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छत्तीसगढ़ : ऑक्सफोर्ड रिटर्न अक्षय ने खेती को बनाया व्यवसाय - खेती को बनाया व्यवसाय

अंबिकापुर के अक्षय ने पढ़ाई तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में की, लेकिन उनका देसी मन उन्हें खींच लाया गाय, गोबर और मिट्टी के बीच. आज अक्षय अपनी विलायती पढ़ाई का इस्तेमाल पशुपालन और खेती में कर रहे हैं.

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Published : Dec 26, 2020, 3:13 PM IST

रायपुर : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और फिर लंदन से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद गाय, गोबर, मिट्टी के बीच रहना शायद आसान न हो, लेकिन अंबिकापुर के अक्षय ने इसे सच कर दिखाया है. विदेश में पढ़ाई करने के बाद अक्षय ने अपना भविष्य पशुपालन और खेती में देखा. खास बात ये है कि पशुपालन मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ किया जा रहा है, जिसमें कम खर्च में उत्पादन बढ़ाने के साथ ही पशुओं की सेहत पर भी खास ध्यान रखा जा रहा है.

ऑक्सफोर्ड रिटर्न किसान

ईटीवी भारत अक्षय के डेयरी फार्म पहुंचा, तो अक्षय ने बताया कि उन्हें यह बिजनेस करने में काफी अच्छा लग रहा है. गायों की सेवा करना और उनके लिए नई रिसर्च करना और बेस्ट चीजें ढूंढना काफी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इन सब में काफी सुकून मिलता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

40 लोगों को दिया रोजगार

अक्षय के फार्म में विभिन्न नस्लों की 150 गाय हैं. स्टार्टअप के दौरान ही फार्म में 40 लोगों को रोजगार दिया गया है. जल्द ही वो इसे रजिस्टर्ड डेयरी प्रोजेक्ट के रूप में भी लॉन्च करने की तैयारी में हैं. जिससे लोगों को शुद्ध और सस्ता दूध और उससे बनने वाले उत्पाद उपलब्ध होंगे.

'साइलेज' चारे का इस्तेमाल

कम कीमत में ज्यादा उत्पादन के लिए अक्षय ने एक नया रिसर्च किया है. सालभर पशुओं को हरा चारा मिले इसके लिए साइलेज चारे का इस्तेमाल किया जा रहा है. मक्के का साइलेज मतलब एक ऐसा पशु आहार, जिसमें हरे चारे के साथ पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन और मिनरल पशु को सालभर मिलता है. खास बात ये है कि ये बाकी पशु आहारों से बेहद सस्ता है, जिससे सभी पशुपालक अपना खर्च कम कर दूध की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं. पशु आहार जहां 25 रुपये किलो मिलता है. वहीं, साइलेज 6 रुपये किलो मिलता है.

पढ़ें - J-K : कठुआ में पाकिस्तान ने तोड़ा सीजफायर, सेना का मुंहतोड़ जवाब

कैसे तैयार होता है साइलेज चारा

साइलेज को स्थानीय भाषा में सुकटी कहते हैं. छत्तीसगढ़ में मौसमी सब्जियों को घर में सुखाकर स्टोर किया जाता है और साल भर उसका इस्तेमाल होता है. उसी तरह साइलेज को भी इस्तेमाल किया जाता है. 60 दिन में साइलेज तैयार होती है. मक्के के एक पौधे को मक्के सहित एयर टाइट पैकेट में पैक करके सुखाया जाता है, जिसे बाद में पशु आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. पशु आहार के लिये ये अब तक का सबसे बेहतर विकल्प साबित हो रहा है.

पशु चिकित्सक की सलाह

पशु चिकित्सक भी साइलेज चारे की प्रमाणिकता को मानते हैं. इस संबंध में ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पशु चिकित्सक चंद्र कुमार मिश्रा से साइलेज के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि पशु को हरा चारा बेहद जरूरी है, लेकिन हरा चारा सालभर मिलना संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में मक्के का साइलेज सबसे बेहतर विकल्प है. इससे मवेशियों को सारे विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं.

