नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा संयुक्त राष्ट्र में शांति व सद्भावना राजदूत के रूप में नियुक्त हैं. इस पर पाकिस्तान के मानवाधिकार मंत्रालय ने यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेंस फंड (UNICEF) को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में प्रियंका को उनके पद से तुरंत हाटाए जाने की बात कही गई है.
दरअसल, प्रियंका चोपड़ा मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाए जाने का समर्थन कर रही हैं.
गौरतलब है कि इसके पहले अगस्त में प्रियंका की एक पाकिस्तानी महिला ने सोशल मीडिया पर बहस हो गई थी. पाक महिला ने भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट हमले पर प्रियंका की प्रतिक्रिया को पाखंड बताया था. इसके बाद प्रियंका और पाक महिला के बीच मौखिक बहस झिड़ गई थी.
इस संबंध में पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक हेनरीट्टा फॉरए (Henrietta Fore) को पत्र लिखा. इस पत्र में उन्होंने केंद्र सरकार के जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के हालिया फैसले का भी उल्लेख किया है.
अपने पत्र में शिरीन माजरी ने लिखा है, 'आपने प्रियंका चोपड़ा को यूएन की गुडविल एम्बेसडर बनाया है. भारत के हिस्से वाले कश्मीर में जो कुछ हुआ वो मोदी सरकार के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का उल्लंघन करने की वजह से हुआ है.'
उन्होंने लिखा कि भारत के हिस्से वाले कश्मीर में भारतीय सैनिक महिलाओं और बच्चों पर पैलेट गन्स चला रहे हैं. नैतिक सफाई, नस्लवादी, फासीवादी और नरसंहार को लेकर बीजेपी सरकार पूरी तरह से नाजियों के कदम पर चल रही है.
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शिरीन ने आगे लिखा कि प्रियंका चोपड़ा ने सार्वजनिक तौर पर भारत सरकार की मौजूदा स्थिति को एंडोर्स किया है. इतना ही नहीं एक्ट्रेस ने भारत के रक्षा मंत्री द्वारा पाकिस्तान को दी गई न्यूक्लियर की धमकी का भी सपोर्ट किया है.'
गौरतलब है कि शिरीन द्वारा भेजे गए खत में ये भी लिखा है कि ये शांति और सद्भाव के सिद्धांतों के खिलाफ है. कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन करने को लेकर मोदी सरकार को प्रियंका समर्थन दे रही हैं.
पत्र में कहा गया कि प्रियंका का ये रावैया यूएन में दिए गए उनके पद पर उनकी विश्वसनीयता को कम करता है. अगर प्रियंका को जल्द से जल्द इस पद से नहीं हटाया गया तो ये वैश्विक स्तर पर यूएन गुडविल एम्बेसडर को ही हास्यास्पद बना देगा.
बता दें, अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता प्राप्त थी, जिससे की वह एक विशेष राज्य कहलाता था. साथ ही साथ राज्य को अपना अलग संविधान बनाने की भी अनुमति थी. लेकिन अब ऐसा नहीं है. केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने इस प्रावधान को खत्म कर दिया है.
इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में हालात नाजुक हैं. सरकार ने जम्मू-कश्मीर में संचार पर प्रतिबंध लगा रखा है, कई स्कूल-कॉलेज बंद हैं और इलाके में कई जगह कर्फ्यू भी लागू किया गया है.