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बिहार में 'पकड़ुआ विवाह' के शिकार युवक को दो साल बाद मिला न्याय - बोकारो न्यूज

पकड़ुआ विवाह के शिकार बने बिहार के विनोद कुमार को इंसाफ मिल गया है. करीब दो साल की लंबी लड़ाई के बाद पटना फैमिली कोर्ट ने शादी को अमान्य कर दिया है. इस संंबंध में विनोद कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत कर अपनी आप-बीती सुनाई.

बिहार में पकड़ुआ विवाह के शिकार युवक को मिला दो साल बाद न्याय.
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Published : Jul 28, 2019, 11:00 AM IST

बोकारो: विवाह सात जन्मों का बंधन होता है लेकिन बिहार में पकड़ुआ विवाह की कुप्रथा ने कई युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर दी है. बोकारो में बीएसएल के असिस्टेंट मैनेजर विनोद कुमार भी इसके शिकार हुए थे. उन्होंने 2 साल की लंबी न्यायिक लड़ाई लड़ी, जिसके बाद पटना फैमिली कोर्ट ने इस शादी को अमान्य करार दे दिया है.

3 दिसंबर 2017 की घटना
3 दिसंबर 2017 में विनोद को उनके पारिवारिक मित्र से मिलने के बहाने मोकामा के पास पंडारक थाना के गोप कित्ता गांव बुलाया गया. उसने जबरन अपनी बहन से बंदूक की नोंक पर शादी करवा दी. विनोद ने जब इसका विरोध किया तो सुरेंद्र यादव और उनके परिवार वालों ने जमकर पिटाई की.

देखें वीडियो.

इसके बाद विनोद ने दबाव में आकर शादी कर ली. शादी के बाद भी विनोद को मनाने की कोशिश की गई, लेकिन जब वह नहीं माने तो फिर उनकी पिटाई की गई और उन्हें कमरे में बंद कर दिया गया.

पढ़ें- बसपा MLC समेत दो के खिलाफ 100 करोड़ की आरसी जारी

पुलिस ने नहीं की मदद
किसी तरह विनोद ने घर वालों से संपर्क किया और उन्हें बुलाया. विनोद ने बताया कि उसे पंडारक थाना ने कोई सहयोग नहीं किया और विनोद पर ही लड़की को अपना लेने का दबाव बनाने रहे. जब विनोद के परिवार वालों ने वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर पूरी बात बताई, तब विनोद को छोड़ा गया.

कोर्ट में दर्ज की केस
इस दौरान पुलिस और लड़की पक्ष वाले पूरी कोशिश करते रहे कि लड़की को विनोद के साथ विदा कर दिया जाए, लेकिन विनोद ने लड़की को अपनाने से साफ मना कर दिया और पारिवारिक न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया. वहीं, विनोद को जान से मारने की धमकी भी दी. जिसके बाद विनोद ने पुलिस के रवैये के खिलाफ क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया.

कोर्ट ने शादी को अमान्य करार दिया
2 साल की लंबी न्यायिक लड़ाई के बाद पटना की पारिवारिक अदालत ने इस शादी को अमान्य करार दिया है. इस पर विनोद कहते है कि सत्य की जीत हुई है. वहीं, उनका ये भी कहना है कि पुलिस ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया और ना ही उनके मामले में कोई उनकी मदद की.

बोकारो: विवाह सात जन्मों का बंधन होता है लेकिन बिहार में पकड़ुआ विवाह की कुप्रथा ने कई युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर दी है. बोकारो में बीएसएल के असिस्टेंट मैनेजर विनोद कुमार भी इसके शिकार हुए थे. उन्होंने 2 साल की लंबी न्यायिक लड़ाई लड़ी, जिसके बाद पटना फैमिली कोर्ट ने इस शादी को अमान्य करार दे दिया है.

3 दिसंबर 2017 की घटना
3 दिसंबर 2017 में विनोद को उनके पारिवारिक मित्र से मिलने के बहाने मोकामा के पास पंडारक थाना के गोप कित्ता गांव बुलाया गया. उसने जबरन अपनी बहन से बंदूक की नोंक पर शादी करवा दी. विनोद ने जब इसका विरोध किया तो सुरेंद्र यादव और उनके परिवार वालों ने जमकर पिटाई की.

देखें वीडियो.

इसके बाद विनोद ने दबाव में आकर शादी कर ली. शादी के बाद भी विनोद को मनाने की कोशिश की गई, लेकिन जब वह नहीं माने तो फिर उनकी पिटाई की गई और उन्हें कमरे में बंद कर दिया गया.

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पुलिस ने नहीं की मदद
किसी तरह विनोद ने घर वालों से संपर्क किया और उन्हें बुलाया. विनोद ने बताया कि उसे पंडारक थाना ने कोई सहयोग नहीं किया और विनोद पर ही लड़की को अपना लेने का दबाव बनाने रहे. जब विनोद के परिवार वालों ने वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर पूरी बात बताई, तब विनोद को छोड़ा गया.

