक आयोग के गठन का अनुरोध किया गया है.याचिका में कहा गया, 'मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि जब किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से शांतिपूर्वक चल रहा था तो कैसे यह हिंसक अभियान में तब्दील हो गया.

किसान ट्रैक्टर परेड हिंसा
किसान ट्रैक्टर परेड हिंसा
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Published : Jan 27, 2021, 2:12 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में बुधवार को एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड़ में हुई हिंसा की जांच के लिए एक आयोग के गठन का अनुरोध किया गया है. याचिका में हिंसा के लिए और 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के लिए जिम्मेदार लोगों अथवा संगठनों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

कृषक संगठनों की केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में मंगलवार को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी,लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई. कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया, पुलिस के साथ झड़प की, वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था. अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में अभी तक 22 प्राथमिकियां दर्ज की हैं. हिंसा में 300 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे.

अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग गठित किया जाए जो इस मामले में साक्ष्यों को एकत्र करे तथा उसे रिकॉर्ड करे और समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे. तीन सदस्यीय इस आयोग में उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को शामिल करने का अनुरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से चल रहा है और ट्रैक्टर परेड़ के दौरान इसने 'हिंसक रूप' ले लिया. इसमें कहा गया कि गणतंत्र दिवस पर पुलिस और किसानों के बीच हुई हिंसा पर पूरी दुनिया की नजरें गई हैं.

पढ़ें : क्राइम ब्रांच करेगी जांच, दिल्ली-NCR में इंटरनेट सेवाएं बहाल

याचिका में कहा गया, 'मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि जब किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से शांतिपूर्वक चल रहा था तो कैसे यह हिंसक अभियान में तब्दील हो गया और इससे 26 जनवरी को हिंसा हुई. राष्ट्रीय सुरक्षा और जन हित में यह प्रश्न विचारयोग्य है कि अशांति फैलाने के लिए कौन जिम्मेदार है और कैसे और किसने किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक अभियान में तब्दील कर दिया या किसने और कैसे ऐसे हालात पैदा कर दिए कि प्रदर्शन हिंसक हो गया. इसमें कहा गया कि दोनों ओर से आरोप लग रहे हैं इसलिए मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय में बुधवार को एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड़ में हुई हिंसा की जांच के लिए एक आयोग के गठन का अनुरोध किया गया है. याचिका में हिंसा के लिए और 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के लिए जिम्मेदार लोगों अथवा संगठनों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.

कृषक संगठनों की केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में मंगलवार को हजारों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी,लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली की सड़कों पर अराजकता फैल गई. कई जगह प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया, पुलिस के साथ झड़प की, वाहनों में तोड़ फोड़ की और लाल किले पर एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था. अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में अभी तक 22 प्राथमिकियां दर्ज की हैं. हिंसा में 300 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे.

अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग गठित किया जाए जो इस मामले में साक्ष्यों को एकत्र करे तथा उसे रिकॉर्ड करे और समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे. तीन सदस्यीय इस आयोग में उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को शामिल करने का अनुरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से चल रहा है और ट्रैक्टर परेड़ के दौरान इसने 'हिंसक रूप' ले लिया. इसमें कहा गया कि गणतंत्र दिवस पर पुलिस और किसानों के बीच हुई हिंसा पर पूरी दुनिया की नजरें गई हैं.

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याचिका में कहा गया, 'मामला इसलिए गंभीर है क्योंकि जब किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से शांतिपूर्वक चल रहा था तो कैसे यह हिंसक अभियान में तब्दील हो गया और इससे 26 जनवरी को हिंसा हुई. राष्ट्रीय सुरक्षा और जन हित में यह प्रश्न विचारयोग्य है कि अशांति फैलाने के लिए कौन जिम्मेदार है और कैसे और किसने किसानों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक अभियान में तब्दील कर दिया या किसने और कैसे ऐसे हालात पैदा कर दिए कि प्रदर्शन हिंसक हो गया. इसमें कहा गया कि दोनों ओर से आरोप लग रहे हैं इसलिए मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए.

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