नई दिल्ली : कोरोना के कहर ने जो जहां था उसे वहीं कैद कर छोड़ दिया है. इससे बचने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन से यूपी और बिहार जैसे प्रदेशों से एम्स में इलाज करवाने आए लोग यहां फंस गए हैं. इनमें से ज्यादातर लोगों के दिल्ली में कोई ऐसा रिश्तेदार भी नहीं है, जहां वह रुक सकें. वहीं इनमें से कई मरीज हार्ट, किडनी और कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं.
ओपीडी सेवा बंद होने और सिर्फ कोरोना के मरीजों का इलाज होने की वजह से लोग यहां फंस गए हैं. इस कारण यहां न इलाज हो पा रहा है और न ही यह लोग घर जा पा रहे हैं. यहां पर लोगों का पेट पालना मुश्किल हो रहा है. चाहें दिन हो या रातस, यह लोग यहां फर्श पर ही लेटकर समय काटने को मजबूर हो गए हैं.
एम्स के जेरियाट्रिक विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विजय कुमार बताते हैं कि जब वह हर रोज इस गैलरी से होकर गुजरते हैं, तो यहां एक लाइन में बेतरतीब लेटे हुए लोगों की समस्या को देखकर परेशान हो जाते हैं, पर वह चाहकर भी इनकी मदद नहीं कर सकते हैं.
वह इन्हें सिर्फ मोरल सपोर्ट दे सकते हैं. इनकी भी कोई गलती नहीं है. एम्स में हर रोज 15 हजार मरीज देश के अलग-अलग हिस्सों से इलाज करवाने आते थे. बहुत सारे लोग एम्स के आस-पास ही या तो सड़क किनारे या मेट्रो स्टेशन के बाहर आशियाना जमा लेते हैं.
अचानक ट्रेन और बसें बंद हो जाने से यह लोग अपने घर नहीं जा पाए. ओपीडी बंद होने से इनका इलाज भी बंद हो गया है, जिससे इनकी हालत न घर की और न घाट वाली होकर रह गई है. इनके लिए खास बात यह है कि एम्स में इनदिनों मरीजों की भीड़ नहीं है, इसलिए इन्हें यहां रहने दिया जा रहा है, वरना यहां तो पैर रखने की भी जगह नहीं होती है.
पढ़ें : देश के कई हिस्सों में शराब की दुकानें खुलते ही लगी लंबी लाइन
अभी नहीं खुलेगी ओपीडी
डॉ विजय ने बताया कि वह कुछ एनजीओ को जानते हैं. उनकी मदद से इन लोगों तक खाना पहुंचाया जा रहा है, लेकिन जहां तक इलाज की बात है तो जब तक लॉकडाउन पूरी तरह खुलेगा नहीं तब तक ओपीडी शुरू होना मुश्किल है.
हाईकोर्ट ने इलाज सुनिश्चित करने के दिए आदेश
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार से एम्स में फंसे मरीजों के इलाज सुनिश्चित कराने को कहा था. पर इस पर सरकार की तरफ से कोई पहल करता हुआ नहीं दिख रहा है.