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राज्यसभा के लिए जयशंकर के निर्वाचन को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका खारिज - याचिका खारिज

कांग्रेस द्वारा विदेश मंत्री एस जयशंकर के खिलाफ गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई खारिज हो गई है. याचिका में कांग्रेस का आरोप था कि चुनाव आयोग ने राज्‍यसभा की दो सीटों के लिए जुलाई 2019 में हुए चुनाव में दो सीटों के अलग-अलग चुनाव कराए, जिससे सत्‍तााधारी दल के पास बहुमत होने के कारण दोनों सीटों पर उनके उम्‍मीदवार की जीत हुई.

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एस जयशंकर
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Published : Feb 5, 2020, 8:38 AM IST

Updated : Feb 29, 2020, 6:00 AM IST

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कांग्रेस नेताओं की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें पिछले साल जुलाई में विदेशमंत्री एस जयशंकर के राज्यसभा सदस्य के तौर पर निर्वाचन को चुनौती दी गई थी.

न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की अदालत ने कांग्रेस नेता गौर पांड्या, चंद्रिका चूडासामा और परेश धनानी की चुनाव याचिकाएं खारिज कर दीं. इनमें पांच जुलाई को भाजपा प्रत्याशी जयशंकर और जुगलजी ठाकोर की जीत को चुनौती दी गई थी.

जयशंकर और ठाकोर ने क्रमश: कांग्रेस के पांड्या और चूडासामा को हराया था.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेताओं ने इस चुनाव को निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के आधार पर चुनौती दी थी जिसमें दोनों खाली सीटों को अलग-अलग श्रेणी में रखा गया था जिसकी वजह से अलग-अलग उपचुनाव की जरूरत थी. कांग्रेस नेताओं ने इसे संविधान और जनप्रतिनिधि कानून-1951 और चुनाव संहिता 1961 का उल्लंघन करार दिया था.

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जन प्रतिनिधि कानून के तहत चुनाव को अमान्य घोषित करने के कारणों को बताने में नाकाम रहे.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता संविधान या जनप्रतिनिधि कानून का कोई ऐसा प्रावधान भी बताने में असफल रहे जिसमें निर्वाचन आयोग को सभी रिक्तियों के लिए एक साथ चुनाव कराने की बाध्यता है.

अदालत ने दो याचिकाओं को खारिज करने के साथ जयशंकर और ठाकोर के आवेदनों को स्वीकार कर लिया.

ये भी पढ़ें- राज्यसभा चुनाव : जयशंकर ने अदालत से कांग्रेस नेता की याचिका खारिज करने का अनुरोध किया

जयशंकर और ठाकोर ने अपने आवेदन में कहा कि दो सीटों पर अलग-अलग चुनाव करा कर निर्वाचन आयोग ने कोई नियम नहीं तोड़ा है जैसा कि प्रतिवादी ने आरोप लगाए हैं.

अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कांग्रेस नेताओं की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें पिछले साल जुलाई में विदेशमंत्री एस जयशंकर के राज्यसभा सदस्य के तौर पर निर्वाचन को चुनौती दी गई थी.

न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की अदालत ने कांग्रेस नेता गौर पांड्या, चंद्रिका चूडासामा और परेश धनानी की चुनाव याचिकाएं खारिज कर दीं. इनमें पांच जुलाई को भाजपा प्रत्याशी जयशंकर और जुगलजी ठाकोर की जीत को चुनौती दी गई थी.

जयशंकर और ठाकोर ने क्रमश: कांग्रेस के पांड्या और चूडासामा को हराया था.

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेताओं ने इस चुनाव को निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के आधार पर चुनौती दी थी जिसमें दोनों खाली सीटों को अलग-अलग श्रेणी में रखा गया था जिसकी वजह से अलग-अलग उपचुनाव की जरूरत थी. कांग्रेस नेताओं ने इसे संविधान और जनप्रतिनिधि कानून-1951 और चुनाव संहिता 1961 का उल्लंघन करार दिया था.

अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जन प्रतिनिधि कानून के तहत चुनाव को अमान्य घोषित करने के कारणों को बताने में नाकाम रहे.

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता संविधान या जनप्रतिनिधि कानून का कोई ऐसा प्रावधान भी बताने में असफल रहे जिसमें निर्वाचन आयोग को सभी रिक्तियों के लिए एक साथ चुनाव कराने की बाध्यता है.

अदालत ने दो याचिकाओं को खारिज करने के साथ जयशंकर और ठाकोर के आवेदनों को स्वीकार कर लिया.

ये भी पढ़ें- राज्यसभा चुनाव : जयशंकर ने अदालत से कांग्रेस नेता की याचिका खारिज करने का अनुरोध किया

जयशंकर और ठाकोर ने अपने आवेदन में कहा कि दो सीटों पर अलग-अलग चुनाव करा कर निर्वाचन आयोग ने कोई नियम नहीं तोड़ा है जैसा कि प्रतिवादी ने आरोप लगाए हैं.

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राज्यसभा के लिए जयशंकर के निर्वाचन को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका खारिज



अहमदाबाद, (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कांग्रेस नेताओं की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिसमें पिछले साल जुलाई में विदेशमंत्री एस जयशंकर के राज्यसभा सदस्य के तौर पर निर्वाचन को चुनौती दी गई थी.



न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की अदालत ने कांग्रेस नेता गौर पांड्या, चंद्रिका चूडासामा और परेश धनानी की चुनाव याचिकाएं खारिज कर दीं. इनमें पांच जुलाई को भाजपा प्रत्याशी जयशंकर और जुगलजी ठाकोर की जीत को चुनौती दी गई थी.



जयशंकर और ठाकोर ने क्रमश: कांग्रेस के पांड्या और चूडासामा को हराया था.



उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेताओं ने इस चुनाव को निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के आधार पर चुनौती दी थी जिसमें दोनों खाली सीटों को अलग-अलग श्रेणी में रखा गया था जिसकी वजह से अलग-अलग उपचुनाव की जरूरत थी. कांग्रेस नेताओं ने इसे संविधान और जनप्रतिनिधि कानून-1951 और चुनाव संहिता 1961 का उल्लंघन करार दिया था.



अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जन प्रतिनिधि कानून के तहत चुनाव को अमान्य घोषित करने के कारणों को बताने में नाकाम रहे.



अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता संविधान या जनप्रतिनिधि कानून का कोई ऐसा प्रावधान भी बताने में असफल रहे जिसमें निर्वाचन आयोग को सभी रिक्तियों के लिए एक साथ चुनाव कराने की बाध्यता है.



अदालत ने दो याचिकाओं को खारिज करने के साथ जयशंकर और ठाकोर के आवेदनों को स्वीकार कर लिया.



जयशंकर और ठाकोर ने अपने आवेदन में कहा कि दो सीटों पर अलग-अलग चुनाव करा कर निर्वाचन आयोग ने कोई नियम नहीं तोड़ा है जैसा कि प्रतिवादी ने आरोप लगाए हैं.


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Last Updated : Feb 29, 2020, 6:00 AM IST
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