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'अफवाह और अज्ञानता की वजह से कोरोना टीके को लेकर लोगों में झिझक' - भारत में इन्फैक्शन रेट कम है

को-विन डिजिटल एप में लोगों के एक वर्ग द्वारा फैलाई गई अज्ञानता और अफवाह की वजह भारत में कोरोना वैक्सीन लेने में हिचकिचाहट महसूस की जा रही है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देब रॉय से अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) के सेंटर फॉर कमेटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय के राय से गुरुवार को बातचीत के दौरान कही. पढ़ें पूरी खबर...

vaccine hesitancy
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Published : Jan 21, 2021, 7:31 PM IST

Updated : Jan 22, 2021, 7:17 AM IST

नई दिल्ली : को-विन डिजिटल एप में लोगों के एक वर्ग द्वारा फैलाई गई अज्ञानता और अफवाह की वजह भारत में कोरोना वैक्सीन लेने में हिचकिचाहट महसूस की जा रही है. अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) के सेंटर फॉर कमेटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय के राय ने ईटीवी भारत से गुरुवार को बातचीत में यह बातें कही.

डॉ. राय जो कि इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (IPHA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि लोगों को अफवाहों को सुनने के बजाय विज्ञान पर विश्वास करना चाहिए. जब भी कोई नई दवा या वैक्सीन लॉन्च की जाती है, तो उसे नियामकों से मंजूरी मिलने से पहले कई प्रक्रियाओं और नैदानिक ​​परीक्षणों से गुजरना पड़ता है. वैक्सीन लेने में लोगों को संकोच है, क्योंकि लोगों को सही जानकारी नहीं है.

डॉ. संजय के राय से खास बातचीत.

पोलियो मामले में भी यही हुआ था

डॉ. राय ने बताया कि पोलियो प्रतिरक्षण के मामले में भी इसी तरह की हिचकिचाहट हुई थी. डॉ. राय ने कहा कि झूठी अफवाहें थीं और पहले यह टीका लोगों द्वारा खारिज कर दिया गया था. हमने उस पर काम किया और बाद में सबकुछ ठीक हो गया. 2011 के बाद भारत में एक भी पोलियो का मामला सामने नहीं आया. यह वैक्सीन वैश्विक स्तर पर पाए जाने वाले अन्य सभी कोविड- 19 टीकों में सबसे सुरक्षित है. समस्या यह है कि लोग डाटा और वैज्ञानिक ज्ञान से नहीं गुजरते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को वैज्ञानिकों पर विश्वास करना चाहिए. यह कहते हुए कि टीका प्रभावकारिता डेटा निश्चित रूप से परीक्षण के बाद आएगा. डॉ. राय ने कहा कि संक्रमण के मामलों में कमी के कारण वैक्सीन के प्रभावकारिता डाटा की गणना नहीं की जाती है.

भारत में इन्फैक्शन रेट कम है

वैज्ञानिक डाटा का हवाला देते हुए डॉ. राय ने कहा कि अधिकांश लोगों ने अपने शरीर में पहले से ही तटस्थ एंटीबॉडी का विकास किया है, जो कि टीकों को भी बेअसर कर सकते हैं. यह एक अप्रत्यक्ष प्रभावकारी डाटा है. हालांकि, सुरक्षा डाटा सबसे महत्वपूर्ण है. डॉ. राय ने कहा कि जैसे शरीर के अंदर एंटीबॉडीज पैदा हो रही है, वैसे ही देश में इन्फैक्शन रेट भी कम है. उन्होंने स्वीकार किया कि टीकाकरण के लिए लक्ष्य अभी तक हासिल नहीं किया गया है, क्योंकि अभियान 16 जनवरी को लॉन्च किया गया था.

चुनौती है, लेकिन सफलता निश्चत

हालांकि, सरकार 3 करोड़ हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण करने के लिए को-विन एप का उपयोग कर रही है. एप को डाटा कॉन्फिगरेशन, दूसरों के बीच डाटा प्रदर्शित करने जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कई राज्यों में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कोविन एप में लाभार्थियों के नामों को अपडेट करने में विफल रहने के बाद वैक्सीन को मैन्युअल रूप से सत्यापित और रिकॉर्ड करना पड़ता है. टीके प्राप्त करने वालों को पहले ही इसकी सूचना देनी विश्वसनीय स्वचालित संचार की गैर मौजूदगी में प्राथमिक चुनौती साबित हुआ है.

