नई दिल्ली : भारत ने कहा कि पाकिस्तान कई तरह के हथकंडे अपनाकर अफगानिस्तान में काम कर रहे हमारे पेशेवर लोगों को निशाना बनाता रहा है और पिछले 12 साल में अफगानिस्तान में विभिन्न विकास परियोजनाओं पर कार्य कर रहे कई भारतीयों पर हमले हुए हैं और उनका अपहरण किया गया है.
विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में जी एस बसवराज के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि पाकिस्तान ने सितंबर 2019 से संकल्प 1267 के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति द्वारा चार भारतीय नागरिकों (जो पूर्व में अफगानिस्तान में काम कर चुके हैं) को नामजद करवाने का प्रयास किया है.
उन्होंने कहा, 'हालांकि 1267 प्रतिबंध समिति ने अपनी आंतरिक कार्य-प्रक्रियाओं के आधार पर इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया है.'
मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार के सतत प्रयासों के फलस्वरूप पाकिस्तान से उपजने वाले आतंकवाद, जिसमें जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों और व्यक्तियों की गतिविधियां शामिल हैं, के प्रति वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच चिंता बढ़ी है.
उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने फरवरी 2019 में पुलवामा पर सीमापार से हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी. कई देशों ने पाकिस्तान से स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह किसी भी प्रकार के आतंकवाद के लिए अपने भूक्षेत्र का उपयोग न होने दे.'
मुरलीधरन ने कहा कि कई आतंकी संगठन एवं व्यक्ति जो पाकिस्तान में पनाह लेते हैं और जो भारत के विरुद्ध आतंकवाद में भी शामिल रहते हैं, को संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अन्य देशों द्वारा प्रतिबंधित किया गया है.
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उन्होंने कहा, 'एक मई 2019 को संयुक्त राष्ट्र 1267 प्रतिबंध समिति ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को एक संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधित आतंकी के रूप में नामजद किया है. वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में अपने पूर्ण सत्र में लगातार आतंकी वित्तपोषण संबंधी चिंताओं के कारण पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में अधिसूचित किया है.'