हैदराबाद : प्लास्टिक कचरे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर रामू की कोशिशें रंग लाने लगी हैं. रामू शहर में सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं और अपने मिशन के प्रति डटे हुए हैं.
इसी उद्देश्य के लिए रामू 'प्लांट फॉर प्लास्टिक' नाम से एक अभियान भी चलाते हैं. इसके तहत वह उन लोगों को छोटे पौधे भेंट करते हैं, जो उन्हें प्लास्टिक लाकर देते हैं.
इस संबंध में दोसापति रामू ने कहा, 'सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए ये छोटी सी पहल है. इसे हमने हैदराबाद में शुरू किया. आज लोग सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल अधिक करते हैं, जबकि प्रधानमंत्री भी इसके इस्तेमाल को रोकने के लिए लगातार अपील कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'लेकिन लोग नहीं समझते कि असल में सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है और इसीलिए मैंने प्लांट फॉर प्लास्टिक अभियान शुरू किया. जिससे लोगों को अच्छा संदेश मिल सके.'
इसके मद्देनजर पूर्वी गोदावरी कडियम से हजारों पौधे लाए गए हैं. रामू ने लोगों से प्लास्टिक लाने की कोई सीमा तय नहीं की है. वह लोगों को चिप्स के एक छोटे पैकेट के बदले भी पौधे देते हैं. रामू जमा की हुई प्लास्टिक को रीसाइक्लिंग के लिए ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन भेज देते हैं.
प्लास्टिक संकट के खिलाफ अपने मकसद को पूरा करने के लिए रामू ने एक और चुनौती का बीड़ा उठाया है. रामू इसे 'टिफिन बॉक्स चैलेंज' कहते हैं.
टिफिन बॉक्स चैलेंज के तहत रामू लोगों को बाजार से मांस लाने के लिए एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक के बजाय टिफिन बॉक्स का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
इस बारे में रामू का कहना है कि वह लोगों को मांस खाने से नहीं रोकते हैं लेकिन वह चाहते हैं कि हम पर्यावरण को बचाने की ओर भी ध्यान दें.
दोसापति रामू ने कहा, 'लोग घर का सामान खरीदने बाजार जाते हैं. इसके लिए वह जूट या कपड़े का थैला भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे प्लास्टिक कचरा कम होगा. हैदराबाद में 20 लाख परिवार हैं और सिर्फ रविवार को कम से कम 10 लाख लोग मांस खरीदते हैं.'
उन्होंने कहा, 'इसके लिए वह प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करते हैं, जिससे इतना ज्यादा कचरा जमा होता है. इसलिए मैं सभी से अपील करता हूं कि प्लास्टिक के बजाय टिफिन बॉक्स का उपयोग करें.'
इस काम को रामू ने सबसे पहले अपने दोस्तों के साथ शुरू किया था लेकिन आज धीरे-धीरे इस अभियान से कई लोग जुड़ रहे हैं. अपनी ओर से रामू अलग-अलग मांस की दुकानों पर जाते हैं और लोगों को पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए जागरुक करते हैं. हालांकि, हैदराबाद में मीट शॉप के मालिकों ने अब तक इस पहल को नहीं अपनाया है.
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