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आई होली आई रे : मथुरा, वृंदावन में मची धूम, बांके बिहारी मंदिर में दिखा अद्भुत नजारा

बांके बिहारी मंदिर में होली के मौके पर भारी संख्या में भक्तों की भीड़ लगी हुई है. भव्य मंदिर के प्रांगण में लोग हर्षोलास के साथ होली का त्योहार मना रहे हैं. आज पूरा मथुरा, वृंदावन रंगों में रंगा हुआ है...

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मथुरा में बांके बिहारी मंदिर में होली का त्योहार मनाते लोग
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Published : Mar 9, 2020, 11:09 AM IST

Updated : Mar 9, 2020, 11:57 AM IST

मथुरा : बांके बिहारी मंदिर में होली के मौके पर भारी संख्या में भक्तों की भीड़ लगी हुई है. मंदिर प्रांगण में लोग हर्षोलास के साथ होली का त्यौहार मना रहे हैं.आपको बता दें कि कान्हा की नगरी मथुरा में लोग कृष्ण भक्ति के रंग में सराबोर हैं.

देशभर में रंगों के त्योहार होली की धूम मची हुई है. मथुरा वृंदावन की होली तो विश्व प्रसिद्ध है. यहां होली उत्सव की शुरुआत तो बसंत पंचमी से ही हो जाती है. लट्ठमार होली हो या फिर फूलों की होली, इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं.

मथुरा में बांके बिहारी मंदिर में होली का त्योहार मनाते लोग

इस बार भी भक्त बांके बिहारी के साथ होली के रंग में रंगने के लिए मथुरा वृंदावन पहुंच रहे हैं. यहां होली का रंग कुछ ऐसा चढ़ा कि सब लोग रंगों में रंग गए.

बता दें कि इस खुशी के मौके पर लोग हवा में गुलाल उड़ा रहे हैं.

रंगभरनी एकादशी के मौके पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भक्तों ने जमकर खेली होली

इससे पूर्व रंगभरनी एकादशी के अवसर पर शुक्रवार को वृन्दावन में ठाकुर बांकेबिहारी के भक्तों ने चांदी की पिचकारी से टेसू के फूलों से बने रंग से मंदिर में जमकर होली खेली गई.

श्वेत वस्त्र, मोर मुकुट, कटि-काछिनी धारण किए और कमर पर गुलाल का फैंटा बांधे बांकेबिहारी जी के दिव्य दर्शन पाकर भक्त आनन्द से झूम उठे.

इस मौके पर अपने आराध्य के साथ होली खेलने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु बांकेबिहारी मंदिर में पहुंचे.

वहीं मथुरा के फालैन गांव में होलिका दहन के मौके पर जलती होली के बीच से निकलने की परम्परा का इस बार भी पालन किया जाएगा. मोनू पण्डा ने इसे निभाने का संकल्प लिया है. वह नौ मार्च की रात होलिका दहन के अवसर पर अपने आकार से दोगुनी-तिगुनी ऊंची लपटों और धधकते अंगारों के बीच होली की अग्नि में से नंगे बदन निकलेगा.

यह पहला मौका है कि जब इस कार्य के लिए समाज के लोगों ने भरी पंचायत में तीन अन्य प्रस्तावकों में से उसे चुना है. वैसे उसके पिता सुशील पण्डा विगत वर्षों में आठ बार यह चमत्कार करके दिखा चुके हैं. यह गांव जिला मुख्यालय से पचास किमी की दूरी पर है.

गौरतलब है कि पिछले साल यह चमत्कार करके दिखाने वाले फालैन गांव के ही मूल निवासी एवं पण्डा समाज के एक सदस्य बाबूलाल पण्डा (45) ने इस बार यह जिम्मेदारी उठाने का मौका किसी और सदस्य को देने का आग्रह किया था.

मथुरा : बांके बिहारी मंदिर में होली के मौके पर भारी संख्या में भक्तों की भीड़ लगी हुई है. मंदिर प्रांगण में लोग हर्षोलास के साथ होली का त्यौहार मना रहे हैं.आपको बता दें कि कान्हा की नगरी मथुरा में लोग कृष्ण भक्ति के रंग में सराबोर हैं.

देशभर में रंगों के त्योहार होली की धूम मची हुई है. मथुरा वृंदावन की होली तो विश्व प्रसिद्ध है. यहां होली उत्सव की शुरुआत तो बसंत पंचमी से ही हो जाती है. लट्ठमार होली हो या फिर फूलों की होली, इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं.

मथुरा में बांके बिहारी मंदिर में होली का त्योहार मनाते लोग

इस बार भी भक्त बांके बिहारी के साथ होली के रंग में रंगने के लिए मथुरा वृंदावन पहुंच रहे हैं. यहां होली का रंग कुछ ऐसा चढ़ा कि सब लोग रंगों में रंग गए.

बता दें कि इस खुशी के मौके पर लोग हवा में गुलाल उड़ा रहे हैं.

रंगभरनी एकादशी के मौके पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भक्तों ने जमकर खेली होली

इससे पूर्व रंगभरनी एकादशी के अवसर पर शुक्रवार को वृन्दावन में ठाकुर बांकेबिहारी के भक्तों ने चांदी की पिचकारी से टेसू के फूलों से बने रंग से मंदिर में जमकर होली खेली गई.

श्वेत वस्त्र, मोर मुकुट, कटि-काछिनी धारण किए और कमर पर गुलाल का फैंटा बांधे बांकेबिहारी जी के दिव्य दर्शन पाकर भक्त आनन्द से झूम उठे.

इस मौके पर अपने आराध्य के साथ होली खेलने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु बांकेबिहारी मंदिर में पहुंचे.

वहीं मथुरा के फालैन गांव में होलिका दहन के मौके पर जलती होली के बीच से निकलने की परम्परा का इस बार भी पालन किया जाएगा. मोनू पण्डा ने इसे निभाने का संकल्प लिया है. वह नौ मार्च की रात होलिका दहन के अवसर पर अपने आकार से दोगुनी-तिगुनी ऊंची लपटों और धधकते अंगारों के बीच होली की अग्नि में से नंगे बदन निकलेगा.

यह पहला मौका है कि जब इस कार्य के लिए समाज के लोगों ने भरी पंचायत में तीन अन्य प्रस्तावकों में से उसे चुना है. वैसे उसके पिता सुशील पण्डा विगत वर्षों में आठ बार यह चमत्कार करके दिखा चुके हैं. यह गांव जिला मुख्यालय से पचास किमी की दूरी पर है.

गौरतलब है कि पिछले साल यह चमत्कार करके दिखाने वाले फालैन गांव के ही मूल निवासी एवं पण्डा समाज के एक सदस्य बाबूलाल पण्डा (45) ने इस बार यह जिम्मेदारी उठाने का मौका किसी और सदस्य को देने का आग्रह किया था.

Last Updated : Mar 9, 2020, 11:57 AM IST

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