नई दिल्ली: लोकसभा में बृहस्पतिवार के तीन तलाक बिल पेश किया गया. बिल पर बहस के दौरान ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का जमकर विरोध किया.
ओवैसी ने संसद में कहा 'जब तक जिंदा रहुंगा मैं इस बिल का विरोध करता रहुंगा.' उन्होंने कहा कि यह बिल भारत के संविधान के अनुच्छेद 14,15, 26 और 29 का अवमानना करता है.
ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक बिल संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन करता है. उन्होंने कहा कि जब न्यायलय ने समलैंगिकता का गैर अपराधिकरण कर दिया तो सरकार तीन तलाक का अपराधिकरण क्यों कर रही है.
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उन्होंने बिल पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ तो बिल में यह कहा गया है और सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि अगर कोई मुसलमान गलती से अपनी बीवी को तीन बार तलाक दे देता है तो वो तलाक नहीं माना जाएगा.
ओवैसी की बातों के मुख्य अंश:
⦁ यह कानून पूरी तरह से मुस्लिम महिलाओं के विरुद्ध है.
⦁ जेल में बैठ कर पति निर्वाह खर्च कैसे देगा?
⦁ महिलाओं का शादी से अलग होने का अधिकार छीन रहे हैं.
⦁ महिला को सड़क पर उसके पति को जेल में डाल रहे हैं.
⦁ जब तलाक हुआ ही नहीं तो सजा किस बात की.
⦁ POSCO जैसे कानून पर दोषियों के नहीं मिल रही सजा.
⦁ सरकार निकाह में शर्त जोड़े, तीन तलाक देने पर महिला को मिले 500 प्रतिशत मेहर की रकम.
⦁ इस्लाम में शादी जन्म जन्म का साथ नहीं, एक समझौता है.
⦁ तीन तलाक बिल अुनच्छेद की अवमानना.
⦁ भारतीय मुसलामनों की तुलना इस्लामिक देशों से न करे, नहीं तो बढ़ेगी कट्टरता.
⦁ 23 लाख हिन्दु महिलांए शादीशुदा होने के बावजूद पति से अलग रहती हैं.
⦁ मुजफ्फरपुर रेप केस में एक भी मामले में सजा नहीं मिली.
⦁ मॉब लिंचिंग पर कानून क्यों नहीं बनाया गया.