जम्मू-कश्मीर: अमरनाथ यात्रा के लिए रविवार को जम्मू से 4,158 श्रद्धालुओं का एक और जत्था रवाना हुआ है. इस साल एक जुलाई से यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 20 दिनों में 2.6 लाख से अधिक श्रद्धालु समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित बाबा बफार्नी के दर्शन कर चुके हैं. श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने कहा कि एक जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 20 दिनों में 2,59,889 श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर लिए हैं.
पुलिस ने कहा कि भगवती नगर यात्री निवास से 4,158 यात्रियों का एक जत्था शनिवार को सुरक्षा सहित दो काफिलों में रवाना हुआ.
एक पुलिस अधिकारी ने आगे बताया, 'इनमें से 2,139 यात्री बालटाल आधार शिविर जा रहे हैं जबकि 2,019 यात्री पहलगाम आधार शिविर जा रहे हैं.' श्रद्धालुओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा में बर्फ की विशाल संरचना बनती है जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों की प्रतीक है.
तीर्थयात्री पवित्र गुफा तक जाने के लिए या तो अपेक्षाकृत छोटे 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से जाते हैं या 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से जाते हैं. बालटाल मार्ग से लौटने वाले श्रद्धालु दर्शन करने वाले दिन ही आधार शिविर लौट आते हैं.
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दोनों आधार शिविरों पर हालांकि तीर्थ यात्रियों के लिए हैलीकॉप्टर की भी सेवाएं हैं.
स्थानीय मुस्लिमों ने भी हिंदू तीर्थयात्रियों की सुविधा और आसानी से यात्रा सुनिश्चित कराने के लिए बढ़-चढ़कर सहायता की है.
एसएएसबी के अधिकारियों के अनुसार, यात्रा के दौरान 24 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिनमें से 22 तीर्थयात्रियों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है, वहीं दो लोगों की मौत दुर्घटनाओं में हुई है.
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पवित्र गुफा की खोज सन 1850 में एक मुस्लिम चरवाहे बूटा मलिक ने की थी. किवदंतियों के अनुसार, एक सूफी संत ने चरवाहे को कोयले से भरा एक बोरा दिया था, जो बाद में सोने से भरे बोरे में बदल गया था.
लगभग 150 सालों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चढ़ावे का कुछ भाग दिया जाता है. इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ होगा.