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राजनेताओं के खिलाफ पीएसए का इस्तेमाल अनुचित : पीडीपी नेता

पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई अन्य नेताओं पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगा दिया गया. इस पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता नजीर अहमद लवे ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर इस तरह की घटना सही नहीं है.

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नजीर अहमद लवे
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Published : Feb 10, 2020, 9:15 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 10:04 PM IST

नई दिल्ली : पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई अन्य नेताओं पर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगा दिया गया. इस पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता नजीर अहमद लवे ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर इस तरह की घटना सही नहीं है और इस एक्ट का इस्तेमाल राजनीतिक नेताओं पर सही नहीं है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में लवे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पीएसए 1978 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के कार्यकाल में लागू किया गया था. इस एक्ट का मूल उद्देश्य यहां पर लकड़ी की तस्करी रोकना और तस्करों को प्रचलन से बाहर करना था.

लवे ने कहा कि जिन लोगों ने यह कानून बनाया था, आज उन्हीं का परिवार पीएसए एक्ट के घेरे में आ रहा है. उन्होंने कहा कि यदि यह एक्ट किसी बुरे आदमी के खिलाफ लगाया जाता हो तो सहीं है, लेकिन राजनेताओं के खिलाफ इस एक्ट का उपयोग सहीं नहीं है.

नजीर अहमद लवे का बयान.

गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में पीएसए के तहत फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को तीन महीने तक के लिए बढ़ा दिया गया था.

हालांकि लवे ने पूर्व मुख्यमंत्रियों और अन्य राजनेताओं के खिलाफ पीएसए लगाने के लिए सरकार की आलोचना की.

अनुच्छेद 370 पर लवे ने कहा कि इसके रद होने के बाद लोग खामोश हैं. वह इस पर बात नहीं करना चाहते. साथ ही कहा कि घाटी में अनुच्छेद के रद होने पहले जो स्थिति थी, वही स्थिति मौजूदा समय में भी है.

ये भी पढ़ें-इंटेलीजेंस इनपुट : आरएसएस नेताओं को निशाना बना सकते हैं आतंकी समूह

क्‍या है जन सुरक्षा कानून या पीएसए
साल 1978 में उमर अब्‍दुल्‍ला के दादा और फारुक अब्‍दुल्‍ला के पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने इस कानून को इमारती लकड़ी की तस्करी को रोकने और तस्करों को 'प्रचलन से बाहर' रखने के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर में लागू किया था. जन सुरक्षा अधिनियम उन लोगों पर लगाया जा सकता है, जिन्हें लोगों की सुरक्षा और शांति के लिए खतरा माना जाता हो. यह देश के अन्‍य राज्‍यों में लागू राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून की तरह से है. वर्ष 2010 में इसमें संशोधन किया गया था, जिसके तहत बगैर ट्रायल के ही लोगों को कम से कम छह महीने तक जेल में रखा जा सकता है. राज्य सरकार चाहे तो इस अवधि को बढ़ाकर दो साल तक भी किया जा सकता है.

नई दिल्ली : पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई अन्य नेताओं पर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) लगा दिया गया. इस पर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता नजीर अहमद लवे ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां पर इस तरह की घटना सही नहीं है और इस एक्ट का इस्तेमाल राजनीतिक नेताओं पर सही नहीं है.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में लवे ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पीएसए 1978 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के कार्यकाल में लागू किया गया था. इस एक्ट का मूल उद्देश्य यहां पर लकड़ी की तस्करी रोकना और तस्करों को प्रचलन से बाहर करना था.

लवे ने कहा कि जिन लोगों ने यह कानून बनाया था, आज उन्हीं का परिवार पीएसए एक्ट के घेरे में आ रहा है. उन्होंने कहा कि यदि यह एक्ट किसी बुरे आदमी के खिलाफ लगाया जाता हो तो सहीं है, लेकिन राजनेताओं के खिलाफ इस एक्ट का उपयोग सहीं नहीं है.

नजीर अहमद लवे का बयान.

गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में पीएसए के तहत फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को तीन महीने तक के लिए बढ़ा दिया गया था.

हालांकि लवे ने पूर्व मुख्यमंत्रियों और अन्य राजनेताओं के खिलाफ पीएसए लगाने के लिए सरकार की आलोचना की.

अनुच्छेद 370 पर लवे ने कहा कि इसके रद होने के बाद लोग खामोश हैं. वह इस पर बात नहीं करना चाहते. साथ ही कहा कि घाटी में अनुच्छेद के रद होने पहले जो स्थिति थी, वही स्थिति मौजूदा समय में भी है.

ये भी पढ़ें-इंटेलीजेंस इनपुट : आरएसएस नेताओं को निशाना बना सकते हैं आतंकी समूह

क्‍या है जन सुरक्षा कानून या पीएसए
साल 1978 में उमर अब्‍दुल्‍ला के दादा और फारुक अब्‍दुल्‍ला के पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने इस कानून को इमारती लकड़ी की तस्करी को रोकने और तस्करों को 'प्रचलन से बाहर' रखने के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर में लागू किया था. जन सुरक्षा अधिनियम उन लोगों पर लगाया जा सकता है, जिन्हें लोगों की सुरक्षा और शांति के लिए खतरा माना जाता हो. यह देश के अन्‍य राज्‍यों में लागू राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून की तरह से है. वर्ष 2010 में इसमें संशोधन किया गया था, जिसके तहत बगैर ट्रायल के ही लोगों को कम से कम छह महीने तक जेल में रखा जा सकता है. राज्य सरकार चाहे तो इस अवधि को बढ़ाकर दो साल तक भी किया जा सकता है.

Intro:New Delhi: Days after former Chief Ministers of J&K, Omar Abdullah, Mehbooba Mufti and several other political leaders were booked under stringent Public Safety Act (PSA), People's Democratic Party (PDP) MP Nazir Ahmad Laway on Monday said, "their forefathers brought PSA but now they are finding themselves booked under PSA."


Body:"The PSA was borught in 1978 to prevent timber smuggling in J&K and keep the smugglers in prison...The leaders who brought PSA are now getting their family members under the stringent Act," said Laway in an interview to ETV Bharat.

In 1978, PSA was introduced by Sheikh Abdullah (Farooq Abdulla's father). It was brought to stop timber smuggling and keep the smugglers in prison.

PSA is a preventive detention law that allows the government to detain a person upto two years without a trial. Any person can be booked under PSA when an administrative order passed either by Divisional Commissioner (DC) or District Magistrate (DM).


Conclusion:Laway, however, criticised the government for imposing PSA against former Chief Ministers and other politicians.

"PSA should not be slapped on politicians, if other people found involved in anti national activities, they should be booked under PSA," Laway said.

National Conference leader Omar Abdullah (former Chief Minister) and PDP leader Mehbooba Mufti (former Chief Minister) and several other NC leaders were booked under PSA last week.

In December last year, Farooq Abdullah's detention was also extended for three more months under the PSA.

Referring to Article 370, Laway said that people of Jammu & Kashmir at present don't talk about the abrogation.

"People are quite now in J&K. They don't talk about Article 370...But the situation in the valley is same as it was in August last year following abrogation of Article 370," said Laway.

Advocate Hilal Lone, son of NC MP Mohd Akbar Lone was slapped with PSA today.

end.
Last Updated : Feb 29, 2020, 10:04 PM IST
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