नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसका एक पायलट गायब है. उसके बारे में अभी तक पूरी जानकारी नहीं मिली है. दूसरी तरफ पाक का दावा है कि भारत का एक पायलट उसके कब्जे में है. हालांकि, भारत ने कहा कि इस बारे में कोई भी जानकारी सत्यापित होने पर ही तथ्य सामने लाया जाएगा.
वियाना कन्वेंशन के अनुसार कोई भी देश, यदि किसी को गिरफ्तार करता है, तो वह उस व्यक्ति की पहचान सार्वजनिक नहीं कर सकता है. न ही उसे प्रताड़ित नहीं किया जा सकता है. मानवाधिकार कानून का उसे पालन करना होगा. इसके बावजूद कोई देश ऐसा करता है, तो यह उकसावे की कार्रवाई मानी जाती है.
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या पहले भी ऐसी स्थिति भारत और पाकिस्तान के बीच रही है. 1999 में कारगिल युद्ध के समय एयरफोर्स के ही एक पायलट नचिकेता के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था.
कारगिल युद्ध के दौरान 26 साल के नचिकेता वायुसेना के ऑपरेशन सफेद सागर में फाइटर प्लेन उड़ा रहे थे. अचानक दुश्मन सेना ने उनके विमान पर रॉकेट दागे और फायरिंग की, जिसके बाद उनका विमान क्रैश हो गया.
नचिकेता विमान से निकल गए. लेकिन पीओके क्षेत्र में तैनात पाक सेना ने उन्हें गिरफ्त में ले लिया. उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी गईं.
उस समय जी पार्थसारथी भारत के उच्चायुक्त थे. उन्होंने अपने संपर्क के जरिए कूटनीतिक दबाव बनाया. तत्कालीन पाक पीएम नवाज शरीफ ने नचिकेता को छोड़े जाने की घोषणा की थी.
आठ दिन बाद नचिकेता को वाघा बार्डर के रास्ते भारत को सौंपा गया. नचिकेता को बहादुरी के वायु सेना मेडल दिया गया.