नई दिल्ली : गृह मामलों की एक संसदीय समिति ने केंद्र सरकार को नुकसान के आकलन में अंतर को टालने के लिए राज्य सरकार के साथ संयुक्त रूप से सभी आपदाओं की प्रारंभिक क्षति का आकलन करने का सुझाव दिया है. इसने सरकार को यह भी सुझाव दिया है कि केंद्रीय अध्ययन दल को आपदा से प्रभावित क्षेत्रों का प्रारंभिक दौरा करना चाहिए, ताकि आपदा के एक सप्ताह के भीतर नुकसान का त्वरित और प्रारंभिक आकलन किया जा सके.
संसदीय समिति ने कहा कि राज्यों द्वारा आपदा के कारण क्षति समय के आकलन और गृह मंत्रालय द्वारा किए गए आकलन के बीच हमेशा असमानता रहती है. इसका कारण यह भी हो सकता है कि केंद्रीय अध्ययन दल को आपदा की आशंका के महीनों बाद क्षति और हताहतों के आकलन के लिए भेजा जाता है, जब तक कि टीम आपदा प्रभावित क्षेत्रों में नहीं पहुंच जाती, तब तक आपदा से हुई क्षति के हालात कुछ हद तक ठीक हो जाते हैं.
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दूसरी ओर गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, राज्य सरकार आम तौर पर अनुमोदित वस्तुओं और मानदंडों के अलावा, आवश्यकता के आधार पर प्रोजेक्ट करती है, जो एसडीआरएफ (SDRF) और एनडीआरएफ (NDRF) मानदंडों के दायरे से बाहर हैं जैसे दीर्घकालिक और स्थायी प्रकृति की बहाली के काम. ये कारक राज्य की मांग और केंद्र से वास्तविक अनुमोदन के अंतर को दर्शाते हैं इसीलिए राज्य सरकार को अनुमोदित वस्तुओं और सहायता के मानदंडों के अनुरूप ज्ञापन तैयार करना चाहिए.
मिनिस्ट्री होम अफेयर्स (MHA) अधिकारियों ने कहा, राज्य सरकार को यह भी सलाह दी गई है कि वे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) से सहायता के लिए ज्ञापन सौंपते हुए, उन्हें केवल मानदंडों के अनुसार कड़ाई से तैयार करें.