नई दिल्ली: बालाकोट हवाई हमले के बाद से पाकिस्तान ने पूर्वी सीमा पर 26 जुलाई तक अपना हवाई क्षेत्र पूरी तरह से बंद कर रखा है. पाक सरकार के इस फैसले पर विमानन विशेषज्ञों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है.
पाक के विमानन सचिव नुसरत ने स्थानीय न्यूज चैनल को जानकारी दी है कि पाकिस्तान का हवाईक्षेत्र भारत के इस्तेमाल के लिये तब तक उपलब्ध नहीं होगा, जब तक कि भारतीय वायुसेना के अग्रिम हवाईअड्डों से अपने लड़ाकू विमानों को हटा नहीं लेता.
ईटीवी भारत से बात करते हुए विमानन विशेषज्ञ सनत कौल ने इस फैसले का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि हर देश की हवाई सीमा होती है लेकिन अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) के अंतर्गत बहुत से समझौते आते हैं जिसके अनुसार एक देश के हवाई क्षेत्र में दूसरे देश की वाणिज्यिक उड़ानों की अनुमति होनी चाहिए.
कौल ने आगे कहा कि वाणिज्यिक विमानों को पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरने की अनुमति नहीं देना सही नहीं है. अंतरराष्ट्रीय संगठन को इसका संज्ञान लेना चाहिए.
अन्य देशों का उदाहरण देते हुए कौन ने बताया कि भारतीय एयरलाइंस और अन्य विमानन प्रशासन भी ईरानी की कुछ हवाई सीमा से नहीं गुजरते हैं क्योंकि यह राजनीतिक रूप से तनावपूर्ण क्षेत्र है.
उन्होंने आगे कहा कि पाक हवाई क्षेत्र बंद करके भारत से बालाकोट हवाई हमलों का बदला लेने की कोशिश कर रहा है. लेकिन भारत को थोड़ा और सक्रिय होने और आईसीएओ को जरूरी उपाय करने की आवश्यक्ता है.
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एक अनुमान के मुताबिक, पाकिस्तान द्वारा हवाई क्षेत्र बंद करने के बाद से भारतीय एयरलाइंस एयर इंडिया को करीब 430 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
गुरुवार को नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में बताया था कि एयरस्पेस प्रतिबंध के कारण प्रति दिन लगभग 13 लाख रुपये की अतिरिक्त परिचालन लागत आई थी.