अक्षय जैसे नौजवान युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श का काम कर रहे हैं. किसी भी काम में जब लगन और मेहनत के साथ इनोवेशन जुड़ता है, तो उसकी अलग ही पहचान होती है.

रायपुर : ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और फिर लंदन से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद गाय, गोबर, मिट्टी के बीच रहना शायद आसान न हो, लेकिन अंबिकापुर के अक्षय ने इसे सच कर दिखाया है. विदेश में पढ़ाई करने के बाद अक्षय ने अपना भविष्य पशुपालन और खेती में देखा. खास बात ये है कि पशुपालन मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ किया जा रहा है, जिसमें कम खर्च में उत्पादन बढ़ाने के साथ ही पशुओं की सेहत पर भी खास ध्यान रखा जा रहा है.

ऑक्सफोर्ड रिटर्न किसान

ईटीवी भारत अक्षय के डेयरी फार्म पहुंचा, तो अक्षय ने बताया कि उन्हें यह बिजनेस करने में काफी अच्छा लग रहा है. गायों की सेवा करना और उनके लिए नई रिसर्च करना और बेस्ट चीजें ढूंढना काफी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इन सब में काफी सुकून मिलता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

40 लोगों को दिया रोजगार

अक्षय के फार्म में विभिन्न नस्लों की 150 गाय हैं. स्टार्टअप के दौरान ही फार्म में 40 लोगों को रोजगार दिया गया है. जल्द ही वो इसे रजिस्टर्ड डेयरी प्रोजेक्ट के रूप में भी लॉन्च करने की तैयारी में हैं. जिससे लोगों को शुद्ध और सस्ता दूध और उससे बनने वाले उत्पाद उपलब्ध होंगे.

'साइलेज' चारे का इस्तेमाल

कम कीमत में ज्यादा उत्पादन के लिए अक्षय ने एक नया रिसर्च किया है. सालभर पशुओं को हरा चारा मिले इसके लिए साइलेज चारे का इस्तेमाल किया जा रहा है. मक्के का साइलेज मतलब एक ऐसा पशु आहार, जिसमें हरे चारे के साथ पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन और मिनरल पशु को सालभर मिलता है. खास बात ये है कि ये बाकी पशु आहारों से बेहद सस्ता है, जिससे सभी पशुपालक अपना खर्च कम कर दूध की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं. पशु आहार जहां 25 रुपये किलो मिलता है. वहीं, साइलेज 6 रुपये किलो मिलता है.

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कैसे तैयार होता है साइलेज चारा

साइलेज को स्थानीय भाषा में सुकटी कहते हैं. छत्तीसगढ़ में मौसमी सब्जियों को घर में सुखाकर स्टोर किया जाता है और साल भर उसका इस्तेमाल होता है. उसी तरह साइलेज को भी इस्तेमाल किया जाता है. 60 दिन में साइलेज तैयार होती है. मक्के के एक पौधे को मक्के सहित एयर टाइट पैकेट में पैक करके सुखाया जाता है, जिसे बाद में पशु आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. पशु आहार के लिये ये अब तक का सबसे बेहतर विकल्प साबित हो रहा है.

पशु चिकित्सक की सलाह

पशु चिकित्सक भी साइलेज चारे की प्रमाणिकता को मानते हैं. इस संबंध में ईटीवी भारत ने वरिष्ठ पशु चिकित्सक चंद्र कुमार मिश्रा से साइलेज के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि पशु को हरा चारा बेहद जरूरी है, लेकिन हरा चारा सालभर मिलना संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में मक्के का साइलेज सबसे बेहतर विकल्प है. इससे मवेशियों को सारे विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं.

अक्षय जैसे नौजवान युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श का काम कर रहे हैं. किसी भी काम में जब लगन और मेहनत के साथ इनोवेशन जुड़ता है, तो उसकी अलग ही पहचान होती है.

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