नई दिल्ली : उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने आज राज्यों, संघ शासित प्रदेशों के मंत्रियों के साथ पांचवीं राष्ट्रीय परामर्श बैठक की. बैठक में उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने, उनके संरक्षण तथा कल्याण जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई.
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की अध्यक्षता में हुई बैठक में राशन कार्ड की पोर्टेबिलिटी, उचित दर की दुकानों के ऑटोमेशन तथा आधार सीडिंग आदि से जुड़े मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की गई. इस बैठक में केंद्रीय राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे के अलावा कई राज्यों के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले के मंत्रियों ने भाग लिया.
रामविलास पासवान ने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 अधिसूचित कर दिया गया है. इसके मुख्य उपबंधों पर चर्चा हो चुकी है. उन्होंने कहा कि नियमों का प्रारूप तैयार किया जा रहा है, उन्होंने इस बैठक में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अंतर्गत नियमों पर सुझाव देने का अनुरोध किया.
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि राज्य आवश्यक वस्तु अधिनियम को सरल बनाने पर ध्यान दें जिससे वह जुर्माना उपबंध भी शामिल है, जो व्यापार को सुविधाजनक बनाने तथा निवेश को बढ़ाने के संबंध में सरकार की नीति को और अधिक अनुकूल बनाएगा.
रामविलास पासवान ने कहा कि अब एनएफएसए के अंतर्गत सभी राज्य शामिल हैं जबकि वर्ष 2014 में केवल 11 राज्य ही शामिल थे, उन्होंने चावल के पुष्टिकरण में राज्यों की बढ़ी हुई भागीदारी की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि उत्पादन बढ़ाकर और उपयुक्त बाजार हस्तक्षेपो के माध्यम से महंगाई को नियंत्रित करने की दिशा में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा आरंभ किए गए संयुक्त प्रयासों से लाभ हुआ है, बफर संचालनो सहित सरकार के उपयुक्त हस्तक्षेपो के कारण दालों के मूल्य नियंत्रित किये जा सके हैं
रामविलास पासवान ने कहा कि सरकार के पास मूल्य स्थिरीकरण कोष के अंतर्गत दालों का लगभग 14 लाख मीट्रिक टन बफर उपलब्ध है, जबकि मूल्य समर्थन स्कीम के अंतर्गत लगभग 13 लाख मीट्रिक टन दालें उपलब्ध हैं. इसके अलावा सरकार ने लगभग 56 हजार मीट्रिक टन बफर निर्मित किया है.
पासवान ने बताया कि राज्य/संघ शासित क्षेत्रों की सरकारें, कम उपलब्धता वाले मौसम के दौरान कीमतों में नरमी लाने के लिए सहकारिताओं/राज्य एजेंसियों/विपणन संघों आदि के माध्यम से प्रत्यक्ष खुदरा बिक्री अथवा अपनी-अपनी पीडीएस दुकानों के माध्यम से खुदरा बिक्री के उद्देश्य से केंद्रीय बफर से प्याज और दालों के स्टॉक का उठान कर सकती हैं. राज्य/ संघ शासित क्षेत्र की सरकारें बफर से प्याज तथा दालों की अपनी अपनी मांगे नेफेड/ उपभोक्ता मामले विभाग के समक्ष समक्ष रख सकती हैं.