दरभंगा : बिहार के दरभंगा जिले में भारत और नेपाल में सदियों से बेटी और रोटी का रिश्ता रहा है. लेकिन अब भारतीय इलाकों- लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को नेपाल के नक्शे में दिखाए जाने के बाद इनके संबंधों में खटास आती दिख रही है. हाल में सीतामढ़ी में नेपाली पुलिस की फायरिंग में भारतीय युवक की मौत से इस मामले ने और तूल पकड़ लिया है.
बेटी और रोटी का संबंध
मिथिलांचल के लोगों ने भारत सरकार से सुगौली संधि के तहत सन् 1816 में नेपाल को दे दिए गए मिथिला के इलाके को वापस करने की मांग की है. भारत और नेपाल के संबंधों पर काम करने वाली संस्थाओं ने इसकी वजह बताई.
'छद्म राष्ट्रवाद का सहारा'
मैथिली लोक संस्कृति मंच के प्रो. उदय शंकर मिश्र ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच बेटी और रोटी के रिश्तों में खटास की सबसे बड़ी वजह भारत और चीन का आपसी संबंध है. दूसरी वजह वहां के कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर की आपसी गुटबाजी और कमजोर पड़ती केपी शर्मा ओली की सरकार है. उन्होंने कहा कि जब शासक कमजोर पड़ते हैं तो वे सत्ता बचाने के लिए छद्म राष्ट्रवाद का सहारा लेते हैं. फिलहाल भारत के खिलाफ नेपाल की सरकार इसी छद्म राष्ट्रवाद को बढ़ावा देकर चीन के सहयोग से अपनी सत्ता बचा रही है.
200 साल के लिए संधि
विद्यापति सेवा संस्थान के प्रो. चंद्रशेखर झा 'बूढ़ा भाई' ने कहा कि हमारा बेटी और रोटी का संबंध नेपाल से रहा है. यह मैथिली भाषा और संस्कृति की वजह से अटूट रूप से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि सुगौली संधि के तहत सन् 1816 में अंग्रेजों ने तत्कालीन मिथिला के 8 जिलों को नेपाल को दे दिया था. ये संधि 200 साल के लिए ही थी.
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'चिंतित हैं मिथिलांचल के लोग'
चंद्रशेखर झा ने कहा कि पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने संसद में सुगौली संधि के 200 साल पूरे होने पर इसे भारत को वापस देने की बात उठाई थी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार इस पर विचार करे और हमारे मिथिला के इलाके को नेपाल से वापस ले. चंद्रशेखर झा ने कहा कि नेपाली पुलिस की गोली से भारत के युवक की मौत के बाद मधेश की जनता में भ्रम फैला कर संबंध में खटास लाई जा रही है. इससे मिथिलांचल लोग चिंतित है
'नेपाल से युद्ध जैसी स्थिति नहीं चाहता भारत'
मिथिला लेखक संघ के चंद्रेश ने कहा कि भारत सरकार की कमजोरी की वजह से नेपाल के मधेश में भारत के प्रति असंतोष बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की सरकार काठमांडू को ज्यादा तवज्जो देती है जबकि काठमांडू मधेश की जनता के साथ सौतेला व्यवहार करता है. पहाड़ी लोग अभी तक दिल से मधेसी लोगों को स्वीकार नहीं कर पाए हैं. इसलिए मधेश में दिल्ली और काठमांडू दोनों के प्रति असंतोष है. उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी गोलीकांड का भारत-नेपाल संबंधों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत-नेपाल से कभी युद्ध जैसी स्थिति नहीं चाहता है.
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'मायके-ससुराल नहीं जा पा रही बेटियां'
वहीं, मिथिला विकास संघ के सुजीत कुमार आचार्य ने कहा कि आज भी भारत और नेपाल के साथ बेटी और रोटी का संबंध जरूर है लेकिन अब कठिनाई होने लगी है. कोरोना संकट के कारण इन संबंधों में बाधा आ रही है. दोनों देशों की बेटियां मायके-ससुराल नहीं जा पा रही हैं. उन्होंने भारत और नेपाल के बीच बेरोकटोक आवागमन और संबंधों को जारी रखने की वकालत की और इस सोच को खारिज कर दिया कि दोनों देशों को सीमा को बंद कर आवागमन के लिए वीजा-पासपोर्ट अनिवार्य किया जाना चाहिए.