यह भी पढ़ें-सीरम के पुणे परिसर में लगी आग, पांच लोगों की मौत, सीईओ पूनावाला ने जताया शोक

अगर सब कुछ ठीक हो जाता है, तो स्वास्थ्य देखभाल कार्मिकों के लिए टीकाकरण अगले 15-20 दिनों तक पूरा हो जाएगा.

नई दिल्ली : को-विन डिजिटल एप में लोगों के एक वर्ग द्वारा फैलाई गई अज्ञानता और अफवाह की वजह भारत में कोरोना वैक्सीन लेने में हिचकिचाहट महसूस की जा रही है. अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (एम्स) के सेंटर फॉर कमेटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. संजय के राय ने ईटीवी भारत से गुरुवार को बातचीत में यह बातें कही.

डॉ. राय जो कि इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (IPHA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि लोगों को अफवाहों को सुनने के बजाय विज्ञान पर विश्वास करना चाहिए. जब भी कोई नई दवा या वैक्सीन लॉन्च की जाती है, तो उसे नियामकों से मंजूरी मिलने से पहले कई प्रक्रियाओं और नैदानिक ​​परीक्षणों से गुजरना पड़ता है. वैक्सीन लेने में लोगों को संकोच है, क्योंकि लोगों को सही जानकारी नहीं है.

डॉ. संजय के राय से खास बातचीत.

पोलियो मामले में भी यही हुआ था

डॉ. राय ने बताया कि पोलियो प्रतिरक्षण के मामले में भी इसी तरह की हिचकिचाहट हुई थी. डॉ. राय ने कहा कि झूठी अफवाहें थीं और पहले यह टीका लोगों द्वारा खारिज कर दिया गया था. हमने उस पर काम किया और बाद में सबकुछ ठीक हो गया. 2011 के बाद भारत में एक भी पोलियो का मामला सामने नहीं आया. यह वैक्सीन वैश्विक स्तर पर पाए जाने वाले अन्य सभी कोविड- 19 टीकों में सबसे सुरक्षित है. समस्या यह है कि लोग डाटा और वैज्ञानिक ज्ञान से नहीं गुजरते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को वैज्ञानिकों पर विश्वास करना चाहिए. यह कहते हुए कि टीका प्रभावकारिता डेटा निश्चित रूप से परीक्षण के बाद आएगा. डॉ. राय ने कहा कि संक्रमण के मामलों में कमी के कारण वैक्सीन के प्रभावकारिता डाटा की गणना नहीं की जाती है.

भारत में इन्फैक्शन रेट कम है

वैज्ञानिक डाटा का हवाला देते हुए डॉ. राय ने कहा कि अधिकांश लोगों ने अपने शरीर में पहले से ही तटस्थ एंटीबॉडी का विकास किया है, जो कि टीकों को भी बेअसर कर सकते हैं. यह एक अप्रत्यक्ष प्रभावकारी डाटा है. हालांकि, सुरक्षा डाटा सबसे महत्वपूर्ण है. डॉ. राय ने कहा कि जैसे शरीर के अंदर एंटीबॉडीज पैदा हो रही है, वैसे ही देश में इन्फैक्शन रेट भी कम है. उन्होंने स्वीकार किया कि टीकाकरण के लिए लक्ष्य अभी तक हासिल नहीं किया गया है, क्योंकि अभियान 16 जनवरी को लॉन्च किया गया था.

चुनौती है, लेकिन सफलता निश्चत

हालांकि, सरकार 3 करोड़ हेल्थ केयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण करने के लिए को-विन एप का उपयोग कर रही है. एप को डाटा कॉन्फिगरेशन, दूसरों के बीच डाटा प्रदर्शित करने जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कई राज्यों में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कोविन एप में लाभार्थियों के नामों को अपडेट करने में विफल रहने के बाद वैक्सीन को मैन्युअल रूप से सत्यापित और रिकॉर्ड करना पड़ता है. टीके प्राप्त करने वालों को पहले ही इसकी सूचना देनी विश्वसनीय स्वचालित संचार की गैर मौजूदगी में प्राथमिक चुनौती साबित हुआ है.

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अगर सब कुछ ठीक हो जाता है, तो स्वास्थ्य देखभाल कार्मिकों के लिए टीकाकरण अगले 15-20 दिनों तक पूरा हो जाएगा.

Last Updated : Jan 22, 2021, 7:17 AM IST
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