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तुच्छ राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देता है PAK : भारत

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर में महिला अधिकारों का मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा है. पाक मामूली राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवाद और विकास विरोधी चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देता है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Nov 6, 2019, 3:20 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर में महिला अधिकारों का मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान पर जमकर बरसते हुए भारत ने कहा कि देश एक ऐसे तंत्र को दर्शाता है जो मामूली राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवाद और विकास विरोधी चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देता है तथा महिलाओं की आवाज को दबाता है.

भारत की तरफ से यह कड़ी प्रतिक्रिया संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की निवर्तमान दूत मलीहा लोधी द्वारा 29 अक्टूबर की चर्चा के दौरान कश्मीर में स्थिति, अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द किए जाने और घाटी में महिला अधिकारों पर टिप्पणी किए जाने के बाद आई है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पॉलोमी त्रिपाठी ने 'महिला, शांति एवं सुरक्षा' विषय पर सुरक्षा परिषद की खुली चर्चा के दौरान सोमवार को कहा, 'आज जब हर कोई सामूहिक प्रयास पर जोर दे रहा है, वहीं एक प्रतिनिधिमंडल मेरे देश में महिला अधिकारों के बारे में अर्नगल बयानबाजी कर रहा है.'

पाकिस्तान का नाम लिए बिना, त्रिपाठी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल, ऐसे तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है जो तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवाद और प्रगति विरोधी चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देता है तथा महिलाओं की आवाज को दबाता है. इसने हमारे क्षेत्र और उससे परे, महिलाओं एवं उनके परिवारों की कई पीढ़ियों का जीवन तबाह कर दिया है.

संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर कश्मीर मुद्दा उठाने की इस्लामाबाद की आदत का जिक्र करते हुए त्रिपाठी ने कहा कि विचाराधीन एजेंडा से बिना किसी प्रासंगिकता के निराधार आरोप लगाना इस देश की आदत बन गई है और यह, 'इस प्रतिनिधिमंडल का मुख्य विषय बन गया है.'

त्रिपाठी का इशारा लोधी की टिप्पणी पर था जो उन्होंने 29 अक्टूबर की चर्चा के दौरान जम्मू-कश्मीर पर की थी.

ये भी पढ़ें : विज्ञान महोत्सव के पहले ही दिन बना गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत इन निराधार आरोपों को सिरे से खारिज करता है.

उन्होंने कहा, 'परिषद ने पहले भी ऐसी कपटपूर्ण बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया है और हमें भरोसा है कि परिषद अब भी ऐसा ही करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इस तरह के एजेंडा से आतंकवाद को आगे कोई मदद नहीं मिल सके.'

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर में महिला अधिकारों का मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान पर जमकर बरसते हुए भारत ने कहा कि देश एक ऐसे तंत्र को दर्शाता है जो मामूली राजनीतिक फायदों के लिए आतंकवाद और विकास विरोधी चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देता है तथा महिलाओं की आवाज को दबाता है.

भारत की तरफ से यह कड़ी प्रतिक्रिया संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की निवर्तमान दूत मलीहा लोधी द्वारा 29 अक्टूबर की चर्चा के दौरान कश्मीर में स्थिति, अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द किए जाने और घाटी में महिला अधिकारों पर टिप्पणी किए जाने के बाद आई है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पॉलोमी त्रिपाठी ने 'महिला, शांति एवं सुरक्षा' विषय पर सुरक्षा परिषद की खुली चर्चा के दौरान सोमवार को कहा, 'आज जब हर कोई सामूहिक प्रयास पर जोर दे रहा है, वहीं एक प्रतिनिधिमंडल मेरे देश में महिला अधिकारों के बारे में अर्नगल बयानबाजी कर रहा है.'

