उडुपी: गंभीर बीमारी से ग्रसित पेजावर श्री का रविवार को इलाज के दौरान निधन हो गया. वह अपने सामाजिक कार्यों की वजह से देश भर में प्रसिद्ध थे. उन्हे राम मंदिर के विषय सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचारों के लिए जाना जाता था.
पेजावर श्री के कुछ प्रमुख शिष्यों में उमा भारती , प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी शामिल हैं.
स्वामी पेजावर श्री का जन्म 27 अप्रैल सन् 1931 में उडीपी से 120 किलोमीटर दूर सुब्रमण्यम के पास रामकुंज गांव में हुआ था.
पेजावर श्री ,नारायणाचार्य और कमलम्मा की दूसरी संतान थे. उनका असली नाम वेंकटरमण था उन्होनें रामकुंजा गांव में संस्कृत प्राथमिक स्कूल शिक्षा ग्रहण की. उन्होंने सातवें वर्ष में गायत्री का उपदेश दिया.
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उपनयन संस्कार से पहले पेजावर श्री की उम्र 6 साल थी. जब उनके माता-पिता उन्हे उडुपी लेकर गए. उस समय वहां पर एक मठ हुआ करता था.
वेंकटरमण ने मठ में स्वामी जी को भगवान कृष्ण की पूजा आरधाना करते देखा. इसी समय वेंकटरमण के अभिभावक उनको स्वामी जी के पास ले गए. वेंकट ने भी माता पिता के साथ स्वामि जी की पूजा की.
स्वामिजी ने वेंकटरमण के मासूम चेहरे और भक्तीभाव और चपलता देखकर स्वामी जी ने पूछा कि क्या तुम भी मेरी तरह स्वामी बनोगे ? इसके जवाब में वेंकटरमण ने कहा 'हां , मैं हूं.'
वेंकटरमण ने हम्पी में दीक्षा ग्रहण की. दीक्षा प्राप्ति के बाद वेंकटरमण स्वामी विश्वेशातीर्थ बने.
स्वामी जी ने छूआछूत के खिलाफ अभियान चलाया. वो गांधी जी से काफी प्रभावित थे और इसलिए उन्होंने खास मौकों पर शाही कपड़े पहनना छोड़ा दिया और नियमित रूप से खादी के कपड़े पहनने लगे.
उन्होनें ने 40 साल पहले एक हरिजन कॉलोनी में प्रवेश किया था.