गांधीनगर : इस बार रक्षाबंधन पर बहन भाइयों की कलाई पर चाइनीज राखी नहीं, बल्कि गोबर और गोमूत्र से बनी राखियां बांधेंगी. गुजरात के कच्छ के कुक्मा गांव में गाय के गोबर से राखी बनाई जा रही हैं. नष्ट होने के बाद भी यह राखी पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाएंगी. जहां रक्षाबंधन त्योहार के लिए हर साल कई तरह की राखियां बाजार में आती हैं.
इस बार अनोखी जैविक राखी बनाई जा रही है, जिसमें गोबर और गोमूत्र मिलाया जा रहा है, जो ऊर्जा देती है. गुजरात के एक ट्रस्ट ने संजीवनी नाम से 5,000 ऐसी राखी बनाई है.
रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्यार का संदेश देने वाला पर्व है. इस पर्व पर भाइयों की कलाई पर पहले स्वदेशी राखियां बांधी जाती थी, लेकिन अब उनके स्थान पर चीन में बनी राखियां आ गई हैं लेकिन इस बार रक्षाबंधन पर गाय के गोबर से बनी राखियां बाजार पर दिखेंगी.
रामकृष्ण परमहंस ट्रस्ट पिछले तीन वर्षों से गोबर और गोमूत्र का उपयोग करके राखी बना रहा है. ट्रस्ट गोबर और गोमूत्र के साथ अलग-अलग आकार और डिजाइन की जैविक राखी बना रहा है.ट्रस्ट के प्रमुख मनोजभाई सोलंकी ने ईटीवी भारत को बताया कि गाय के गोबर और गोमूत्र ऊर्जा देती है
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उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि गाय के गोबर में देवी लक्ष्मी का निवास होता हैं. इस अनोखी राखी को बनाने वाले कारीगर 400 गायों के गोबर का मिश्रण तैयार करते हैं. ट्रस्ट ने पहले वर्ष में 2,000 राखी बनाई थी, दूसरे वर्ष में 3,000 और इस वर्ष 5,000 राखी तैयार की गई हैं.