पाकिस्तान का नाम लिए बिना, त्रिपाठी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल, ऐसे तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है जो तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवाद और प्रगति विरोधी चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा देता है तथा महिलाओं की आवाज को दबाता है. इसने हमारे क्षेत्र और उससे परे, महिलाओं एवं उनके परिवारों की कई पीढ़ियों का जीवन तबाह कर दिया है.

संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर कश्मीर मुद्दा उठाने की इस्लामाबाद की आदत का जिक्र करते हुए त्रिपाठी ने कहा कि विचाराधीन एजेंडा से बिना किसी प्रासंगिकता के निराधार आरोप लगाना इस देश की आदत बन गई है और यह, 'इस प्रतिनिधिमंडल का मुख्य विषय बन गया है.'

त्रिपाठी का इशारा लोधी की टिप्पणी पर था जो उन्होंने 29 अक्टूबर की चर्चा के दौरान जम्मू-कश्मीर पर की थी.

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उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत इन निराधार आरोपों को सिरे से खारिज करता है.

उन्होंने कहा, 'परिषद ने पहले भी ऐसी कपटपूर्ण बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया है और हमें भरोसा है कि परिषद अब भी ऐसा ही करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इस तरह के एजेंडा से आतंकवाद को आगे कोई मदद नहीं मिल सके.'

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UN-INDIA-PAK
Pak exporting terror, stifling women's voices for narrow political gains: India at UNSC
By Yoshita Singh
         United Nations, Nov 6 (PTI) India lashed out at Pakistan for raising the issue of women's rights in Kashmir in the UN Security Council, saying the country represents a system that has been exporting terrorism and "regressive" extremist ideologies and "stifling" women's voices for narrow political gains.
          India's strong response came after Pakistan's outgoing UN envoy Maleeha Lodhi commented on the situation in Kashmir, revocation of Article 370 and women's rights in the Valley during the debate on October 29.
          As everyone today focuses on collective action, one delegation rhetorically regurgitates about women's rights in my country, First Secretary in India's Permanent Mission to the UN Paulomi Tripathi said Monday at a Security Council open debate on Women, Peace and Security.
         Without naming Pakistan, Tripathi said the delegation represents a system that has been exporting terrorism and regressive extremist ideologies, and stifling women's voices for narrow political gains. This has devastated lives of generations of women and their families, in our region and beyond.
          Alluding to Islamabad's habit of raking up the Kashmir issue at various UN forums and committees, Tripathi said the country habitually makes baseless allegations without any relevance to the agenda under consideration and this has become a staple for this delegation.
          She referred to Lodhi's comments on Jammu and Kashmir during the October 29 debate as well as during a previous debate on the Situation in the Middle East, including the Palestinian question'.
         Asserting that India firmly rejects the baseless allegations, Tripathi said the Council has not paid attention to such deceitful narratives in the past, and we are confident that the Council will continue to do so, to ensure that its agenda is not used as a ploy for furthering territorial ambitions.
          In her remarks to the debate, Tripathi underscored that violence against women and girls perpetrated by terrorists remain rampant and subjugation of women in public and in private spheres continue across situations that are on the agenda of the Council.
         It is important that the Council strives to effectively integrate women, peace and security considerations into sanctions regimes, including by listing terrorist entities involved in violence against women in armed conflicts, she said.
         Further, Tripathi highlighted the positive impacts of greater participation of women in UN peacekeeping but voiced concern that women make up only 4.2 per cent of military personnel in UN peacekeeping missions.
         We ought to encourage participation of all women units to achieve the set targets in this regard, she said.
          Tripathi pointed out that a trend in which in order to accommodate those who cannot fulfill the commitments of providing all women units to peacekeeping missions, mixed units are being given preference by diluting the policy frameworks.
          "If this continues, we possibly cannot achieve the set targets, she said as she added that India remains committed to increasing the number of women peacekeepers and has deployed a Female Engagement Team in UN Organisation Stabilisation Mission in the Democratic Republic of the Congo (MONUSCO) earlier this year. PTI YAS
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