कोर्ट में दर्ज की केस
इस दौरान पुलिस और लड़की पक्ष वाले पूरी कोशिश करते रहे कि लड़की को विनोद के साथ विदा कर दिया जाए, लेकिन विनोद ने लड़की को अपनाने से साफ मना कर दिया और पारिवारिक न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया. वहीं, विनोद को जान से मारने की धमकी भी दी. जिसके बाद विनोद ने पुलिस के रवैये के खिलाफ क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया.

कोर्ट ने शादी को अमान्य करार दिया
2 साल की लंबी न्यायिक लड़ाई के बाद पटना की पारिवारिक अदालत ने इस शादी को अमान्य करार दिया है. इस पर विनोद कहते है कि सत्य की जीत हुई है. वहीं, उनका ये भी कहना है कि पुलिस ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया और ना ही उनके मामले में कोई उनकी मदद की.

Intro:कहते हैं विवाह सात जन्मों का बंधन होता है। एक बार यह बंधन बंध गया तो अगले सात जन्मों तक साथ निभाना होता है। हमारे समाज में यह मान्यता है। यह बंधन सदा निभे इसलिए परिवार समाज के लोग सब कुछ अच्छा बुरा समझ कर शादी विवाह तय करते हैं। ताकि वर वधु भविष्य में प्रेम और सौहार्द के साथ जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ा सकें। लेकिन बिहार में एक कुप्रथा है पकरौआ विवाह का। जिसे जबरिया शादी या धरौवा विवाह भी कहा जाता है। और इसी कुप्रथा के शिकार हुए बोकारो में बीएसएल के असिस्टेंट मैनेजर विनोद कुमार।


Body:आज से तकरीबन 2 साल पहले 3 दिसंबर 2017 को उनके पारिवारिक मित्र ने मिलने के बहाने उन्हें मोकामा के पास पंडारक थाना के गोप कित्ता गांव में बुलाया और जबरन अपनी बहन से बंदूक की नोक पर शादी करवा दी। विनोद कुमार ने जब इसका विरोध किया तो सुरेंद्र यादव और उनके परिवार वालों ने जमकर पिटाई की जिसके बाद में विनोद कुमार को दबाव में सभी रस्मों को निभाना पड़ा। शादी के बाद भी विनोद कुमार को मनाने की कोशिश की गई। लेकिन जब वह नहीं माने तो फिर उनकी पिटाई की गई और उन्हें कमरे में बंद कर दिया गया। किसी तरह विनोद कुमार ने घर वालों से संपर्क किया और उन्हें बुलाया। लेकिन बतौर विनोद कुमार पंडारक थाना ने कोई सहयोग नहीं किया। उल्टे विनोद कुमार पर ही लड़की को अपना लेने का दबाव बनाने बनाते रहे। जब विनोद कुमार के परिवार वालों ने वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर अपनी व्यथा सुनाई तो विनोद कुमार को छोड़ा गया। लेकिन इस दौरान पुलिस और लड़की पक्ष वाले पूरी कोशिश करते रहे कि लड़की को विनोद कुमार के साथ विदा कर दिया जाए। लेकिन विनोद ने लड़की को अपनाने से साफ मना कर दिया और पारिवारिक न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया। साथ ही मारपीट और जान से मारने की धमकी देने और पुलिस के रवैए के खिलाफ क्रिमिनल कोर्ट में भी मुकदमा दर्ज कराया।


Conclusion:2 साल की लंबी न्यायिक लड़ाई के बाद पटना की पारिवारिक अदालत ने इस शादी को अमान्य करार दिया है। जिसके बाद विनोद कुमार कहते हैं सत्य की जीत हुई है। वहीं उनका आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया और ना ही उनके मामले में कोई उनकी मदद की। जबकि उनके सामने गलत हो रहा था। उनका क्या कसूर था जो उनकी जिंदगी बर्बाद करने की कोशिश की। 2 साल तक थाना पुलिस कचहरी किस जुर्म में करना पड़ा। क्या उनका कसूर यह था कि उन्होंने किसी पर भरोसा किया। न्यायिक जीत मिलने के बाद विनोद कुमार अब खुश हैं। और अपनी नई जिंदगी के लिए आशान्वित भी। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिस लड़की से विनोद कुमार की जबरिया शादी कराई गई उनका कसूर क्या था। बिहार के गांव में एक कहावत है लड़की गाय होती है उसे जिस खुटे से बांध दो बंध जाती है। यानी मां-बाप जिस से शादी करा देते हैं उसका साथ वह बिना किसी सवाल के उसके हो जाती है। तो फिर दोषी कौन है ? विनोद कुमार जिसने बंदूक के बल पर ही सही लेकिन शादी तो की। भले ही अब उस शादी को कोर्ट ने अमान्य करार दे दिया है। या फिर लड़की के घरवाले जिन्होंने अपनी बेटी को बोझ समझकर जबरदस्ती किसी के पल्ले बांधने की कोशिश की। या फिर वह लड़की जो अपनी जिंदगी के साथ हो गलत काम का विरोध वनहीं कर सकी? बोकारो से आलोक रंजन सिंह की रिपोर्ट

विनोद कुमार, पकरौवा विवाह पीड़ित

NOTE इस खबर से जुड़े विवाह का वीडियो रिपोर्टर एप से भेज रहे हैं
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